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हंसी नहीं रुकेगी: किसी अजूबे से कम नहीं राजस्थान में सैकड़ों गांवों के नाम, ‘गंवार’ सुनकर हक्के-बक्के मत होना


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हंसी नहीं रुकेगी: किसी अजूबे से कम नहीं राजस्थान में सैकड़ों गांवों के नाम, ‘गंवार’ सुनकर हक्के-बक्के मत होना

धोरों की धरती यानी राजस्थान में यदि कोई पूछे कि बघेरा देखने चलोगे तो डरिएगा नहीं, कोई कहे मैं रोजाना शादी में जाता हूं तो चौंकिएगा नहीं या कोई पूछे कि गंवार देखने चलोगे तो हक्के-बक्के मत होना। क्योंकि ये केवल सवाल नहीं, बल्कि गांवों के नाम हैं।

जयपुर : भारत गांवों का देश है, गांवों में आज भी एक अलग ही दुनिया बसती है, शहर की दौड़-धूप से दूर। गांव का माहौल ही नहीं वहां के लोग भी निराले होते हैं। भौतिक सुखों की कमी जरूर होती है, लेकिन जीवन में खुशियों की कोई कमी नहीं रहती है। भौतिकता से दूर अपने ही सपनों की दुनिया में रहते हैं। इनके घर जरूर मिट्टी से बने होते हैं, लेकिन इनके दिल सोने के होते हैं। भारत की आधी से अधिक आबादी गांवों में रहती है। मोहनदास करमचन्द गांधी ने कहा था, असली भारत गांवों में बसता है। भारतीय ग्राम्य-जीवन सादगी और प्राकृतिक शोभा का भंडार है। आइए ले चलते हैं आपको राजस्थान में गांवों के नाम की एक सैर पर…

रेत की धरती केवल संस्कृति से ही ओत-प्रोत नहीं है। बल्कि कई तरह के अजूबे नाम भी यहां सुनने को मिलेंगे। ये नाम केवल एक व्यक्ति के नहीं, बल्कि पूरे गांव के हैं, जो इसकी पहचान पूरे देश में अलग बनाने में काफी है। फलों से लेकर रीति-रिवाज, रिश्तों से लेकर सपनों तक और यहां तक कि जानवर एवं आमजन की बोलचाल की भाषा के शब्दों पर यहां गांवों के नाम आसानी से मिल सकते हैं। आपने तो स्मार्ट फोन आने के बाद 12 जीबी सुना होगा, लेकिन यहां तो गांव का नाम ही ऐसा है, जो मोबाइल युग से पहले का है। पेश है राजस्थान के विभिन्न जिलों में करीब आठ हजार से ज्यादा गांवों में से 200 गांवों के नाम, जो आपको किसी अजूबे से कम नहीं लगेंगे।

शुरुआत करते हैं अजमेर जिले से…
आसन, झांक, नाड़ी, छंदुदरा, चाचियावास, ढाल, घूघरा, गोला, जेठाना, न्यारां, थल, बघेरा, चीतीवास, पारा गांव के नाम हैं। अलवर जिले में जहाडू, मिठियावास, चांदपुर गांव। बांसवाड़ा जिले में चाचाकोटा, मूलिया, बारी, दानपुर, नादिया, कुण्डल, आसन, बोरी, मोर, घाटा, सेंड नानी, हाण्डी गांव। बारां जिले में बैंगना, कोयला, खटका, मूंडक्या, फलिया, बंजारी, पछाड़ और रांई गांव। बाड़मेर जिले में बोला, रोली, छोटु, झांक, चिड़िया, संतरा, डोली, भाटा, सड़ा, राखी, गूंगा, ढोंक, आंटिया, बोली और एकल।

अब भरतपुर की बात करें तो…
अजान, पाई, पल्ला, ऊंदरा, नाम, मई, ऊंच जैसे गांवों के नाम आपको आकर्षित करते हैं। भीलवाड़ा जिले में कटार, रोपा, मंशा, कोट, भोली, दहीमथा गांव। बीकानेर जिले में सूई, केला, रोड़ा, दावा गांव। बूंदी जिले में उमर, मरा, डोरा, तीरथ गांव। चित्तौड़गढ़ जिले में टाई, रायता, शादी गांव। चूरू जिले में लोहा, ओदी, मछरिया और डूंगरपुर जिले में गोल, शरम, कुआं, बोरी, गंजी, माल, पीठ गांव।

