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विश्व पृथ्वी दिवस पर मिलिए रोज एक पौधा लगाने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता उषा देवी से


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विश्व पृथ्वी दिवस पर मिलिए रोज एक पौधा लगाने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता उषा देवी से

विश्व पृथ्वी दिवस पर मिलिए रोज एक पौधा लगाने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता उषा देवी से

विश्व पृथ्वी दिवस : बचपन में पिता के साथ खेत पर गई उषा देवी को वहां लगे खेजड़ी के पेड़ से मिलने वाली छाया ने यह समझा दिया कि एक पेड़ इतनी छाया दे सकता है तो बहुत सारे पेड़ लगाए जाएं तो वह कितनी छाया दे सकते हैं। बस यही से उषा देवी ने स्वयं से प्रेरित होकर पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने अनेक स्थानों पर पौधे लगाकर तालाब से मटकी भरकर उन्हें पानी पिलाना शुरू किया। उनके लगाए अनेक पौधे आज विशाल वर्षों के रूप में देखे जा सकते हैं। पेड़ों को साक्षात ईश्वर की तरह मानने वाली उषा देवी को कुछ ही वर्षों पहले श्री कल्पतरु संस्थान से जुड़ने का अवसर मिला। इसके बाद इस मंच के माध्यम से देश और दुनिया उनके कार्यों से प्रेरित होने लगी। वह संस्थान की सक्रिय स्वयंसेविका के तौर पर जल जंगल जानवर और जमीन के लिए सराहनीय नवाचार करके लोगों को प्रेरित कर रही हैं। पर्यावरण के प्रति जुनून इस कदर बढ़ता रहा कि वह पिछले पंद्रह वर्षों से प्रतिदिन एक पौधा लगा रही है। सतरह वर्ष पूर्व उषा देवी विवाह करके ससुराल पहुंची तो वहां भी पेड़ों की कमी थी। यही देखकर उन्होंने शीशम गुड़हल और बरगद जैसे पौधों की टहनियों से पौधारोपण शुरू कर दिया। उनका मानना है कि घर बनाने से पहले पेड़ जरूर लगाया जाए। उनके द्वारा बचपन में लगाए पौधों की छांव में जब आज बुजुर्ग बैठते हैं तो उषा को धन्यवाद देते नहीं थकते। उन्होंने घर के बाहर अपने ही लगाए पेड़ों पर पशु पक्षियों के लिए दाने-पानी की नियमित व्यवस्था भी संचालित कर रखी है। जहां स्थानीय प्रजातियों के असंख्य जीव जंतु प्रतिदिन दाना पानी चुगते हुए देखे जा सकते हैं। गर्मियों में पश्चिमी राजस्थान का तापमान पचास डिग्री से भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसी विकट स्थिति में भी उषा देवी पेड़ों का संरक्षण करना नहीं भूलती। उन्होंने अपने घर में भी अनेक प्रजातियों के पौधे लगा रखे हैं। अपने ननिहाल के रेतीले धोरों के बीच पेड़ लगाए और जिंदा करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया। क्योंकि यहां के लोगों का मानना था कि हमारे यहां पर पेड़ नहीं लगते लेकिन उषा देवी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से रेगिस्तान के तपते धोरों के बीच पौधे लगाकर हरियाली फेलाते हुए जन मानस को प्रेरित करने का कार्य किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर उषा ने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत सबसे पहले अपनी मां के साथ और उसके बाद अपनी दोनों पुत्रियों के साथ पौधे लगाए। घर पर आने वाली फल सब्जियों और आसपास लगे बड़े पेड़ों के नीचे गिरे बीजों को एकत्रित करके घर पर ही पौधे तैयार करना और आने वाले मेहमानों को भेंट करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उनकी इसी छोटी सी नर्सरी से वह रेगिस्तान के तपते धोरों में दूर-दूर जाकर पौधे लगती हैं और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती हैं। प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भूमि पूजन के समय पारिजात का पौधा लगाया तो उषा देवी ने भी अपनी घर की नर्सरी में पौधे तैयार करके मोहल्ले में वितरित करके लोगों को बधाई दी। महिलाओं के शमशान न जाने की मान्यताओं को निराधार करते हुए उषा देवी अपनी दादी सहित अनेक पूर्वजों की याद में प्रतिवर्ष शमशान जाकर पौधे लगती हैं और उनका संरक्षण करती हैं। उजाड़ पड़ा शमशान आज हरा भरा दिखाई देने लगा है। वन्य जीव संरक्षण की दिशा में भी उषा देवी के प्रयास हर किसी के लिए प्रेरणादायक हैं। आवारा पशुओं को लगी चोटें या उनकी बीमारियां देखकर स्वयं जगह जगह जाकर उनके मरहम पट्टी करती है और स्वस्थ नहीं होने तक उनका ध्यान रखती है। इतना ही नहीं, तपती गर्मियों में चप्पल बांटनी हो या सर्दियों में कंबल वितरण करने हो उषा देवी सदैव बढ़ चढ़कर जरूरतमंदों की सेवा में जुटी रहती हैं। उषा देवी की सराहनीय सेवाओं केn लिए राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने वृक्ष मित्र पुरस्कार, राज्यपाल हरि भाव बागडे ने ग्रीन आईडल अवार्ड और जयपुर सांसद मंजू शर्मा ने श्रेष्ठ पर्यावरण कार्यकर्ता सम्मान से भी सम्मानित किया है। बता दें कि श्री कल्पतरु संस्थान ने पिछले तीस वर्षों में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाकर संरक्षित किए हैं। संस्थान में उषा देवी जैसे हजारों वॉलिंटियर्स निस्वार्थ सेवाओं दे रहे हैं।

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