कोटा जिला कलेक्टर ने स्टूडेंट्स-पेरेंट्स के लिए लिखा खत:स्टूडेंट्स के लिए लिखा-खिलने वाले फूल खिलकर रहेंगे, पेरेंट्स को मैसेज दिया- अपने बच्चों को गलती कर सुधारने का मौका दें
कोटा जिला कलेक्टर ने स्टूडेंट्स-पेरेंट्स के लिए लिखा खत:स्टूडेंट्स के लिए लिखा-खिलने वाले फूल खिलकर रहेंगे, पेरेंट्स को मैसेज दिया- अपने बच्चों को गलती कर सुधारने का मौका दें

कोटा : कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामलों को देखते हुए अब जिला कलेक्टर ने कोचिंग स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स के लिए एक खत जारी किया है। यह खत बच्चों के लिए मोटिवेशन के साथ साथ पेरेंट्स के लिए भी लिखा गया है। दो अलग अलग पत्र जिला कलेक्टर रविन्द्र गोस्वामी ने जारी किए हैं। इनमें उन्होंने बच्चों को भी संबोधित करते हुए लिखा है और अपनी पढ़ाई को लेकर भी जानकारी दी है।

उनके सामने क्या समस्या आती थी इसके बारे में बताया गया है। वहीं दूसरी तरफ पेरेंट्स को लिखे खत में उन्होंने पेरेंट्स से अपील की है कि बच्चों का हर स्थिति में सपोर्ट करें। उन्होंने बच्चों से कहा कि असफलता हमे सफल होने का मौका देती है। हम सिर्फ मेहनत कर सकते है। वहीं उन्होंने पेरेंट्स के लिए लिखा कि पेरेंट्स भी बच्चों का हर स्थिति में सपोर्ट करें। उनके नंबरों को उनकी योग्यता से न जोडे़। बच्चा किसी दूसरे विषय में या किसी दूसरे क्षेत्र में बेहतर कर सकता है। उसे विश्वास दिलाएं कि आप उसके साथ हैं।
स्टूडेंट्स को बताया मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं
हजार बर्क गिरे लाख आँधियाँ उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…….साहिर साहब की ये पंक्तियां इस जीवन के संघर्ष पर विजय और ईश्वर के उसमें योगदान को पूरे तौर पर रेखांकित करती हैं। कुछ समय बाद आप नीट और जेईई के पेपर देंगे, प्यारे बच्चों आपको यह याद रखना है कि हर असफलता आपको मौका देती है जीवन में की गई गलतियों को जीतकर उसे सफलता में बदलने का। जैसा कि मेरे साथ आप लोगों की बातचीत में ये निकल के आया कि, ये परीक्षा एक पड़ाव मात्र है ना की मंजिल और इसमें फेल होना, आपके जीवन की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता।

मैं खुद इसका उदाहरण हूँ, मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूँ। क्योंकि हम केवल मेहनत कर सकते हैं फल देना ईश्वर का काम और वो ईश्वर कभी अपने कर्तव्य में चूक नहीं कर सकता। इसलिए वो हमें सफल बना रहा है तो वो ठीक है और अगर असफल कर रहा है तो शायद वो हमारे लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है। इसलिए आपको मुझे बस इतना कहना है कि आप इस महान भारत की महान संतान हैं और केवल एक परीक्षा को आपके लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी नहीं माना जा सकता। आप चल रहे हो तो गिरोगे भी, लेकिन सार्थकता तब ही है जब आप गिर कर उठे और फिर अपनी मंजिल की ओर चलें, बिना रुके, बिना थके, ताकि इस देश को आप पर गर्व हो सकें।

पेरेंट्स के लिए लिखा- बच्चों को मौका दें
कुछ समय बाद नीट और जेईई की परीक्षा होनी है। आपने अपने बच्चे को पढ़ने के लिए सब सुविधाएं भी दी होंगी, कोचिंग, कमरा और खाना, इसके अलावा भी आपने जो समर्पण किया है अपनी संतानों के लिए, उसका दूसरा कोई समानांतर उदाहरण नहीं है। माँ बाप के लिए अपने बच्चे की खुशी से बढ़कर कोई और खुशी नहीं हो सकती समस्या तब खड़ी होती है जब हम बच्चे की खुशी को उसके किसी परीक्षा में लाए गए नंबरों से जोड़कर देखते हैं।
क्या कोई भी परीक्षा पास करने मात्र से व्यक्ति सफल हो जाता है। शायद नहीं। सफलता तो आत्मिक अनुभूति है, जो किसी कार्य को तन्मयता से करने में प्राप्त होती है। हो सकता है बच्चे ने पूरी मेहनत की हो लेकिन उस दिन उसका दिन खराब हो, हो सकता है बच्चा मेहनत करता हो लेकिन उसका लगाव उस विषय में ना हो, हो सकता है वो एक मछली हो और अभी वो उड़ने की दौड़ में दौड़ रहा हो। इसलिए मैं बस इतना चाहता हूँ कि आप अपने बच्चे को मौका दें, गलती करके सुधारने का, जैसा मेरे माता पिता ने दिया जब मैं कोटा से वापस घर चला गया था।

क्योंकि तब वो जो भी करेगा पूरे मन से करेगा आपके लिए करेगा और अगले कुछ दिन उस से नियमित बात करें और समझाएं कि पूरे विश्व में कोई नहीं, जो फेल ना हुआ हो, कोई नहीं जिसने गलती ना की हो और हर सफल व्यक्ति डॉक्टर या इंजीनियर बनके ही सफल हो यह भी जरूरी नहीं। मुझे कई बार बच्चे डिनर विद कलेक्टर में पूछते हैं कि अगर मैं फेल हुआ तो मेरे माता पिता मुझसे कभी बात नहीं करेंगे और मैं हर बार उनको विश्वास दिलाता हूँ कि वो आपके फेल-पास से दुखी और खुश नहीं होंगे बल्कि आपकी खुशी से खुश होते हैं। मैं उम्मीद करता हूं आपके प्रतिनिधि के तौर पर मेरी तरफ से कही गई इन बातों का आप मान रखेंगे और इस महान भारत की महान संतानों को वो विश्वास देंगे जिसकी उनको आज सबसे ज्यादा जरूरत है।
डिनर विद कलेक्टर के जरीये करते रहे हैं बच्चों को मोटिवेट
कलेक्टर रविन्द्र गोस्वामी बच्चों को मोटिवेट करने के लिए लगातार डिनर विद कलेक्टर का आयोजन भी कर रहे हैं। इसे कामयाब कोटा अभियान नाम दिया गया था, जिसमें यह भी एक अभियान है। इसमें कलेक्टर अलग अलग एरिया में हॉस्टल में जाकर बच्चों से उनकी पढ़ाई को लेकर चर्चा करते है। अपनी पढ़ाई के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में बताते हैं और बच्चों के सवालों के जवाब देते है। इसके बाद बच्चों के साथ डिनर भी करते हैं।