दशहरा : नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है, इस बार दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा,
दशहरा : नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है, इस बार दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा,
नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है, इस बार दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा,
इस दिन भगवान राम ने रावण को मार कर सच्चाई पर जीत हासिल की थी और रावण को बुराइयों का प्रत्येक माना जाता है पर उनके जीवन से काफी सारी बातें से सीखा भी जा सकता है जो हर किसी के लिए जीवन में काम आएगा। रावण केवल असुर नहीं था वह शक्तिशाली होने के साथ ही प्रकांड विद्वान भी था। लेकिन अपने कर्मों की वजह से बुराई का प्रतीक बन गया।
यह पर्व बच्चों में संस्कार डालने और अपनी संस्कृति के बारे में सीखने का भी एक अच्छा मौका है।
सब पर आता है बुरा वक्त ,
खराब समय का डटकर करें सामना,
राम इतने बड़े राजा थे लेकिन फिर भी उनके जीवन में काफी कष्ट आए और उनका सामना कर जीत हासिल की, इसलिए बच्चों को समझाएं कि जीवन में कोई भी दिक्कत आए घबराएं नहीं बल्कि उनका सामना करें, क्योंकि भगवान राम को भी जीवन के उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा था।
रखे अच्छे दोस्त
किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमारे पास अच्छे दोस्त या टीम होनी चाहिए, इसलिए हमेशा अच्छी संगति चुने, लोगों को सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए साथ में न रखें बल्कि जीवन भर के रिश्ते बनाए।
पैसे-पावर से बड़े रिश्ते
पिता का मान रखने के लिए राम ने राजगद्दी छोड़ दी और 14 साल का बनवास चुना, लक्ष्मण ने भाई होने का फर्ज निभाया और वह भी उनके साथ गए, वहीं भरत ने भी शासन का लालच नहीं किया, और भाई के सम्मान और प्यार में उस राजगद्दी पर नहीं बैठे, बल्कि राम के लौटने का इंतजार किया, इस कहानी से आप बच्चों के मन में बड़ों के प्रति आदर और रिश्तो की अहमियत कि सीख बचपन से डाल सकते हैं।
नेगेटिव लोगों से दूर रहे
घमंड ना करें
मैं रखे बदले की भावना
रावण ने अपनी बहन की बेज्जती का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया, इसकी सजा उसे और उसके परिवार को मिली, पहले सोने के लंका खाक हुई , राम रावण की युद्ध में कई जानें गई, वही राम ने खुद को बनवास भेजने वाली कैकई को भी माफ कर दिया, इससे बच्चों को सहनशीलता की सीख दे, और बताएं कि गुस्सा और बदले की भावना आपको भी बड़े संकट में डाल सकती है।
बुराई परअच्छाई की जीत
बुराई कितनी भी शक्तिशाली या पैसे वाली हो, जीत हमेशा सच और अच्छाई की होती है, रावण के पास सोने की लंका थी, अच्छा दिमाग था वह शिवजी का बड़ा भक्त था फिर भी उसके बुरे कर्मों की वजह से वो बुराई का प्रतीक बन गया रामचंद्र तुलसीयान