रस्से और सीढ़ियों के सहारे 1875 फीट नीचे उतरी टीम:खदान के अंदर ही शुरू किया इलाज; मोशन ग्राफिक्स के जरिए देखिए पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन
रस्से और सीढ़ियों के सहारे 1875 फीट नीचे उतरी टीम:खदान के अंदर ही शुरू किया इलाज; मोशन ग्राफिक्स के जरिए देखिए पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन

खेतड़ी : हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की कोलिहान खदान में हुए हादसे के बाद खदान में सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना है कि खेतड़ी कॉपर माइन एशिया में सबसे सुरक्षित खान मानी जाती है। इसके बावजूद यह हादसा कैसे हो गया। लोगों का कहना था कि जांच के लिए आए अधिकारी ही सुरक्षित नहीं रह पाए तो फिर किस तरह से खान को सुरक्षित बताया जा रहा है। उनका कहना था कि कोलिहान मांइस में आज भी पुरानी टेक्नोलॉजी अपनाई जा रही है जबकि अब नई तकनीक से काम होना चाहिए। विधायक धर्मपाल गुर्जर ने भी इस बात को माना है।
राजस्थान के खेतड़ी में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की कोलिहान खदान में मंगलवार को बड़ा हादसा हुआ था। लिफ्ट की चेन टूटने से खेतड़ी माइंस चीफ समेत 15 अधिकारी ग्राउंड लेवल से 1875 फीट नीचे फंस गए थे। सभी अधिकारियों को बचाने के लिए करीब 42 डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीम के मेंबर्स ने लगातार 15 घंटों तक ऑपरेशन चला कर बचाया। चलिए मोशन ग्राफिक्स से जानते हैं कि कैसे रेस्क्यू टीम फंसे हुए लोगों तक पहुंची और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
15 अधिकारी व कर्मचारी जिनको खदान से बाहर निकाला गया
खदान में फंसे 15 अधिकारियों व कर्मचारीयों
- उपेन्दर कुमार पांडेय, सीवीओ एचसीएल (मुख्य सतर्कता अधिकारी दिल्ली)
- जीडी गुप्ता, केसीसी ईकाई प्रमुख
- वनेंदु भंडारी, सहायक उप महाप्रबंधक, विजिलेंस,
- एके शर्मा उपमहाप्रबंधक/खदान प्रबंधक (कोलिहान खदान)
- करण सिंह गहलोत सुरक्षा अधिकारी कोलिहान
- यशोराज मीणा सहायक महाप्रबंधक
- रमेश नारायण सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक, खदान
- एके बैरा सहायक उप महाप्रबंधक, मैकेनिकल
- अर्णव भंडारी, मुख्य प्रबंधक, खदान,
- विनोद शेखावत वरिष्ठ प्रबंधक विद्युत
- वनेंदू भंडारी सहायक उपमहाप्रबंधक (विजिलेंस)
- निरंजन साहू, वरिष्ठ प्रबंधक, रिसर्च
- प्रीतम सिंह, प्रबंधक
- विकास पारीक
- हरसीराम कर्मचारी
- भागीरथ
‘215 मीटर गहराई पर लिफ्ट टकराई तो सभी के पैर टूटे… दर्द से कराहने लगे’ हादसे के शिकार अफसरों ने बताई आपबीती
एक अधिकारी की हुई मौत
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एक अधिकारी की मौत हो गई है। हादसे में मौत के शिकार हुए उपेंद्र पांडे मुख्य सतर्कता अधिकारी थे। वे कोलकाता से आई विजिलेंस टीम के सदस्य थे। तमाम कोशिशों के बावजूद पांडे को बचाया नहीं जा सका। राहत की बात यह रही कि खदान में फंसे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर निकाल लिया गया है।
