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अंगदान फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड 107 झूठी एनओसी देने वाला था:खुलासे के बाद जयपुर के 107 मरीजों की सांस अटकी, सभी ट्रांसप्लांट रुके


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अंगदान फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड 107 झूठी एनओसी देने वाला था:खुलासे के बाद जयपुर के 107 मरीजों की सांस अटकी, सभी ट्रांसप्लांट रुके

अंगदान फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड 107 झूठी एनओसी देने वाला था:खुलासे के बाद जयपुर के 107 मरीजों की सांस अटकी, सभी ट्रांसप्लांट रुके

जयपुर : हरियाणा के गुरुग्राम में किडनी के अवैध प्रत्यारोपण करवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने के साथ ही जयपुर में पैसों के बदले अंगभक्षण करने वालों की सांसें भी अटक गई हैं। हरियाणा पुलिस की मानें तो मामले के तार जयपुर के निजी अस्पतालों से जुड़े हैं। फोर्टिस में किडनी निकालने की बात गुरुग्राम के गेस्ट हाउस से पकड़े गए बांग्लादेशी ने स्वीकार की है। बता दें कि जयपुर में हर माह होने वाले किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या सौ से ज्यादा बताई जा रही है। गौरव 15 अप्रैल से पहले निजी अस्पतालों को 107 फर्जी एनओसी देने वाला था।

एसीबी ने गौरव के पास से 75 कंप्लीट एनओसी और 175 अन-कंप्लीट एनओसी बरामद की थी। अब जबकि सामने आ चुका है कि एसएमएस की स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी ने पिछले एक साल में एक भी एनओसी जारी नहीं की। ऐसे में अभी होने वाले सभी ट्रांसप्लांट अटक गए हैं। बता दें कि इन 107 में से महात्मा गांधी अस्पताल में सबसे अधिक किडनी ट्रांसप्लांट होने थे। इसके बाद फोर्टिस, ईएचसीसी, मणिपाल, सीके बिरला, अपेक्स, मोनिलेक अस्पताल में ट्रांसप्लांट होने थे। इनमें डॉक्टर्स, ज्यूडिशियल, सिविल सर्विसेज के परिजनों सहित सामान्य लोग भी शामिल हैं।

केस 1- डॉक्टर खुद किडनी पेशेंट, इलाज नहीं मिल रहा, 21 मार्च का ट्रांसप्लांट टला

शहर के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. संजय सकरवाल खुद किडनी पेशेंट हैं और 21 मार्च को उनका किडनी ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन अब उनका ट्रांसप्लांट अटक गया है। सकरवाल को पहले ही ऑटोनोमिक डिजीज है। जनवरी 2023 में किडनी फेल होने का पता चला। ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है। अब एनओसी कैसे मिलेगी? मालूम नहीं।

केस 2 – परिजन ही किडनी डोनेट कर रहे फिर भी एनओसी नहीं मिल रही

शास्त्रीनगर के सुरेश खंडेलवाल का इसी महीने सीके बिड़ला अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन अब अस्पताल वालों ने मना कर दिया। भाई मुकेश खंडेलवाल ने बताया कि अभी हर हफ्ते में दो बार डायलिसिस हो रहा है। हमारे परिजन ही किडनी दे रहे हैं। इलाज नहीं मिलना तो मानवीय अधिकारों के खिलाफ है।

सरकार और चिकित्सा विभाग की अभी तक कोई प्लानिंग नहीं

गंभीर मरीजों के ट्रांसप्लांट को लेकर अभी तक किसी प्रकार की प्लानिंग न तो चिकित्सा विभाग की ओर से और ना ही सरकार की तरफ से की गई है। किसी भी तरह की अनहोनी होती है तो जबावदेही किसकी होगी? हालांकि अगले एक-दो दिन में मरीजों के परिजन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

नेपाल, बांग्लादेश और कंबोडिया के मरीजों की संख्या ज्यादा है। आधे से ज्यादा ट्रांसप्लांट अवैध माने जा रहे हैं। एसीबी की जांच और सर्विलांस के दौरान दलालों की बातचीत में सामने आ चुका है कि हर माह 100 से ज्यादा ट्रांसप्लांट निजी अस्पतालों में किए जाते हैं। ऐसे में हर महीने 10-12 करोड़ रुपए का अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का बाजार जयपुर शहर में है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट का बाजार ‌10 करोड़ रुपए प्रतिमाह का

नियमों के अनुसार एनओसी देने का कोई शुल्क नहीं है। डोनर ब्लड रिलेशन में है तो निजी अस्पतालों में एक किडनी ट्रांसप्लांट का अधिकतम खर्च – 5 लाख रुपए आता है। वहीं, अगर अवैध तरीके डोनर बाहरी है तो एक किडनी ट्रांसप्लांट का खर्चा – 20-25 लाख रुपए तक पहुंच जाता है।

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