कोटड़ी बाँध में बढ़ा जलस्तर : बांध भरने से खंडेला क्षेत्र को मिलेगी बड़ी सिंचाई परियोजना की सौगात
कोटड़ी बाँध में बढ़ा जलस्तर : बांध भरने से खंडेला क्षेत्र को मिलेगी बड़ी सिंचाई परियोजना की सौगात

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : श्रवण कुमार फगेड़िया
सीकर : सीकर जिले के खंडेला क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। हाल ही में हो रही बारिश के बाद कोटड़ी बांध में पहली बार पानी की आवक दर्ज की गई है। पहली ही बरसात में बांध में लगभग 7 मीटर तक पानी भर चुका है। जिससे क्षेत्र में किसानों और आमजन में हर्ष का माहौल है। इस बांध के पूरा भर जाने के बाद यह बांध अब क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने को तैयार हो जायेगा। कोटड़ी बांध में पहली बार जल भराव की यह खबर क्षेत्र के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। यह न सिर्फ वर्तमान में बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी कृषि और जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
44 करोड़ की लागत से बनी है यह परियोजना
कोटड़ी बांध का निर्माण करीब 44 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। यह बांध वर्ष 2024 में बनकर तैयार हुआ था और इसे सीकर जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना माना जा रहा है। कुल 115 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस बांध की लंबाई 1412 मीटर है, जबकि जल संग्रहण क्षमता 72 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) है।
836 हेक्टेयर भूमि को मिलेगा सिंचाई का लाभ
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की कृषि भूमि को सिंचाई जल उपलब्ध कराना है। जैसे ही यह बांध ओवरफ्लो की स्थिति में पहुंचेगा, इससे लगभग 836 हेक्टेयर कृषि भूमि को सीधे सिंचाई जल उपलब्ध हो सकेगा। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पहले से ही 4200 मीटर लंबी मुख्य पाइपलाइन भी बिछाई जा चुकी है।
किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण
बांध में पानी आने के बाद किसानों में खरीफ फसल की बुआई को लेकर उत्साह बढ़ गया है। लंबे समय से बारिश पर निर्भर रहने वाले इस अंचल को अब पहली बार ऐसी बड़ी और स्थायी सिंचाई सुविधा मिलने जा रही है। जिससे क्षेत्रीय खेती को मजबूती मिलने की पूरी संभावना है। किसान अब बेहतर उत्पादन और कृषि से आय बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों में भी उत्साह, पर्यावरण को भी मिलेगा लाभ
सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों के लोगों में भी खुशी की लहर है। बांध में पानी आने से न सिर्फ सिंचाई बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार की संभावना है। वहीं आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से भी हरा-भरा बन सकेगा।