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राजस्थान का RAW जासूस, पाकिस्तानी सेना में मेजर बना:पाकिस्तानी लड़की से शादी, कभी वापस नहीं लौटा, इंदिरा गांधी कहती थीं ‘ब्लैक टाइगर’


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राजस्थान का RAW जासूस, पाकिस्तानी सेना में मेजर बना:पाकिस्तानी लड़की से शादी, कभी वापस नहीं लौटा, इंदिरा गांधी कहती थीं ‘ब्लैक टाइगर’

राजस्थान का RAW जासूस, पाकिस्तानी सेना में मेजर बना:पाकिस्तानी लड़की से शादी, कभी वापस नहीं लौटा, इंदिरा गांधी कहती थीं 'ब्लैक टाइगर'

जंग में दुश्मन देश की संवेदनशील व खुफिया जानकारी सबसे अहम होती है। हाल में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला करने में भी इंटेलिजेंस का महत्वपूर्ण रोल रहा है।

भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। RAW की ताकत हैं उसके एजेंट्स।

ऐसे ही राजस्थान के रहने वाले एक एजेंट थे रवींद्र कौशिक। मिशन को अंजाम देने के लिए वो पाकिस्तान सेना में मेजर बने। इस्लाम अपनाकर पाकिस्तानी लड़की से निकाह भी किया।

वो लगातार पाकिस्तान की संवेदनशील व खुफिया जानकारियां भारत भेजता रहे। सिर्फ RAW नहीं, देश की पूर्व प्रधानमंत्री तक उन्हें ब्लैक टाइगर के नाम से बुलाती थी।

स्पेशल रिपोर्ट में आज पढ़िए राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे एक ऐसे ही RAW एजेंट रवींद्र कौशिक की कहानी…

रवींद्र कौशिक को थियेटर और एक्टिंग का काफी शौक था।
रवींद्र कौशिक को थियेटर और एक्टिंग का काफी शौक था।

पिता एयरफोर्स में थे, रवींद्र को था थियेटर का शौक

11 अप्रैल 1952 को रवींद्र कौशिक का जन्म श्रीगंगानगर के पंजाबी परिवार में हुआ था। पिता जे एम कौशिक एयरफोर्स में थे। 1971 की जंग के बाद भारत की खुफिया एजेंसी ने बॉर्डर इलाकों में चौकसी बढ़ा दी थी।

यहीं वो समय था जब रवींद्र कौशिक गंगानगर के एसडी बिहानी कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन कर रहे थे। रवींद्र खूबसूरत थे। दोस्तों में विनोद खन्ना के नाम से फेमस थे।

यहीं वजह थी कि रवींद्र को थियेटर का शौक था। रवींद्र इनमें देशभक्ति से जुड़े भगत सिंह जैसे किरदारों को निभाते थे।

ग्रेजुएशन के दौरान ही RAW की नजर में आ गए थे

1971 की जंग में हिन्दुस्तान को पाकिस्तान पर मिली फतह के बाद वो भी देशभक्ति की भावना से लबरेज थे। रवींद्र ग्रेजुएशन कर चुके थे और RAW की नजर उन पर पड़ चुकी थी।

इन्हीं दिनों एक थियेटर शो को लेकर रवींद्र लखनऊ गए थे। रवींद्र शो में इंडियन आर्मी अफसर का रोल निभा रहे थे।

शो के बाद उन्हें कुछ लोग मिले। पहले तो उन्होंने रवींद्र की भगत सिंह वाली अदाकारी की खूब तारीफ की। बाद में सीधे ही पूछ लिया, एक्टिंग ही करना चाहते हो या वास्तव में देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हो?

