खाटूश्याम में भक्तों को लूटने वाला गैंग:गेम खिलाकर पैसे डबल करने के बहाने मिनटों में ठगी, खौफ ऐसा कि 1 भी मुकदमा नहीं
खाटूश्याम में भक्तों को लूटने वाला गैंग:गेम खिलाकर पैसे डबल करने के बहाने मिनटों में ठगी, खौफ ऐसा कि 1 भी मुकदमा नहीं

खाटूश्यामजी : ऊपर तस्वीरों में नजर आ रहे ठग दिल्ली-एमपी गैंग के हैं। रींगस (सीकर) में एक्टिव ये गैंग श्याम भक्तों को टारगेट करता है। गेम खिलाकर पैसे डबल करने के बहाने लूट लेता है। शातिर इतने कि पुलिस के पास इनकी फोटो तक नहीं। खौफ ऐसा कि आज तक किसी ने इनके खिलाफ मुकदमा नहीं कराया।
गैंग ने रींगस (सीकर) रेलवे स्टेशन को अड्डा बना रखा है। श्याम भक्तों के ट्रेन से उतरते ही गैंग जाल बिछाना शुरू कर देता है। गेम खेलने के बहाने पैसे डबल करने का लालच दिया जाता है। ठग कुछ ही मिनटों में उनके सारे पैसे ऐंठ लेते हैं। कोई विरोध करता है तो उससे मारपीट की जाती है।
शनिवार-रविवार और एकादशी के कारण खाटू में 18 से 21 जुलाई तक भक्तों की खासी भीड़ थी। इस दौरान इस गैंग ने कई लोगों को शिकार बनाया। कुछ भक्तों ने 112 नंबर पर शिकायत की, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले बदमाश फरार हो गए।
मामला सामने आने के बाद 22 जुलाई को हमारी मीडिया टीम रींगस पहुंची। 2 रिपोर्टर श्याम भक्त बनकर उस गली में गए, जहां गैंग एक्टिव रहता है। वहां कोई नहीं मिला। इसकी एक वजह ये थी कि उसी दिन सीकर के फतेहपुर में पुलिस ने सटोरियों को पकड़ा था, ऐसे में गैंग अलर्ट हो गया था। दूसरे दिन भी हमारी मीडिया टीम गई, लेकिन गली में कोई नहीं मिला।

तीसरे दिन नजर आया ठगी का खेल, डबल रुपए करने का झांसा
हमारे रिपोर्टर 24 जुलाई को उस गली में गए। गली में गैंग ने सरकारी स्कूल के गेट के पास ही टेबल लगा रखी थी। एक बुजुर्ग गेम खिला रहा था। 3 प्लास्टिक की प्लेट इधर-उधर घुमा रहा था। लोगों को डबल होने का लालच देकर पैसे दांव पर लगाने के लिए उकसा रहा था। देखते ही देखते वहां खड़े कई लोगों ने जेब से 500-500 के नोट निकालकर दांव पर लगा दिए।
मीडिया टीम करीब 20 मिनट वहां खड़ी रही। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने 2 से 10 हजार तक रुपए दांव पर लगा दिए। जैसे ही बुजुर्ग ने प्लेट उठाई तो सभी पैसे हार गए। मीडिया टीम ने इस पूरे खेल को कैमरे में रिकॉर्ड किया।
गेम की ट्रिक : तीन रंग के प्लेट, बताना होता है किसके नीचे लाल रंग
- गेम में तीन प्लास्टिक प्लेट यूज किए जाते हैं। ऊपर से तीनों प्लेट पीले रंग के होते हैं। नीचे से एक काले, दूसरा लाल और तीसरा पीला रंग का होता है।
- इसके बाद तेजी से तीनों प्लेट को इधर से उधर रखा जाता है। इतनी तेजी से कि किसी को पता न चले, किस प्लेट के नीचे कौन सा रंग है। इसके बाद पैसे लगाने वाले से पूछा जाता है कि वो कौन सी प्लेट चुनेगा?
- पैसे लगाने वाला जो प्लेट चुनता है, अगर उसके नीचे लाल रंग निकलता है तो डबल पैसे मिलते हैं। वहीं काला या पीला रंग निकलता है तो पैसे डूब जाते हैं।

पुलिस की गाड़ी की सूचना मिलते ही गायब
कुछ ही देर में अचानक से गैंग में शामिल एक युवक चिल्लाया- पुलिस आई। यह सुनते ही ठगी का खेल खिलाने वाले गैंग के सदस्य भीड़ में गायब हो गए। जो टेबल गली में लगाई हुई थी, उसे एक युवक ने एक तरफ रख दिया। पुलिस की गाड़ी गली में आई। इस दौरान न किसी श्याम भक्त, न ही गली में दुकान चलाने वालों ने कोई शिकायत की। पुलिस की गाड़ी कुछ देर वहां खड़ी रही और इसके बाद वहां से चली गई।

