पिछले 10 दिनो से हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के विधि विभाग की प्रो डीन और प्रमुख डॉ मोनिका बेठी धरने पर
पिछले 10 दिनो से हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के विधि विभाग की प्रो डीन और प्रमुख डॉ मोनिका बेठी धरने पर

महेंद्रगढ़ : जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी एडवोकेट के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय टीम महेंद्रगढ़ जिला में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा (सीयूएच) में विधि विभाग की प्रो डीन और प्रमुख डॉ. मोनिका जो आज पिछले दस दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना दे रही हैं, धरने में पहुंची। टीम में महासचिव के साथ प्रदेश प्रवक्ता सोमनाथ, कविता विद्रोही और सुभाषचंद्र एडवोकेट शामिल रहे। डाक्टर मोनिका 2019 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया और बाद में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया था।
धरने पर बैठी महिला प्रोफेसर का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कार्यस्थल पर उनका मानसिक उत्पीड़न, गोपनीयता व व्यवसाय पर हमला कर रहा है। उन्होंने टीम को बताया कि वह पिछले लम्बे समय से विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताओं के बारे में उच्च स्तर तक शिकायत कर चुकी हैं और पुलिस में भी शिकायत कर चुकी हैं परंतु कहीं सुनवाई नहीं हुई है। अब न्याय प्राप्त करने के लिए मजबूर होकर धरने पर बैठना पड़ा है। उन्होंने कहा है कि उनके दफ्तर के कमरे को गैर कानूनी तरीके से सील कर दिया और बाद में कमरे में चोरी करवाई गई है। कमरे में प्रोफेसर महिला की देखरेख में रखे विधि विभाग के दस्तावेज और निजी सामान दस्तावेज रखे हुए थे। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार व वीसी ने गलत तथ्यों के आधार पर माननीय हाईकोर्ट को गुमराह करके मेरा ह्रासमेंट किया जा रहा है। मंच की टीम ने सभी दस्तावेजों का अवलोकन किया है और पाया है कि महिला प्रोफेसर डाक्टर मोनिका का पक्ष पूरी तरह न्यायसंगत है।
जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी एडवोकेट ने विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्रीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों, पुलिस प्रशासन के रवैए का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार का महिला सशक्तिकरण का दावा पूरी तरह खोखला है, जब डाक्टर मोनिका जैसी कानून की जानकार सशक्त महिला का भी इस तरह कार्य स्थल पर मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है तो साधारण महिलाएं न्याय कैसे प्राप्त कर सकतीं हैं। उन्होंने मांग की कि प्रोफेसर मोनिका के इस मामले की तुरंत निष्पक्ष जांच करवाई जाए और उत्पीड़न के दोषी विश्वविद्यालय प्रशासन के हैड व उच्च अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। महिला प्रोफेसर के दफ्तर के कमरे में रखे दस्तावेजों को खुर्द-बुर्द करने के उद्देश्य से चोरी चोरी निकालना पूरी तरह गैरकानूनी कृत्य है।