उन लोगों ने रवींद्र को बताया- हम भारतीय खुफिया सेवा के अधिकारी हैं। तुम्हें अपने साथ देशसेवा करने का मौका देना चाहते हैं। रवींद्र ने तुरंत ही उन्हें हां कर दी। हालांकि, वो अभी भी उसे परखना चाहते थे।

रवींद्र का परखने के बाद उन्हें दिल्ली में RAW के एक बड़े अधिकारी से मिलवाया गया। यहीं उन्हें बताया गया कि वो अब RAW एजेंट हैं। साथ ही ये हिदायत भी दी कि वो अपने घरवालों को भी नहीं बता सकते कि वो RAW एजेंट हैं।

रविंद्र के हेयर स्टाइल और चेहरे-मोहरे के कारण दोस्त उन्हें विनोद खन्ना कहते थे।
रविंद्र के हेयर स्टाइल और चेहरे-मोहरे के कारण दोस्त उन्हें विनोद खन्ना कहते थे।

अरबी लिखना-पढ़ना सिखाया, इस्लाम की बारीकियां समझाईं

इसके बाद रवींद्र की ट्रेनिंग स्टार्ट हुई। उन्हें थोड़ी बहुत उर्दू पहले से ही आती थी, यहीं वजह रही की वो जल्दी ही अरबी पढ़ना और लिखना सीख गए। इसके बाद उन्हें इस्लाम धर्म की बारीकियां समझाई गईं।

इसके बाद उसे पाकिस्तान सहित कुछ दूसरे देशों में जासूसी के टास्क देकर भेजा गया। रवींद्र ने रॉ के हर टास्क को बखूबी अंजाम दिया। इसके बाद रवींद्र को पाकिस्तान भेजने का फैसला किया गया।

साल 1975 के शुरुआत में कौशिक को अपनी नई पाकिस्तानी पहचान वाले जन्म प्रमाणपत्र और दसवीं कक्षा के मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र के साथ पाकिस्तानी पासपोर्ट और वो तमाम दस्तावेज मुहैया कराए गए, जिससे वो इस्लामाबाद निवासी नबी अहमद बन गए।

पाकिस्तानी सेना में मेजर बने, वहीं की युवती से शादी

रवींद्र ने पाकिस्तान पहुंचने के बाद यहां कराची के लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया और डिग्री भी ले ली। इस दौरान वो लगातार RAW को पाकिस्तान से जुडी कुछ संवेदनशील जानकारियां भेजते रहे।

इस बीच वहां पाकिस्तानी सेना में भर्ती का विज्ञापन निकला। रवींद्र ने सोचा आवेदन करना चाहिए। हालांकि, उनके इस विचार को रॉ के बड़े अधिकारियों ने खारिज कर दिया, क्योंकि दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान रवींद्र की पहचान छिप पाना मुश्किल था।

बावजूद इसके रवींद्र ने अप्लाय किया और परीक्षा पास कर पाकिस्तानी सेना में नौकरी भी हासिल कर ली। इसी दौरान रवींद्र उर्फ़ नबी अहमद को इस्लामाबाद में रहने वाले एक दूसरे पाकिस्तानी सैनिक की बेटी अमानत नाम की लड़की से प्यार हो गया।

कुछ समय बाद दोनों ने निकाह कर लिया। रवींद्र ने अमानत को भी अपने बारे में कुछ सच नहीं बताया था। रवींद्र पाकिस्तानी सेना के जिस ऑफिस में पोस्टेड था, वहां से निकलने वाली हर जानकारी वो RAW तक पहुंचा रहे थे।

ये जानकारियां RAW के लिए अनमोल थीं। यहीं वजह थी कि तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने रवींद्र को ब्लैक टाइगर का खिताब दिया था। इधर समय बीतता गया और रवींद्र पाकिस्तानी सेना में प्रमोशन पाकर मेजर तक बन गए थे।

एजेंट बनने से पहले रवींद्र को रॉ की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा।
एजेंट बनने से पहले रवींद्र को रॉ की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा।

परिवार को बताया दुबई में जॉब

बड़ी बहन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘रवींद्र ने श्रीगंगानगर में अपने परिवार को ये बता रखा था कि वो दुबई में काम करता है। साल 1981 के आस-पास रवींद्र को पता चला कि भारत में उसके छोटे भाई राजेश की शादी है।