मोबाइल की मेमोरी के नाम पर है गांव का नाम
श्रीगंगानगर जिले में तो आपको स्मार्टफोन के मेमोरी के रूप में गांव देखने को मिलेंगे। यहां गांवों के नाम में कालिया, कोनी, कोठा, पक्की, बगीचा, ठण्डी, 5 टीके, 12 जीबी, 17 जीबी, 24 जीबी, 28 जीबी, 29 जीबी, 41 जीबी, 42 जीबी, 48 जीबी, 16 बीबी, 19 बीबी, 23 बीबी, 35 बीबी, 37 जीजी, कमीनपुरा और ढाबा शामिल है। जयपुर के गांव भी किसी से कम नहीं हैं। यहां झरना, झाग, सेवा, आंधी, महंगी, पापड़, ताला, लाली, बोबास, रसीली, साली, पापड़, दण्ड और देवता नाम से गांव आपको देखने को मिलेंगे।

जालौर जिले में चूरा, लेटा, नून, ऊण, कूड़ा, कोरा, बाली, राह, तीखी, थांवला, कोड़, खारा गांव। झुंझुनूं जिले में  रवा, टीबा, लोटिया, जहाज, नारी, सारी, लूणा, कांट, टाई, बाय गांव। जोधपुर जिले में डोली, भावी, चौढा, उस्तरा, भेड़, तापू, बाप, आऊ, मोटाई, जोड़, छीला, गड़ा, सांई। करौली जिले में घोंसला, डांडा, जमूरा, सोप गांव। कोटा जिले में जुल्मी, भौंरा, रेल, तोरण, हींगी गांव। पाली जिले में टुकड़ा, रास, बूसी, डरी, बोया, नाना, आना, मादा, झूंठा गांव।

उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले में तो आड़, चरी, शकरकंद और बोरी नाम गांवों के हैं। राजसमंद जिले में गंवार, कोयल, आत्मा गांव। सवाई माधोपुर जिले में पढ़ाना, झोंपड़ा, डाबर और भूखा गांव। सीकर जिले में भगेगा, चला, कांकरा, कुली, जाना, सेवा, दायरा, नानी, शिश्यु, धर्मशाला गांव। टोंक जिले में लावा और घास गांव। उदयपुर की बात करें तो घोड़ी से लेकर ढोल तक गांवों के नाम हैं। साथ ही यहां सोम, डाल, काट, जूड़ा, नाई, काया, बड़ी और कविता नाम से भी गांव हैं।

You will not be able to stop laughing after hearing names of these places in Rajasthan

कुछ और मजेदार जानकारियां…

  • झूठों की ढाणी: पुष्कर के गनाहेड़ा में स्थित झूठों की ढाणी नामक ढाणी का नाम लेते हुए यहां रहने वाले लोगों को लोग हंसी मजाक में झूठा कह देते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां कई लोगों के झूठों का खुलासा हुआ होगा, जिसके बाद यहां का नाम झूठों की ढाणी पड़ा। हालांकि, असली वजह कोई नहीं जानता।
  • ‘रेल’ गांव: करेड़ा क्षेत्र में एक गांव का नाम ही रेल है।
  • ‘रंगीली’ और ‘मेहंदी’ गांव: गंगापुर का रंगीली और मेहंदी नामक गांव।
  • ‘पापड़बड़ा’ गांव: बिजौलिया में स्थित गांव पापड़बड़ा, लोग अकसर गांव के लोगों को इस नाम से चिढ़ाते हैं।
  • ‘छछूंदरा’ ग्राम पंचायत: अजमेर जिले के मसूदा में स्थित छछूंदरा ग्राम पंचायत जिसका नाम लेने भर से लोग हसंने लगते हैं। ये बताने में कि मैं छछूंदरा से हूं, लोग शरमा जाते हैं।
  • राजस्थान में कई ऐसे अजब-गजब नाम वाले रेलवे स्टेशन हैं कि अगर कोई व्यक्ति इन स्टेशनों से गुजरता है तो इनके फोटो जरूर क्लीक करता है। इनमें जोधपुर का साली रेलवे स्टेशन, जो अजमेर से करीब 53 किमी दूर है। उदयपुर के पास स्थित नाना नामक रेलवे स्टेशन जो सिरोही पिंडवारा में स्थित है।

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