[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

यदि देवनानी धृतराष्ट्र है तो सीपी जोशी किस भूमिका में थे


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

यदि देवनानी धृतराष्ट्र है तो सीपी जोशी किस भूमिका में थे

यदि देवनानी धृतराष्ट्र है तो सीपी जोशी किस भूमिका में थे

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली ने विधानसभा में आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी धृतराष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहे हैं । उनका आरोप था कि विपक्षी विधायकों को विधानसभा में बोलने का मौका नही दिया जा रहा है व उन पर अंकुश लगाने का काम कर रहे हैं । टीकाराम जूली को इस तरह का आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए था कि संसदीय इतिहास मे करीब 80 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा दिया था जिनमें मंत्री भी थे । विदित हो 25 सितंबर 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इशारे पर उनके समर्थन में करीब 90 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफे सौंपे थे । इस प्रकरण को लेकर विपक्ष विधानसभा से सड़कों तक मांग करता रहा कि विधानसभा अध्यक्ष को इन पर निर्णय लेना चाहिए। लेकिन सीपी जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष के विशेषाधिकार का हवाला देकर निर्णय की जानकारी देने से मना कर दिया था । आश्चर्य की बात तो यह थी कि जिन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था वे भी विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के साथ ही विभागीय निर्णय लेते रहे ।

टीकाराम जूली को यह भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी उस समय किस भूमिका मे थे । इस प्रकरण को लेकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने हाईकोर्ट की तरफ रूख किया था । लेकिन हाईकोर्ट ने निर्णय लिया कि विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारो को लेकर कोर्ट उसके निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकता । जूली को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि सीपी जोशी ने किस रंग में रंगी पट्टी अपने आंखों पर बांध रखी थी ।

सभी जानते हैं कि इस्तीफा दिलवाने का नाटक अशोक गहलोत का कांग्रेस आलाकमान को ब्लैक मेल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहना था । सीपी जोशी ने उस समय उन विधायकों से व्यक्तिगत मिलकर उनकी राय लेना भी उचित नही समझा और अशोक गहलोत की कुर्सी बचाने में धृतराष्ट्र की भूमिका निभाई थी । ऐसा नहीं कि विधानसभा अध्यक्ष निष्पक्ष होता है उसका झुकाव सदैव सत्तापक्ष की तरफ रहता है तभी अध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं दिया जाता । सत्तापक्ष के हितों के संरक्षण को लेकर ही सतापक्ष का अध्यक्ष बनाया जाता है । अतः नेता प्रतिपक्ष को उपरोक्त प्रकरण को ध्यान में रखकर ही ऐसा बयान देना चाहिए था । अब एक ज्वलंत प्रश्न कि यदि वासुदेव देवनानी धृतराष्ट्र है तो सीपी जोशी किस भूमिका में थे ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

Related Articles