इस हादसे का शिकार खदान का निरीक्षण करने कोलकाता से आई टीम और खदान चीफ समेत अन्य अधिकारी हुए थे। इनका जयपुर के मणिपाल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। उपेन्द्र पांडे के शव को खेतड़ी के केसीसी हॉस्पिटल में रखवा दिया गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की टाइमलाइन
(मंगलवार शाम 5 बजे 15 लोगों की विजिलेंस टीम कोलिहान खदान पहुंची।)
- मंगलवार रात 8.10 बजे टीम के बाहर आते समय लिफ्ट की चेन टूटी
- रात 9.37 बजे डॉक्टर्स की टीम को अलर्ट किया गया
- रात 10.19 बजे लिफ्ट का गेट खोला गया
- रात 10.23 बजे बजे डॉक्टर्स और रेस्क्यू टीम नीचे भेजी गई बुधवार
- रात 12.45 बजे डॉक्टर्स और रेस्क्यू की तीसरी टीम भेजी गई
- रात 2:15 बजे दवाइयां, मेडिकल किट और खाने के पैकेट अंदर भेजे गए
- रात 3:14 बजे जयपुर से SDRF की टीम पहुंची
- सुबह 07:47 बजे तीन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया
- सुबह 9.30 बजे पांच लोगों को बाहर निकाला गया
- सुबह 10.29 बजे दो लोगों को बाहर निकाला गया
- दोपहर 12.21 बजे चौथे राउंड में चार लोग बाहर आए
- दोपहर 12.40 बजे एक व्यक्ति की मौत की खबर
- दोपहर 12.45 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हुआ
रेस्क्यू टीम में शामिल चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा की जुबानी…
रात 9 बजे तक यह खबर सब जगह फैल चुकी थी। खेतड़ी के आसपास के सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया। मौके पर रेस्क्यू टीम तैनात कर दी गई। अब सवाल था कि सभी को बाहर कैसे निकाला जाए? खेतड़ी कॉपर कॉर्पोरेशन (KCC) की रेस्क्यू टीम ने प्लान बनाना शुरू किया।
रात को करीब साढ़े नौ बजे कॉल आया कि कोलिहान खदान में हादसा हो गया है। तुरंत पहुंचिए। हम बिना एक मिनट गंवाए तुरंत मौके के लिए रवाना हो गए। हमारी पूरी टीम थी। हमें नहीं पता था कि वहां क्या हुआ है, क्या हालात हैं, अंदर कैसे जाएंगे? हम थोड़ी ही देर में मौके पर पहुंच चुके थे। रात 10 बजे टीम अंदर जाने के लिए तैयार थी। मैं पहली बार खदान में गया था। लिफ्ट के गेट पर मौजूद केसीसी प्रशासन की टीम ने हमें बताया कि अंदर 15 लोग फंसे हैं। एक रेस्क्यू टीम को अंदर भेजा है, अब आपको अंदर जाना है। रेस्क्यू टीम आपकी मदद करेगी।
एक लोडर (खदान में मजदूरों को ले जाने वाली गाड़ी) में टीम को भेजा गया। खदान में जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, टनल देखकर अंदाजा हो गया था कि लोग बड़ी मुसीबत में हैं। उन्हें तुरंत ही मदद की जरूरत है। गीली मिट्टी वाले ढलान पर लोडर बहुत ही धीरे से आगे बढ़ रहा था, लेकिन ड्राइवर अपनी पूरी कोशिश कर रहा था कि तेजी से चले। वह जितना तेज चल सकता था, उसने इसमें एक भी मिनट की देरी नहीं की।

पहली चुनौती : बिना लिफ्ट नीचे कैसे जाएं?
