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बुहाना में ऊंट की सजावट के लिए देशभर से पहुंच रहे लोग


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आर्टिकल

बुहाना में ऊंट की सजावट के लिए देशभर से पहुंच रहे लोग

अनोखा हुनर: ऊंटों पर कैंची से उकेरी जाती हैं कलाकृतियां

बुहाना : उपखंड मुख्यालय पर ऊंटों पर चित्रकारी का कार्य जोरों पर चल रहा है। यहां न केवल राजस्थान, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से ऊंटों की सजावट के लिए लोग पहुंच रहे हैं। इस क्षेत्र के कारीगरों के हाथ में एक अनोखा हुनर है, जो कैंची की मदद से रेगिस्तानी जहाज ऊंटों पर खूबसूरत चित्रकारी करते हैं। इस सजावट में मालिक के मोबाइल नंबर, पनघट पर खड़ी महिला, फूल, फोटो और अन्य आकर्षक आकृतियां उकेरी जाती हैं। यह कला न केवल आकर्षक है, बल्कि इसमें कारीगरों की रचनात्मकता और मेहनत का भी अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।

सर्दी में ज्यादा आते हैं लोग : यह प्रक्रिया समयसाध्य है, एक ऊंट की सजावट में तीन दिन लगते हैं। सर्दी के मौसम में इस कला को कराने के लिए लोगों की लंबी लाइन लग जाती है। यह कार्य बुहाना की रोही में किया जाता है, जहां ऊंटों के लिए चारा भी आसानी से उपलब्ध होता है।

देशभर से आते हैं ऊंट पालक

ऊंटों की सजावट के लिए गंगानगर, बीकानेर, झुंझुनूं, सिरोही, पिलानी, चिड़ावा, राजगढ़, बुहाना, हरियाणा के महेन्द्रगढ़, नांगल चौधरी, कोजिंदा, माखर, भांखरी, डोहर, मोहनपुर, जाखनी, जैलाफ, धरसूं, घड़ी महासर, लुहारु और उत्तर प्रदेश से ऊंट पालक आते हैं। खासकर उन ऊंटों की सजावट पर अधिक ध्यान दिया जाता है जो मेले, त्योहार, शादी-ब्याह या अन्य खुशी के अवसरों पर इस्तेमाल होते हैं। कई ऊंट गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस की झांकियों का हिस्सा भी बनते हैं।

अब तक 5,000 ऊंटों की सजावट

कस्बे के एक युवक राजवीर रांगेय ने मूर्तियों और पेंटिंग्स के काम को छोड़कर ऊंटों की सजावट का काम शुरू किया है। वह पिछले पंद्रह साल से इस कला को जीवित रखे हुए हैं और अब तक वह करीब 5,000 ऊंटों को कैंची के माध्यम से सजाकर उन्हें एक नया रूप दे चुका है। उसने बताया कि एक बार सजावट कराने के बाद, यह करीब दो से तीन साल तक बनी रहती है, इसके बाद फिर से ऊंट की दस्तकारी करानी पड़ती है।

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