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कबाड़ से बनाई कार, नाम दिया ‘रस्टरनर’:4 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का कारनामा; राइड के बाद कुलगुरु बोले-शानदार एप्रोच


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कबाड़ से बनाई कार, नाम दिया ‘रस्टरनर’:4 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का कारनामा; राइड के बाद कुलगुरु बोले-शानदार एप्रोच

कबाड़ से बनाई कार, नाम दिया 'रस्टरनर':4 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का कारनामा; राइड के बाद कुलगुरु बोले-शानदार एप्रोच

बांसवाड़ा : बांसवाड़ा की यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के 4 मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने कबाड़ से टू-सीटर ओपन कार बना दी। इसे स्टूडेंट ने नाम दिया है ‘रस्टरनर’। बुधवार को कैंपस में प्रोजेक्ट की पहली राइड के बाद कुलगुरु ने इसे शानदार एप्रोच कहकर तारीफ की। राइड देखने के बाद कुलगुरु प्रो. के.एस. ठाकुर ने इस उपलब्धि की सराहना की। कहा- यह प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग शिक्षा में प्रैक्टिकल अप्रोच और कम संसाधनों में नवाचार का शानदार उदाहरण है।

ये चार स्टूडेंट हैं- रचित जैन, जतिन पांचाल, खुशदीप सिंह और नन्नू खराड़ी।

बायें से नन्नू खराड़ी (छात्र), जतिन पांचाल (छात्र), प्रोफेसर नितिन स्वर्णकार, प्रोफेसर हिमांशु, खुशदीप सिंह (छात्र) और सबसे दायें रचित जैन (छात्र)।
बायें से नन्नू खराड़ी (छात्र), जतिन पांचाल (छात्र), प्रोफेसर नितिन स्वर्णकार, प्रोफेसर हिमांशु, खुशदीप सिंह (छात्र) और सबसे दायें रचित जैन (छात्र)।

चारों अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अपने फाइनल ईयर प्रोजेक्ट के तहत इन स्टूडेंट ने यह अनूठा चौपहिया वाहन बनाकर सबका ध्यान आकर्षित किया है। रस्टरनर की रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे तक है। एक लीटर पेट्रोल में यह 40 किमी का सफर तय कर सकती है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिमांशु पंड्या ने बताया- चारों स्टूडेंट ने वाहन का डिजाइन और निर्माण खुद किया है। यहां तक कि वेल्डिंग, वायरिंग और असेंबल करने के काम भी अपने स्तर पर किए हैं। कार में 80 सीसी टीवीएस स्ट्रीट स्कूटी इंजन और जंकयार्ड (कबाड़) से पुर्जे जुटाए। इस प्रोजेक्ट की लागत 30 हजार रुपए आई।

चारों छात्रों ने रस्टरनर बनान के लिए जी-तोड़ मेहनत की। खुद ही वेल्डिंग का काम भी किया।
चारों छात्रों ने रस्टरनर बनान के लिए जी-तोड़ मेहनत की। खुद ही वेल्डिंग का काम भी किया।

राइड के दौरान दिखाई क्षमता

बुधवार (25 जून) को विश्वविद्यालय परिसर में ‘रस्टरनर’ का पहला राइड शो किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. डॉ. के.एस. ठाकुर और शैक्षणिक सलाहकार डॉ. महिपाल सिंह मौजूद थे। स्टूडेंट्स ने अपने वाहन की कार्यक्षमता का सफल प्रदर्शन किया।

कार तैयार होने के बाद प्रोफेसर ने इसे चलाकर देखा। कार की स्पीड और बैलेंस परफेक्ट मिला।
कार तैयार होने के बाद प्रोफेसर ने इसे चलाकर देखा। कार की स्पीड और बैलेंस परफेक्ट मिला।

छात्रों ने बताई रस्टरनर की खासियत

छात्रों ने बताया-रस्टरनर में सिंगल रियर राइट व्हील ड्राइव और ब्रेकिंग सिस्टम है। जबकि स्टीयरिंग के लिए सुजुकी और नैनो की स्टीयरिंग असेंबल कर का उपयोग किया गया है। वाहन में केवल दो पैडल हैं। एक्सीलरेटर और ब्रेक हैं। इसके अलावा रियर व्हील्स पर शॉक एब्जॉर्बर, एलईडी फॉग लैंप्स, इंडिकेटर्स, हॉर्न और एक पार्किंग ब्रेक सिस्टम शामिल है। जो खास तौर पर ढलान पर वाहन को लुढ़कने से रोकता है। यह दो लोगों के सफर के लिए है। इस प्रोजेक्ट को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापकों डॉ. जिग्नेश पटेल, नितिन स्वर्णकार और हिमांशु पंड्या के मार्गदर्शन में पूरा किया गया।

छात्रों से कबाड़ से पाइप निकाले। वैल्डिंग कर स्ट्रक्चर तैयार किया और हर काम खुद किया।
छात्रों से कबाड़ से पाइप निकाले। वैल्डिंग कर स्ट्रक्चर तैयार किया और हर काम खुद किया।

वेस्ट से बेस्ट बनाने का उदाहरण

प्रोफेसर हिमांशु पंड्या ने बताया- छात्रों ने स्क्रैप सामग्री का उपयोग कर पर्यावरण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा दिया। ये छात्र वेस्ट को बेस्ट में बदलने का माद्दा रखते हैं। स्टूडेंट्स रचित जैन ने बताया- हमें इस प्रोजेक्ट में तकनीकि ज्ञान को प्रैक्टिकल में लागू करना था। बजट के भीतर रचनात्मक काम करना था। हमें इसके जरिए समस्या को समझने और समाधान करने की सीख मिली। भविष्य में हम इस वाहन में ड्यूल-व्हील ड्राइव, बेहतर ब्रेकिंग सिस्टम, फ्रंट सस्पेंशन, और सोलर पीवी वाहन में कन्वर्ट करने जैसे सुधार की योजना बना रहे हैं। ये व्हीकल ग्रामीण परिवहन, कैंपस व्हीकल या इलेक्ट्रिक वाहन प्रोजेक्ट के रूप में विकसित हो सकता है।

बेस बनाने के बाद स्ट्रक्चर में टायर ौर मोटर फिट की। इसके बाद फाइनल बॉडी कवर बनाया।
बेस बनाने के बाद स्ट्रक्चर में टायर ौर मोटर फिट की। इसके बाद फाइनल बॉडी कवर बनाया।
छात्रों ने इसमें टीवीएस का सेकेंड हैंड इंजन इस्तेमाल किया है।
छात्रों ने इसमें टीवीएस का सेकेंड हैंड इंजन इस्तेमाल किया है।

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