राम कथा सुनना और गौ माता की सेवा करना बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है – ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज
भगवान श्री राम ने मिथिला नरेश राजा जनक के महल तक भगवान श्री राम की यात्रा तक की कथा का प्रसंग

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : सुभाष चन्द्र चौबदार
नवलगढ़ : भृगुऋषि गोशाला समिति गोल्याणा लोहार्गलधाम की ओर से गांव गोल्याणा की भृगुऋषि गोशाला में गौ हितार्थ चल रही संगीतमय श्रीराम कथा में मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। जिला षडदर्शन अखाड़ा मंडल समिति अध्यक्ष ब्रहमचारी गणेश चैतन्य महाराज के सानिध्य में संत हेमंत दासजी महाराज द्वारा पंचम दिवस की कथा का रस पान कराया गया। इस मौके पर उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि अयोध्या से भगवान श्री राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र मांगकर अपने साथ बन में लेकर गए। ताडक़ा वध सुबाहु वध एवं मारीच आदि राक्षसों का वध करते हुए गौतम ऋषि की नारी अहिल्या को मुक्त किया। भगवान श्री राम ने मिथिला नरेश राजा जनक के महल तक भगवान श्री राम की यात्रा तक की कथा का प्रसंग सुनाया गया। माता जानकी भगवान शिव के धनुष को अकेले एक हाथ से उठा देती थी। इसी प्रसंग को देखते हुए राजा जनक ने प्रतिज्ञा ली कि जो इस धनुष को उठा सकता है उसी के साथ सीता का विवाह करूंगा। हेमंत दास महाराज ने बताया कि बुधवार को माता सीता के विवाह का प्रसंग सुनाया जाएगा। कथा में पहुंचे ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज ने कहा कि गौमाता की सेवा सौभाग्य से प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में गोरक्षा का महत्व और आदर्श बहुत ऊंचा है।
अत: हम सबका कर्तव्य है कि हम तन, मन, धन से पूरी शक्ति लगाकर गौमाता की सेवा करें। शास्त्रों में गाय के गोबर जैसे तत्व में महालक्ष्मी का निवास बताया गया है। गोबर के लीपे जाने से पृथ्वी पवित्र यज्ञ भूमि बन जाती है। गौ मूत्र में गंगाजी का निवास होता है। इसलिए गोमाता को साक्षात देवरूप मानकर उसकी रक्षा न केवल मानव मात्र का कर्तव्य है बल्कि धर्म भी है। उन्होंने माता-बहनों से अपने घरों में गौमाता रखने व उनकी सेवा करने की अपील की। बुधवार को सीता के स्वयवंर की कथा सुनाई जाएगी। इस दौरान गौशाला संचालक महंत योगीदास महाराज ने ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज का सम्मान किया। उन्होंने गौ हितार्थ की जा रही इस रामकथा में श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर पुण्य कमाने की अपील की। नौ दिवसीय श्रीराम कथा का समय दोपहर सवा दो से शाम पांच बजे तक है।
संत समागम 29 को, साधु संतों का होगा सम्मान
महंत योगीदास महाराज ने बताया कि नौ दिवसीय कथा का समापन 29 जून को होगा। 29 जून को सुबह सवा दस बजे गोशाला में संत समागम का आयोजन भी किया जाएगा। इस मौके पर कार्यक्रम में आने वाले साधु संतों का सम्मान भी किया जाएगा।