मुश्किल ये थी कि यह लोडर जमीन के अंदर रैंपनुमा बनी सड़क से केवल 64 मीटर की गहराई तक ही जा सकता था, लेकिन अधिकारियों की टीम उससे भी करीब 500 मीटर से ज्यादा नीचे फंसी थी। जहां आमतौर पर लिफ्ट से जाने का रास्ता था, लेकिन वो तो टूट चुका थी।
हम टनल में एक पॉइंट पर पहुंचे। यह 64 मीटर पर था। यहां से आगे लिफ्ट जाती है, लेकिन वह टूट चुकी थी।
रेस्क्यू टीम और कुछ डॉक्टर्स लिफ्ट के पास ही बनी करीब 70 सीढ़ियों से जीरो लेवल यानी 424 मीटर पर नीचे जाने के लिए रवाना हुए। ये सीढ़ियां दो बाई दो फीट की पतली सी जगह में लगाई गई थीं और हर 20 फीट की दूरी पर खत्म हो जाती थीं। इसके बाद दूसरी सीढ़ियां शुरू होती थीं।

दूसरी चुनौती : संकरा रास्ता, रस्सी के सहारे उतरी टीम
रात 10 बजे रेस्क्यू टीम जीरो लेवल पर पहुंच चुकी थी। अब यहां से माइनस 76 मीटर पर जाना था, जहां 15 अधिकारी फंसे थे। डॉक्टर्स को यहीं रोक दिया गया और एक बहुत ही संकरे रास्ते से रस्सी डालकर सिर्फ कुछ मेडिकल स्टाफ, एसडीआरएफ और रेस्क्यू टीम के कुछ सदस्यों को नीचे उतारा गया।
तीसरी चुनौती : घायलों को स्ट्रेचर से बांधकर लाए ऊपर
असली मुश्किलें अब सामने थीं। फंसे हुए लोग घायल थे और उन्हें ऊपर लाना आसान काम नहीं था। ऐसे में टीम ने एक झूला बनाया ताकि उसमें उन्हें जीरो लेवल तक भेजा सके, लेकिन यह कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद एक स्ट्रेचर को सीधा करके अंदर डाला गया और उस पर घायलों को बांधकर उन्हें बाहर खींचा गया।
इस स्ट्रेचर पर घायलों को बांधकर उन्हें 76 मीटर ऊपर जीरो लेवल पर भेजा गया। पहले व्यक्ति को रात 11:30 बजे यहां तक लाया जा चुका था और आखिरी घायल को रात करीब एक बजे डॉक्टर्स के पास पहुंचाया गया। जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया।
उन्हें खाने के लिए बिस्किट दिए गए। इसके बाद एक पूली के जरिए उन्हें 360 मीटर और ऊपर खींचा गया। यहां से लोडर के जरिए चार राउंड में उन्हें खदान के मेन गेट पर भेजा गया।

मैं सबसे नीचे घायलों तक पहुंचा
रेस्क्यू टीम में शामिल खेतड़ी उपजिला अस्पताल में मेडिकल स्टाफ शीशराम गुर्जर ने बताया कि कैसे संकरी सुरंग से होते हुए घायलों तक पहुंचे और उन्हें स्ट्रेचर के जरिए डॉक्टर्स तक पहुंचाया-
हम लोग जीरो लेवल से नीचे माइनस 76 तक गए। वहां जाना ही अपने आप में बहुत मुश्किल काम था। जैसे-जैसे हम आगे बढ़े, मैं यही सोच रहा था कि फंसे हुए लोग कितनी हिम्मत रख रहे होंगे। जब मैं फंसे हुए लोगों तक पहुंचा तो वे बहुत ही आशंकित थे। हालांकि एक दूसरे को बहुत ही हिम्मत दे रहे थे। उन सभी को चोट लगी थी, लेकिन इसके बावजूद वे खुद का दर्द भूलकर दूसरे साथी को संभाल रहे थे।
रेस्क्यू टीम को देखते ही उन्हें यकीन हो गया कि अब जल्द ही बाहर निकाल लिए जाएंगे। यह पूरा ऑपरेशन हमारे लिए बहुत ही भयानक था, क्योंकि हम बहुत गहराई में काम कर रहे थे। हमारी टीम ने सभी घायलों को संभाला। उनकी हालत चेक की और प्राथमिकता के आधार पर एक-एक कर के स्ट्रेचर पर बांधकर 76 मीटर ऊपर डॉक्टर्स तक पहुंचाया।
