झुंझुनूं सहित देश के गरीब मजदूरों की आवाज फिर उठी संसद में
फैक्ट्रियों और कंपनियों में हर हाल में मिले मज़दूरों को न्यूनतम वेतन – सांसद बृजेन्द्र सिंह ओला

झुंझुनूं : झुंझुनूं से सांसद बृजेन्द्र सिंह ओला ने संसद में गरीब मज़दूरों की आवाज बुलंद करते हुए कहा कि देशभर की फैक्ट्रियों और कंपनियों में कार्यरत श्रमिकों को आज भी न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के बावजूद तय न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है।
सांसद ने बताया कि श्रम मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक हजारों मामलों में मज़दूरों को न्यूनतम वेतन न देने की शिकायतें दर्ज हुईं। निरीक्षण में भी अधिनियम का व्यापक उल्लंघन सामने आया, लेकिन गिनती के मामलों में ही अभियोजन चलाया गया।
उन्होंने इस स्थिति को बेहद चिंताजनक और शर्मनाक बताते हुए कहा कि एक ओर सरकार “श्रमिक कल्याण” और “सबका साथ, सबका विकास” की बातें करती है, वहीं दूसरी ओर मजदूरों को उनका संवैधानिक हक़ तक नहीं मिल पा रहा।
ओला ने कहा कि – मज़दूर वर्ग देश की असली रीढ़ है। यदि यही वर्ग न्यूनतम अधिकारों से वंचित रहेगा तो सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता के सारे दावे खोखले साबित होंगे।
उन्होंने सरकार से मांग की कि –
- न्यूनतम वेतन अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जाए।
- शिकायतों के समाधान के लिए विशेष निगरानी तंत्र बनाया जाए।
- ताकि गरीब मजदूरों का परिवार भी सम्मानजनक ढंग से अपनी आजीविका चला सके।