सर्व समाज ने मनाई राजा अजीत सिंह की 163वीं जयंती:अजीत सिंह की मदद से विवेकानंद ने दिलाई विश्व में भारत को पहचान
सर्व समाज ने मनाई राजा अजीत सिंह की 163वीं जयंती:अजीत सिंह की मदद से विवेकानंद ने दिलाई विश्व में भारत को पहचान

खेतड़ी : खेतड़ी के उप जिला स्थित राजा अजीत सिंह पार्क परिसर में बुधवार को राजा अजीत सिंह की 163वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्षद लीलाधर सैनी, विशिष्ट अतिथि राजपूत युवा सभा अध्यक्ष हरिओम सिंह उसरिया, सुरेंद्र सिंह फौजी थे, जबकि अध्यक्षता श्याम सिंह ने की। कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों ने राजा अजीत सिंह की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर पुष्पांजलि दी।
पार्षद लीलाधर सैनी ने कहा कि खेतड़ी नरेश अजीत सिंह का भी नाम जब भी आता है तो स्वामी विवेकानंद का नाम अवश्य आता है। वह दोनों अजीज मित्र व गुरु शिष्य थे। स्वामी विवेकानंद को नरेंद्रनाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद खेतड़ी नरेश ने ही बनाया था। उन्होंने बताया कि राजा अजीत सिंह ने आगे की सोचते हुए तत्कालीन समय में शिक्षा और चिकित्सा का विस्तार किया उनकी सोच काफी दूरदर्शी थी। राजा अजीत सिंह और स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता था। स्वामी विवेकानंद खेतड़ी नरेश के आग्रह पर तीन बार खेतड़ी आए थे। उन दोनों महान विभूतियों की यादों में केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से अजीत विवेक संग्रहालय बनाया गया है, जिसमें अनेक सैलानी आने लगे हैं। अब खेतड़ी पर्यटक नगरी के रूप में विकसित होगी, यह खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह की ही देन है।
शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में भेजने का पूरा खर्च राजा अजीत सिंह ने ही उठाया था और स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जो भी मैं भारत के कल्याण के लिए थोड़ा बहुत कर पाया हूं वह नहीं कर पाता, यदि मेरी भेंट खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह से नहीं हुई होती। राजा अजीत सिंह ने खेतड़ी रियासत की जनता के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य करवाएं थे, जिनका आज भी जनता लाभ उठा रही है। राजा अजीत सिंह का जन्म 16 अक्टूबर 1861 में झुंझुनूं जिले के अलसीसर गांव में हुआ था। वह खेतड़ी रियासत के 8वें राजा थे। खेतड़ी रियासत कालीन समय में जयपुर के बाद दूसरी सबसे बड़ी रियासत थी। इस दौरान युवाओं को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया गया।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर वेणी शंकर, अमित सैनी, जगदीश सिंह, प्रेम चंदेला, बलवीर मीणा, विजेश सैनी, शाहरुख खान, श्योदान सिंह, याकूब खां, हंसराम, बंशीधर, सुनील कुमार, मैनपाल सिंह, सुमित, नरेश सिंह, मोतीलाल, नरपतसिंह सहित अनेक लोग मौजूद थे।