इस पूरे ऑपरेशन में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, भीलवाड़ा की रेस्क्यू टीम की भी मदद ली गई।

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की रैपिड रेस्क्यू टीम के अधिकारी वेदांत तिवारी ने बताया कि हमें खुद घायलों तक पहुंचना था। मदद के लिए नीचे जा रहे डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को भी सुरक्षित स्पॉट पर पहुंचाने और ग्राउंड पर लेकर आने की जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही जीरो लेवल से भी डार्क जोन माइनस 76 मीटर पर फंसे हुए लोगों को 2 फीट चौड़े होल से ऊपर खींचना था। तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद हमारी टीम के साथ हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की टीम ने भी रेस्क्यू प्लान को सफल बनाया है। ये हमारे लिए गर्व की बात है।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़े मैं यही सोच रहा था कि फंसे हुए लोगों की क्या हालत होगी। जब मैं फंसे हुए लोगों तक पहुंचा तो वे बहुत ही आशंकित थे, हालांकि एक दूसरे को बहुत ही हिम्मत दे रहे थे।~~ शीशराम गुर्जर मेडिकल स्टाफ
मजदूरों ने बार-बार आवाज उठाई, चेतावनी भी दी कि लिफ्ट का मेंटिनेंस नहीं कराया तो वे खदान में नहीं उतरेंगे
इस माइंस में भी दशकों पुराना लिफ्ट सिस्टम है। इसकी प्रोपर मेंटिनेंस नहीं की गई तो यहां भी इससे कहीं बड़ा हादसा हो सकता है। ये बात खेतड़ी माइंस में काम कर रहे मजदूर कह रहे हैं। रोज लिफ्ट में सवार होकर 500 मीटर गहरी खदान में उतरने और बाहर आने वाले मजदूर बताते हैं कि अक्सर केज अचानक इतनी तेज ट्रिप कर जाती है कि ऐसा लगता है जैसे लिफ्ट का रस्सा टूट गया। लिफ्ट चलते चलते अचानक करंट छोड़ देती है और 15-20 मीटर तक केज अचानक फ्री होकर स्पीड के साथ नीचे गिरने लगता है। उस वक्त केज में बैठे मजदूरों की धड़कन बढ़ जाती है। घबराहट से पसीने छूट जाते हैं। ऐसी गड़बड़ी आज से नहीं करीब 2 साल से बार-बार हो रही है। ऐसे में खेतड़ी कॉपर माइंस में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों में हादसे का डर बैठ गया है। खेतड़ी माइंस के मजदूरों ने बार-बार आवाज उठाई है।
चेतावनी भी दी कि लिफ्ट के मेंटिनेंस के लिए एक महीने में सिस्टम दुरुस्त नहीं हुआ तो वे खदान में नहीं उतरेंगे। लिफ्ट में बार-बार ट्रिपिंग की समस्या को दूर करने के लिए दिल्ली से एक्सपर्ट की टीम भी बुलाई गई पर वो भी इसे दूर नहीं कर सके। पूर्व में इस सिस्टम को संभाल चुके रिटायर्ड एक्सपर्ट भी बुलाए गए थे पर वे भी गड़बड़ी नहीं पकड़ पाए। दरअसल खेतड़ी खदान का लिफ्ट सिस्टम 50 साल से भी ज्यादा पुराना है। उसे बनाने वाली कंपनी भी बंद हो चुकी है। ऐसे में स्पेयर पार्ट्स और वैसे इंजीनियर्स व एक्सपर्ट भी अब नहीं मिलते।
