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झुंझुनूं के 24 थानों में शुरू हुई साइबर हेल्प डेस्क:तुरंत फ्रीज हो सकेगी ठगी की रकम, फर्जी अकाउंट पर लगाम लगेगी


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झुंझुनूं के 24 थानों में शुरू हुई साइबर हेल्प डेस्क:तुरंत फ्रीज हो सकेगी ठगी की रकम, फर्जी अकाउंट पर लगाम लगेगी

झुंझुनूं के 24 थानों में शुरू हुई साइबर हेल्प डेस्क:तुरंत फ्रीज हो सकेगी ठगी की रकम, फर्जी अकाउंट पर लगाम लगेगी

झुंझुनूं : आमजन को डिजिटल सुरक्षा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। झुंझुनूं जिले के सभी 24 पुलिस थानों में अब साइबर हेल्प डेस्क शुरू कर दी गई है। इसका उद्देश्य न केवल अपराध की रिपोर्ट दर्ज करना है, बल्कि तकनीकी सहायता, धन की रिकवरी और अपराधियों की पहचान तक पूरा सहयोग देना है।

अब हर थाने में मिलेगी साइबर राहत

झुंझुनूं जिले के हर थाने में अब एक कॉन्स्टेबल और एक हेड कॉन्स्टेबल को साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। ये कर्मी अब डिजिटल फ्रॉड के मामलों में फौरन कार्रवाई कर सकेंगे। किसी भी ऑनलाइन ठगी के शिकार व्यक्ति को थाने जाकर अलग से लाइन में लगने या अफसरों की तलाश में भटकने की जरूरत नहीं होगी। साइबर हेल्प डेस्क पर सीधे जाकर शिकायत दर्ज कराना अब न केवल आसान हुआ है, बल्कि इससे जांच और न्याय की प्रक्रिया भी तेज हो गई है।

ठगी की रकम फ्रीज कराना अब चंद मिनटों की बात

ऑनलाइन ठगी का सबसे बड़ा दर्द होता है पैसे का नुकसान। अक्सर पीड़ित सही समय पर जानकारी नहीं दे पाते या फिर बैंक और पुलिस के बीच चक्कर काटते रह जाते हैं। लेकिन अब झुंझुनूं के किसी भी थाने में मौजूद साइबर डेस्क इस प्रक्रिया को बेहद आसान बना रही है। जैसे ही कोई शिकायतकर्ता आता है, डेस्क से जुड़े प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तत्काल साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट दर्ज करते हैं। बैंक ट्रांजैक्शन डिटेल, मोबाइल नंबर, संदिग्ध अकाउंट की जानकारी तुरंत अपलोड की जाती है ताकि संबंधित खाते को ब्लॉक कर पैसे को फ्रीज किया जा सके। इससे रकम की रिकवरी की संभावना पहले की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है।

तकनीकी सहायता भी मिलेगी मौके पर

झुंझुनूं के साइबर हेल्प डेस्क न सिर्फ शिकायतें दर्ज कर रही हैं, बल्कि तकनीकी मदद भी दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी का मोबाइल फोन चोरी हो गया है, तो उसका IMEI नंबर ट्रेस कर उसकी लोकेशन पता की जा सकती है। यदि किसी का सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया है या फर्जी अकाउंट बनाकर किसी की छवि खराब की जा रही है, तो इन मामलों में भी फौरन एक्शन लिया जा रहा है। ये डेस्क सोशल मीडिया कंपनियों को रिपोर्ट भेजकर ऐसे अकाउंट्स को ब्लॉक करवाने और अपराधियों तक पहुंचने का माध्यम बन रही हैं।

1930 हेल्पलाइन

राजस्थान पुलिस की इस पहल में 1930 साइबर हेल्पलाइन भी एक मजबूत कड़ी के रूप में जुड़ी हुई है। साइबर डेस्क के कर्मचारी, पीड़ित के साथ मिलकर 1930 पर केस लॉज कर बैंक और संबंधित प्लेटफॉर्म को अलर्ट करते हैं। इससे कई मामलों में तुरंत रकम फ्रीज करवा ली गई है। पहले जहां पीड़ित को बैंक, पुलिस और साइबर पोर्टल की प्रक्रिया समझने में ही दिन निकल जाते थे, अब वही काम कुछ घंटों में हो रहा है।

फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सख्त कार्रवाई

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर ब्लैकमेलिंग, छवि धूमिल करना, या धोखाधड़ी करना एक गंभीर समस्या बन चुका है। लेकिन अब झुंझुनूं के थानों की साइबर डेस्क इस दिशा में भी पूरी सक्रियता से काम कर रही हैं। किसी व्यक्ति के नाम, फोटो या पहचान से अगर फर्जी अकाउंट चल रहा है, तो उस पर IPC की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। साइबर डेस्क इन मामलों में पीड़ित की पहचान की गोपनीयता का भी पूरा ध्यान रख रही है।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए कारगर

कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक देवेंद्र राजावत ने इस नई व्यवस्था को जिले के लिए समय की जरूरत बताया। उनका कहना है- साइबर अपराध आज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। शहरों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाकों में भी मोबाइल और इंटरनेट की पहुंच बढ़ गई है, जिसके साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। साइबर हेल्प डेस्क से अब दूरदराज के गांवों से आने वाले पीड़ितों को भी राहत मिलेगी और अपराधियों पर तेजी से शिकंजा कसा जा सकेगा।

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