ऐसे में उसने RAW के अधिकारियों से कुछ दिनों के लिए इंडिया आने की परमिशन मांगी। रॉ ने इसे मंजूर कर दिया ओर बेहद ही गोपनीय तरीके से रवींद्र को भारत आने दिया गया।

इस दौरान रवींद्र सब के लिए कई गिफ्ट लेकर आया। इस दौरान उसने किसी को ये पता नहीं चलने दिया कि वो पाकिस्तान में रह रहे हैं। घर में सभी रवींद्र की शादी को लेकर भी परेशान थे और सब उस पर दबाव बना रहे थे।

जब ये दबाव बढ़ने लगा तो रवींद्र ने सब को बता दिया कि उसने दुबई में शादी कर ली है और उसकी पत्नी का नाम अमानत है। जल्दी ही उसे बच्चा भी होने वाला है।

रवींद्र के मुंह से ये सब सुन कर परिवार वाले हैरान हो गए थे। उसके पिता तो नाराज भी हो गए थे। धीरे धीरे सब ने ये मान लिया। कुछ दिन बाद ही रवींद्र वापस पाकिस्तान और घर वालों के लिए दुबई चले गए। परिवार ने इसके बाद दुबारा रवींद्र को कभी नहीं देखा।

रवींद्र ने परिवार तक को नहीं बताया कि वो रॉ एजेंट हैं। उन्हें बताया कि वो दुबई में जॉब करते हैं।
रवींद्र ने परिवार तक को नहीं बताया कि वो रॉ एजेंट हैं। उन्हें बताया कि वो दुबई में जॉब करते हैं।

दूसरी एजेंट के कारण पकड़ा गया ‘ब्लैक टाइगर’

अब रवींद्र को एक बेटा भी हो गया था। रवींद्र इन सब के बीच एक पल के लिए भी अपने काम से नहीं भटके और लगातार रॉ को पाक की गोपनीय सूचनाएं भेजते रहे।

साल 1983 के आस-पास भारत में पंजाब की रहने वाली एक नई रॉ एजेंट इनायत मसीह को भी पाकिस्तान भेजा गया। उसे वहां रवींद्र उर्फ़ नबी अहमद के पास जाने को कहा गया।

इनायत पाकिस्तान में पकड़ी गई। ISI की पूछताछ में उसने रवींद्र का राज खोल दिया। अब रवींद्र उर्फ़ नबी अहमद पकड़े गए। रवींद्र से कहा गया कि अगर वो भारतीय सरकार से जुड़ी गोपनीय जानकारी दे दें तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा।

रवींद्र को थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया, लेकिन उन्होंने मुंह नहीं खोला। करीब 3 साल बाद 1985 के अंत में पाकिस्तान में रवींद्र को मौत की सजा सुनाई गई, जिसे बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया।

पाकिस्तान की जेल में बंद रहते हुए रवींद्र कौशिक ने ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रम में पांच-छह पत्र भेजे। इसी दौरान एक कार्यक्रम के दौरान रवींद्र का पत्र सुनकर उनके परिजन भी हैरान रह गए।

रवींद्र के जीवित होने की जानकारी मिलने पर जवाब के तौर पर उन्होंने भी कार्यक्रम में पत्र लिखा। साथ ही दूतावास के माध्यम से रवींद्र से संपर्क करने का प्रयास किया।

तब रवींद्र ने आशा सिंह मस्ताना के गाए गीत ‘जदों मेरी अर्थी उठा के’ की फरमाइश की थी तो इसे पूरा भी किया गया था। कौशिक के परिवार ने उनकी वापसी के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री के समक्ष लगातार पैरवी की।

हालांकि, सरकार ने यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह एक जासूस थे। आखिरकार साल 2001 में पाकिस्तानी जेल में टीबी और फिर हार्ट अटैक की वजह से रवींद्र की मौत हो गई।

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