कब किसको बाहर निकाला • 7:30 बजे : पहले राउंड में तीन घायलों को बाहर निकाला गया एके शर्मा, प्रीतम सिंह, हरसीराम, • 8:59 बजे : दूसरे राउंड में पांच को निकाला, जीडी गुप्ता, एके बैरा, वनेंदू भंडारी, निरंजन साहू, भागीरथ सिंह • 10:10 बजे: तीसरे राउंड में दो को निकाला, कर्ण सिंह गहलोत व रमेश नारायण सिंह को निकाला गया। • 12:04 बजे : चौथे राउंड में पांच को निकाला : यशोराज मीणा, अर्णव भंडारी, विनोद सिंह शेखावत, विकास पारीक को निकाला, इन्हीं के साथ सीवीओ उपेंद्र पांडे का शव भी बाहर लाया गया।
यूनियन के एक पदाधिकारी ने बताया कि कोलिहान खदान में 50 हजार टन अयस्क का प्रतिमाह खनन होता है और 532 कर्मचारी तीन पारी में काम करते हैं। इनमें 450 ठेके के कर्मचारी और 82 स्थाई कर्मचारी हैं। मंगलवार रात को जब हादसा हुआ, तब खदान में 75-80 कर्मचारी काम कर रहे थे, हालांकि वे सभी समय पर बाहर आ गए थे।
खदान श्रमिकों की सुरक्षा के लिए जारी की एडवाइजरी
हादसे के बाद भारतीय खान ब्यूरो ने खदान श्रमिकों की वाइंडिंग विफलताओं से सुरक्षा के लिए सभी भूमिगत धातु खदानों के मालिकों और प्रबंधकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। चीफ कंट्रोलर ऑफ माइंस पीएन शर्मा ने निर्देशों के साथ-साथ भूमिगत खदानों में अधिकारियों व कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनाए जाने वाले उपाय बताए हैं। इसमें केज, लिफ्ट, वाइन्डर, हेडगियर, रस्सियों जैसे उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ समय-समय पर ऑडिट, निरीक्षण और ऐसे उपकरणों के रखरखाव में आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करने की एडवाइजरी जारी की है।

कॉपर माइंस में लिफ्ट नीचे गिरी थी। घायलों को जयपुर भेजा गया है। केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण, केंद्र के स्तर पर इसकी जांच होगी। जांच में हमसे जो भी सहयोग मांगा जाएगा, वह किया जाएगा। हादसे की सूचना के बाद प्रशासनिक स्तर पर सभी तरह के इंतजाम कर दिए गए थे। ~~~-शरद मेहरा, जिला कलक्टर नीमकाथाना
जानकारी मिलते ही हरियाणा से सीधा यहां पहुंच गया था। हालांकि यह सबसे सुरक्षित खान मानी जाती है लेकिन सुनने में और दिखने में आता है कि खदान में मशीनरी पुरानी टेक्नोलॉजी की है, हम केंद्र से निवेदन करेंगे कि यहां हाई टेक्नोलॉजी की मशीनरी लगाई जाए ताकि भविष्य में इस तरह का हादसा नहीं हो। सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। जिला कलक्टर से भी कहा है कि हमारे स्तर पर भी जांच होना चाहिए। केंद्र के स्तर पर भी जांच करवाई जाएगी।~~~धर्मपाल गुर्जर, विधायक खेतड़ी
यह खौफनाक मंजर हमेशा याद रहेगा, हर कदम पर मौत थी
डॉ. महेंद्र सैनी और डॉ. प्रवीण शर्मा
हादसे की सूचना मिलते ही हम केसीसी हॉस्पिटल गए। वहां से पता चला कि सभी लोग केज (लिफ्ट) में फंसे हुए हैं। उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है। तब मेडिकल टीम व दवाइयां लेकर कोलिहान पहुंचा। वहां पता चला कि 15 लोग जीरो लेवल से माइनस 76 मीटर पर फंसे हुए हैं। हमें एक वाहन से हमें नीचे ले जाया गया। रास्ता बहुत ही खतरनाक था। घुमावदार रास्ता था। कई घुमाव पार करते हुए हमारी टीम को लेवल 64 मीटर तक ले जाया गया। यहां से आगे गाड़ी नहीं जा सकती थी। उसके बाद सीढ़ियों से हम करीब 76 मीटर नीचे उतरे। वहां लोग दर्द से कराह रहे थे। चारों तरफ अंधेरा था। इनकी मरहम पट्टी की गई। पूरी रात इनके साथ ही रहे। यह हादसा जिंदगीभर याद रहेगा।
