माहे रमज़ान में शबे कद्र की रात हजारों महीने से बेहतर है इबादत के लिए। इमाम मौलाना मुतिउर्रहमान
माहे रमज़ान में शबे कद्र की रात हजारों महीने से बेहतर है इबादत के लिए। इमाम मौलाना मुतिउर्रहमान

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित मस्जिद चेजारान के इमाम मौलाना मुतिउर्रहमान ने माहे रमजान की मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि इस मुबारक महीने में एक रात बरकत वाली रात होती है जिसे हम शबे क़द्र (लैलतुल क़द्र) कहते हैं।इस्लाम में एक बहुत ही मुबारक रात है, जो रमज़ान के आखिरी अशरे (आखिरी 10 दिनों) की ताक़ रातों में से एक होती है। इस रात को इबादत करने का बहुत बड़ा सवाब बताया गया है, क्योंकि कुरआन में इसे “हजार महीनों से बेहतर” (सूरह अल-क़द्र 97:3) कहा गया है।शबे क़द्र में क्या करना चाहिए?
- नवाफिल (नफ्ल नमाज़) पढ़ना ज्यादा से ज्यादा नफ्ल नमाज़ पढ़ें, विशेषकर तहज्जुद की नमाज़ 2, 4, 6, 8 या 12 रकाअतें पढ़ सकते हैं।
- कुरआन की तिलावत इस रात में कुरआन की तिलावत करने का बहुत बड़ा अज्र है। खास तौर पर सूरह यासीन, सूरह मुल्क, सूरह क़द्र और सूरह रहमान पढ़ना फज़ीलत रखता है।
- तौबा व इस्तिग़फ़ार (गुनाहों से माफी माँगना) ज्यादा से ज्यादा ” असतगफिरूल्लाह” कहकर तौबा करें। और यह दुआ पढ़ें “ऐ अल्लाह! तू बहुत माफ़ करने वाला है, माफ़ी को पसंद करता है, मुझे भी माफ़ कर दे।” (तिर्मिज़ी)
- दुआएं करना, अपनी और पूरे उम्मत की भलाई के लिए दुआ करें। माता-पिता, रिश्तेदारों, दोसतो ,बीमारों, गरीबों ,और अपनी जरूरतों के लिए दुआ करें।
- सदक़ा व खैरात देना ।गरीबों को खाना खिलाना, ज़कात और सदका देना बहुत बड़ा सवाब है। किसी गरीब या जरूरतमंद की मदद करना भी बहुत बड़ी नेकी है।
- दरूद शरीफ की कसरत (ज्यादा पढ़ना) कम से कम 100 बार दरूद शरीफ पढ़ें ।
- अल्लाह का ज़िक्र करना, “सुभानल्लाह”, “अल्हम्दुलिल्लाह”, “ला इलाहा इल्लल्लाह”, “अल्लाहु अकबर” ज्यादा से ज्यादा पढ़ें।
- एतेकाफ़ में बैठना जो लोग एतेकाफ में हैं, उन्हें यह रात खास इबादत में गुजारनी चाहिए।औरतें भी घर में किसी एक जगह को इबादत के लिए तय कर सकती हैं।शबे क़द्र की पहचान कैसे करें? यह रमज़ान के 21, 23, 25, 27, 29वीं रात में से कोई एक होती है।यह एक सुकून भरी, साफ और हल्की ठंडी रात होती है। इसमें सुबह तक सुकून और शांति रहती है, न ज्यादा गर्मी होती है, न ठंड।शबे क़द्र का अज्र
रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“जो शबे क़द्र में ईमान और सवाब की नीयत से इबादत करेगा, उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।” (बुखारी, मुस्लिम) निष्कर्ष शबे क़द्र को पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत में बिताना चाहिए,। क़ुरआन पढ़ना, दुआएं करना, ज़िक्र करना और सदका-खैरात देना चाहिए। यह वह रात है जब अल्लाह तआला अपनी रहमतों और मग़फिरत के दरवाजे खोल देता है।अल्लाह हमें इस मुबारक रात की क़दर करने की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन!