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सुभाष हत्याकांड में तीसरे दिन भी पोस्टमार्टम नहीं:गिरफ्तारी की मांग पर गतिरोध बरकरार प्रशासनिक नाकामी से आक्रोशित लोग, कलेक्ट्रेट घेराव की तैयारी


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

सुभाष हत्याकांड में तीसरे दिन भी पोस्टमार्टम नहीं:गिरफ्तारी की मांग पर गतिरोध बरकरार प्रशासनिक नाकामी से आक्रोशित लोग, कलेक्ट्रेट घेराव की तैयारी

सुभाष हत्याकांड में तीसरे दिन भी पोस्टमार्टम नहीं:गिरफ्तारी की मांग पर गतिरोध बरकरार प्रशासनिक नाकामी से आक्रोशित लोग, कलेक्ट्रेट घेराव की तैयारी

झुंझुनूं : जिले के बिरमी गांव निवासी दलित युवक सुभाष मेघवाल की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद उपजा जनाक्रोश लगातार तीसरे दिन भी जारी है। बीडीके अस्पताल की मोर्चरी के बाहर परिजनों और सर्व समाज के लोगों का धरना मंगलवार को भी जारी रहा, जिससे गतिरोध और गहरा गया है।

प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई वार्ता एक बार फिर विफल रही, क्योंकि लोग आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रशासनिक निष्क्रियता और पुलिस की ढिलाई को लेकर आक्रोशित समाज अब कलेक्ट्रेट का घेराव करने की तैयारी में है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, सुभाष मेघवाल बीते 16 मई की रात बिरमी गांव के पास एक होटल पर खाना खाने गया था। उसी रात वह सड़क किनारे अचेत अवस्था में खून से लथपथ मिला। परिजनों ने उसे तुरंत झुंझुनूं के राजकीय बीडीके अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे जयपुर रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और अंततः 25 मई की रात चौमू के एक निजी अस्पताल में सुभाष ने दम तोड़ दिया। सुभाष के शव को झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है, लेकिन घटना के तीन दिन बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है, क्योंकि परिजन और समाज के लोग आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं।

गिरफ्तारी तक नहीं होगा अंतिम संस्कार

सुभाष की मौत के बाद से सर्व समाज के लोग बीडीके अस्पताल में लगातार धरने पर बैठे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक न तो पोस्टमार्टम होने दिया जाएगा और न ही अंतिम संस्कार। प्रशासन द्वारा उन्हें समझाने के लगातार प्रयास किए गए, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने के कारण सभी वार्ताएं विफल रही हैं।

पुलिस पर निष्क्रियता और दोषियों को बचाने का आरोप

इस मामले में अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे लोगों में गहरा आक्रोश है। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस जानबूझकर मामले को दबाने का प्रयास कर रही है और दोषियों को बचा रही है। इसी के खिलाफ अब लोग एकजुट होकर आंदोलन की राह पर हैं और जल्द ही शहर में रैली निकालकर कलेक्ट्रेट का घेराव करने की तैयारी में हैं।

सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है मामला

इस घटना ने न केवल दलित समुदाय में रोष फैलाया है, बल्कि अन्य समाजों के लोग भी पीड़ित परिवार के समर्थन में आ गए हैं।

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