लोडर ऑपरेटर चेतराम रहे हीरो: जान की परवाह किए बिना घायलों को बाहर निकालने पांच बार खदान में गए
मैं बनवास खदान में लोडर ऑपरेटर हूं। सूचना पर मैं करीब साढ़े आठ बजे कोलिहान पहुंचा। वहां से मुझे घायलों तक पहुंचने वाली रेस्क्यू टीम के साथ जाने के लिए कहा गया। मैं तुरंत नोरमेट (विशेष वाहन) लेकर आया। इस 30 सीटर वाहन में रात 11 बजे मेडिकल टीम को लेकर खदान में गया। ढाई किमी दूरी तय करके हम 64 मीटर लेवल पर पहुंचे। वहां से आगे वाहन नहीं जा सकते थे। सीढ़ियों से नीचे पहुंचे। सुबह 6:10 बजे इसी नोरमेट में तीन घायलों को लेकर वहां से चला। करीब घंटेभर में इनको लेकर बाहर आया। इस तरह पांच चक्कर लगाकर सभी को बाहर निकाल लाया।
रेस्क्यू टीम की हुई सराहना
मौके पर मौजूद जिला कलेक्टर शरद मेहरा, एसपी प्रवीण नायक, विधायक खेतड़ी धर्मपाल गुर्जर तथा स्थानीय नागरिकों ने एसडीआरएफ की टीम को धन्यवाद दिया तथा रेस्क्यू टीम द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
इससे पहले प्रशासन ने खदान में फंसे अधिकारियों के लिए दवाइयां और फूड पैकेट भेजे थे। वहीं एंबुलेंस और डाॅक्टर्स की टीम को भी तैनात किया गया था। जानकारी के अनुसार इस खदान में 13 मई से निरीक्षण का काम चल रहा था। इसी क्रम में 14 मई की शाम को चीफ विजिलेंस समेत कई अधिकारी निरीक्षण करने माइंस में उतरे थे।
घटना की सूचना मिलने पर खेतड़ी विधायक धर्मपाल गुर्जर भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने एएनआई को बताया कि वे हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें खदान हादसे की जानकारी मिली वे मौके पर पहुंचे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है जल्द ही फंसे हुए अधिकारियों को बाहर निकाल लिया जाएगा। एसपी प्रवीण नायक ने जानकारी देते हुए बताया कि देर रात 12 बजे भेजा गया तीसरा रेस्क्यू दल अधिकारियों तक पहुंच गया है। फंसे हुए अधिकारियों को जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा।
काफी समय तक लिफ्ट में ही पड़े रहे : भंडारी
अस्पताल में भर्ती चीफ मैनेजर अर्णव भंडारी ने बताया कि उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। सीने में काफी दर्द हो रहा है। हादसे के बारे में पूछने पर बोले- अचानक जब लिफ्ट तेजी से गिरने लगी कि तो किसी के कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ है। कुछ समझ पाते, इससे पहले तेज झटके के साथ लिफ्ट रुकी। पहले तो खुद को देखकर संभाला, फिर साथियों को देखा। काफी समय तक कोई हिल भी नहीं पा रहा था। एक ही जगह पर पडे़ थे। टेक्निशियन से बात होने पर सिग्नल मिलने पर जान में जान आई। उनके पास ही 108 वार्ड में करण सिंह गहलोत एडमिट है। उनके दोनों पांव में प्लास्टर लगा है। वहीं मणिपाल अस्पताल में भी 8 मरीजों को भर्ती करवाया गया है।

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