हमरी मीडिया टीम ने ढूंढ निकाले सभी चेहरे, गैंग ने शक होने पर पीछा किया
मीडिया टीम ने गैंग के लोगों को ढूंढने के लिए आस-पास की गलियों में सर्च किया। टीम ने टेबल के पास कुछ लोगों को लगातार पैसे लगाते देखा था। उनमें से कुछ लोग इस गैंग के सदस्य ही थे। इसके साथ ही कुछ युवक भीड़ पर नजर रखे हुए थे। वह भी इसी गैंग के सदस्य थे। टीम ने एक-एक कर इन सभी के चेहरों को कैमरे में कैद किया।
इसी दौरान गैंग के सदस्यों को मीडिया टीम पर शक हो गया और रिपोर्टर्स का पीछा करने लगे। टीम खतरे को भांपकर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल गई और रींगस से जयपुर जाने वाले रास्ते पर एक होटल में खाना खाने के लिए रुकी।
5 से ज्यादा लोगों के साथ पहुंचा सरगना
गैंग के सदस्य मीडिया टीम की रेकी कर रहे थे। गैंग के सरगना के साथ 5 युवक होटल पर पहुंच गए। टीम के पास से निकले, लेकिन दोनों रिपोर्टरों ने अनजान बनने का नाटक किया। गैंग के सदस्य काफी देर तक होटल में बैठकर ही टीम पर नजर रखते रहे। इसके बाद वो लोग जयपुर की तरफ हाईवे पर चले गए।
हमारी मीडिया टीम ने पुलिस को दिए गैंग के फोटो, देर रात गिरफ्तार

दूसरे दिन मीडिया टीम रींगस थानाधिकारी सुरेश कुमार चौधरी से मिली। उन्हें ठग गैंग के बारे में बताया। थानाधिकारी ने बताया कि कई बार पुलिस भी कार्रवाई के लिए गई, लेकिन गैंग के सदस्य फरार हो गए। मीडिया टीम ने गैंग के सदस्यों के फोटो और ठगी के वीडियो पुलिस को दे दिए।
25 जुलाई को रींगस पुलिस ने सादा कपड़ों में स्टेशन की उस गली को घेर लिया। पुलिस जब पहुंची तो कुछ लोगों के बीच झगड़ा हो रहा था। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों में वो भी थे, जिनके फोटो हमारी मीडिया टीम ने पुलिस को दिए थे। इसमें से एक घोरेलाल पुत्र किशोर लाल निवासी रातीनड़, भोपाल (MP) और दूसरा सुनील पुत्र गोरेलाल निवासी सागर (MP) है। यह दोनों आम ग्राहक बनकर टेबल पर पैसा लगाते थे, जिन्हें देख दूसरे लोग भी लालच में आ जाते थे।
इनके अलावा पुलिस ने अभिषेक पुत्र रमेश निवासी डिग्गी, अनिल गुप्ता पुत्र बाबूराम निवासी दिल्ली, धर्मेंद्र पुत्र इंद्रसिंह भरतपुर, योगेंद्र पुत्र रामबाबू दिल्ली और देवीलाल पुत्र पोखरमल निवासी जाजोद, सीकर को भी गिरफ्तार किया है।

इस तरह ऑपरेट करता है गैंग
- टारगेट : गैंग का मेन टारगेट बाहर से आने वाले श्याम भक्त होते हैं। इसका कारण है कि ज्यादातर भक्त परिवार के साथ आते हैं। ऐसे में पैसा लुटने पर भी वे ज्यादा विरोध नहीं करते। करते हैं तो गैंग के सदस्य मारपीट से भी नहीं चूकते।
- झांसा : रींगस स्टेशन के मेन गेट से लेकर गली खत्म होने तक गैंग के सदस्य घूमते रहते हैं। जहां भी श्याम भक्तों की टोली देखते हैं, उन्हें ललचाने के लिए आपस में पैसा दोगुना करने वाले खेल की चर्चा करने लगते हैं। कई लोग इस झांसे में आ भी जाते हैं।
- लालच : भीड़ में गैंग के ही कुछ लोग पहले अपनी तरफ से पैसा लगाते हैं और जीत भी जाते हैं। ये देखकर श्याम भक्त भी लालच में आ जाते हैं और मेहनत की कमाई गंवा देते हैं।
- अलर्ट सिस्टम : गैंग के कुछ सदस्य गली के एंट्री पॉइंट पर खड़े रहते हैं। पुलिस को देखते हुए अलर्ट कर देते हैं और कुछ ही सेकेंड में पूरी गैंग वहां से गायब हो जाती है।
- निगरानी : गैंग के कुछ सदस्य टेबल के आस-पास ही निगरानी रखते हैं। जैसे कोई उनका वीडियो तो नहीं बना रहा, फोन पर बात तो नहीं कर रहा। किसी को ज्यादा देर टेबल के पास खड़े भी नहीं रहने देते। कोई गेम नहीं खेल रहा तो उसे धमकाकर वहां से भगा देते हैं।
- धमकी : कई बार स्थानीय लोगों और दुकानदारों ने भी विरोध किया। ऐसे में गैंग के लोग या तो उसका रास्ता रोक डराते हैं या घर जाकर धमकाते हैं।