जीवन के लिए जरूरी हैं पेड़-पौधे, पर्यावरण का महत्व समझें: अनोप भाम्बु
जीवन के लिए जरूरी हैं पेड़-पौधे, पर्यावरण का महत्व समझें: अनोप भाम्बु
जैसे समाज की मूलभूत इकाई परिवार होता है, उसी तरह परिवार में पेड़ भी महत्वपूर्ण सदस्य होना चाहिए। ऐसा करने से हमारे समाज के बच्चे-बूढ़े सभी में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी।
मूल रूप से राजस्थान के जोधपुर जिले के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अनोप भाम्बु ने मेट्रिक तक अपनी पढ़ाई की। किसान परिवार से होने के कारण हमेशा से ही अनोप भाम्बु को पेड़ों व प्रकृति से लगाव था।
प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। लेकिन वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि इस महत्वपूर्ण दिवस को भी लोगों ने फैशन बना दिया है. केवल सुंदर-सुंदर फोटो खिंचाने के बाद सोशल मीडिया में अपलोड करते हैं और भूल जाते हैं. इस तरह के कार्य से पर्यावरण को बचाया नहीं जा सकता है.पर्यावरण प्रेमी अनोप भाम्बु ने बताया कि भले ही देशवासी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “मां के नाम पर एक पेड़” की अपील पर पौधे लगा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर अधिकारियों की औद्योगिक घरानों से मिलीभगत, अनदेखी एवं लापरवाही से प्रदेश में वन भूमि से लाखों से अधिक पुराने, विशालकाय हरे-भरे पेड़ों को काटने की अनुमति देने से लाखों पेड़ों पर करोड़ों पक्षियों एवं वन्यजीवों का बसेरा है, जो समाप्त हो जाएगा। पौधारोपण में 10 प्रतिशत पौधे ही जीवित रह पाते हैं ऐसी स्थिति में लाखों की संख्या में पेड़ों को काटना प्रकृति की हत्या कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है। सोलर पॉवर प्लांट को सघन वन क्षेत्रों में लगाने के बजाय रिक्त भूमि में लगाया जाना चाहिए। पर्यावरण प्रेमी अनोप भाम्बु ने कहा की हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर काम करेंगे और प्रकृति का सम्मान करेंगे।
लोक संस्कृति को बचाने के लिए भी पर्यावरण संरक्षण जरूरी है आजकल ग्रो ग्रीन की बातें होती हैं लेकिन गमले में पौधा लगा देना ही पर्यावरण संरक्षण नहीं है. बल्कि पर्यावरण के संतुलन को देखते हुए उस स्थान की जलवायु और पशु-पक्षियों को ध्यान में रखते हुए पौधारोपण करना जरूरी है।
पर्यावरणविद् अनोप भाम्बु ने कहा है कि पौधे चाहे कम संख्या में लगाए जाएं। लेकिन उनकी देखभाल और जीवित रखने की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की है कि पौधारोपण अभियानों को केवल रिकॉर्ड बनाने के बजाय, धरातल पर हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाए, ताकि इसके वास्तविक और स्थायी परिणाम देखे जा सकें।
पौधारोपण के बाद इन पौधों को जीवित रखने की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। कई विद्यालयों में, पौधे लगाने के स्थान के अभाव में, इनका वितरण छात्रों को कर दिया गया, लेकिन ये पौधे घरों में गमलों में नहीं लगाए जा सकते, जिससे वे नष्ट हो गए। हमें अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने चाहिए, जैसे कि पानी की बचत करना, ऊर्जा की बचत करना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, और पेड़ लगाना। ये छोटे-छोटे बदलाव हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।