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शताब्दी वर्ष में सेवा व स्मृति को मिला नया विस्तार


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शताब्दी वर्ष में सेवा व स्मृति को मिला नया विस्तार

स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी एवं कुशल व्यवसायी स्व. मगराज पाटोदिया का जीवन बना प्रेरणा का प्रकाश स्तंभ

जनमानस शेखावाटी संवाददाता :  रविन्द्र पारीक

नवलगढ़ : जनसेवा, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सुधार के प्रतीक स्व. मगराज पाटोदिया की जीवनगाथा आज भी समाज को प्रेरणा देती है। जन्म 7 फरवरी 1924 को नवलगढ़ में कन्हैयालाल पाटोदिया व सिनगारी देवी के वैश्य परिवार में हुआ। एक निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, समर्पित समाजसेवी और सिद्धांतवादी व्यवसायी के रूप में उन्होंने जीवन भर नवलगढ़ की माटी से जुड़कर देश और समाज के लिए कार्य किया।

स्वतंत्रता संग्राम में युवावस्था से भागीदारी

स्व. पाटोदिया 1939 में ही आज़ादी की लड़ाई से जुड़ गए थे। उन्होंने प्रजामंडल और आर्य समाज की स्थापना कर नवलगढ़ को गुलामी की त्रयी (जमींदारी, रियासती व अंग्रेजी शासन) से मुक्त कराने में महती भूमिका निभाई। 15 अगस्त 1947 को बाला किला पर तिरंगा फहराने में उन्होंने नेतृत्वकारी भूमिका निभाई।

समाज सुधार और शिक्षा में अग्रणी योगदान

हरिजन मोहल्लों में पाठशालाएं चलाना, स्कूलों में पानी की टंकी बनवाना, खादी भंडार और कस्तूरबा छात्रावास की स्थापना जैसे कई कार्य उन्होंने किए। सहकारी आंदोलन से जुड़कर वर्षों तक सहकारी भंडार का संचालन किया। नगरपालिका में पार्षद व उपसभापति भी रहे।

मुंबई में भी कायम रखा नवलगढ़ से जुड़ाव

1960 के बाद मुंबई में व्यवसाय प्रारंभ किया और सफलता के साथ जनसेवा से जुड़ाव बनाए रखा। राधेश्याम मुरारका, महावीर मुरारका और कमल मुरारका के घनिष्ठ सहयोगी रहे। वर्ष 1992 में अपने माता-पिता की स्मृति में सिनगारी देवी-कन्हैयालाल पाटोदिया चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर उसे जनसेवा का माध्यम बनाया।

सेवा के विविध आयाम

  • 1995 से 1998 तक नवलगढ़ में होम्योपैथिक औषधालय का संचालन
  • 1997 में मुंबई में नवलगढ़ नागरिक संघ की स्थापना, जिसकी शाखा नवलगढ़ में प्रारंभ की
  • 22 जरूरतमंदों को पेंशन, फीस सहायता, दवा वितरण, फर्नीचर व भवन निर्माण, गाय सेवा, स्वास्थ्य शिविर, आंखों के शिविर, और विकलांग सहायता जैसे अनेक कार्य निरंतर किए
  • हर वर्ष 15 जुलाई को महिला शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति, मेधावी छात्र सम्मान, और रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है

मितव्ययी पर दानवीर

स्व. मगराजजी जीवन में अत्यंत मितव्ययी थे। हस्तलिखित पोस्टकार्ड से शुभकामनाएं देना उनकी आदत थी, लेकिन जरूरतमंदों के लिए वे बिना संकोच लाखों खर्च कर देते थे।

शताब्दी वर्ष में स्मृति को किया गया अमर

वर्ष 2024 में स्व. मगराज पाटोदिया का शताब्दी वर्ष श्रद्धा और सेवाभाव के साथ मनाया गया। नवलगढ़ में भव्य श्रद्धांजलि समारोहों का आयोजन हुआ, जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह, स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामेश्वर चौधरी, केंद्रीय मंत्री, विधायक, सांसद, शिक्षाविद और समाजसेवी उपस्थित रहे।

पर्यावरण और जल संरक्षण में योगदान

उनकी स्मृति में इस वर्ष 25 सोखते कुओं का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ है, जो नवलगढ़ शहर में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

परिवार द्वारा सेवा परंपरा को मिल रहा विस्तार

उनके सुपुत्र विजय पाटोदिया व सुभाष पाटोदिया आज भी मुंबई और नवलगढ़ दोनों स्थानों पर स्व. मगराजजी द्वारा आरंभ की गई सेवा योजनाओं को पूरी निष्ठा से चला रहे हैं।

स्व. मगराज पाटोदिया का जीवन कर्तव्य, संघर्ष, ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श प्रेरणा है।

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