अजमेर दरगाह मामले को लेकर सुनवाई शुरू:अंजुमन कमेटी के वकील ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हो, उससे पहले दावे की सुनवाई करना संभव नहीं
अजमेर दरगाह मामले को लेकर सुनवाई शुरू:अंजुमन कमेटी के वकील ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हो, उससे पहले दावे की सुनवाई करना संभव नहीं
अजमेर : अजमेर दरगाह को लेकर लगाई गई याचिका पर आज सिविल कोर्ट में दूसरी बार सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट के बाहर हलचल शुरू हो चुकी है। वकीलों की भीड़ लगी हुई है। कोर्ट के चारों तरफ सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं।
कोर्ट में याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता और अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह कोर्ट पहुंच चुके है। अंजुमन कमेटी के वकील ने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रख दिया है। वहीं याचिकाकर्ता अब अपना पक्ष रखेंगे।
अंजुमन कमेटी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं आ जाता। इस दावे की सुनवाई करना संभव नहीं है।
बता दें कि याचिकाकर्ता ने अपने दावे में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को पक्षकार बनाया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दरगाह में मंदिर होने का दावा पेश किया है। विष्णु गुप्ता ने याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया है।
इससे पहले गुरुवार को अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा करने वाले विष्णु गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा- पीएम मोदी ने यहां आकर खुद चादर नहीं चढ़ाई। यह एक पद की परम्परा है जो नेहरू के समय से निभाई जा रही है।
गुप्ता ने दावा किया कि वो कोर्ट में 1250 ईस्वी की किताब ‘पृथ्वीराज विजय’ के तथ्य पेश करेंगे। जिसमें दरगाह के ख्वाजा साहब के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। साथ ही, गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती। वर्शिप एक्ट मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों पर लागू होता है। बता दें कि गुप्ता गुरुवार को अजमेर पहुंचे थे। यहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। गुप्ता को एसपी वन्दिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई है।
पहले पढ़िए क्या है पूरा मामला?
27 नवंबर को अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर सिविल कोर्ट ने स्वीकार कर ली थी। अदालत ने इसे सुनने योग्य माना और 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख दी है। दरगाह में मंदिर होने का दावा हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से पेश किया गया।
मामले को लेकर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा था। याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला देते हुए दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा किया गया है। साथ ही गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने की बात कही गई है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के तीन आधार…
दरवाजों की बनावट व नक्काशी : दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है। नक्काशी को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा।
ऊपरी स्ट्रक्चर : दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर देखेंगे तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं। गुम्बदों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण करवाया गया है।
पानी और झरने : जहां-जहां शिव मंदिर हैं, वहां पानी और झरने जरूर होते हैं। यहां (अजमेर दरगाह) भी ऐसा ही है
संस्कृत किताब का अनुवाद पेश करने का दावा
गुप्ता ने कहा- मेरे पास 1250 ईस्वी की लिखी किताब पृथ्वीराज विजय है। यह पूरी बुक संस्कृत में लिखी हुई है। इस बुक को भी हिंदी ट्रांसलेशन के साथ कोर्ट में कल पेश करेंगे। इसमें भी अजमेर की हिस्ट्री लिखी हुई है। वर्शिप एक्ट पूजा अधिनियम कानून है। सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर वकील वरुण कुमार सेना ने बहस की है। वह कल कोर्ट में साक्ष्य और दलीलें पेश करेंगे। पूजा अधिनियम कानून मस्जिद, मंदिर, गिरजाघर और गुरुद्वारे पर लगता है। यह धार्मिक स्थल है। इन्हें कानून की नजर में ऑथराइज्ड धार्मिक स्थल कहा जाता है।
चादर चढ़ाना पद का प्रोटोकॉल
उर्स में प्रधानमंत्री की चादर पेश होने के सवाल पर विष्णु गुप्ता ने कहा- पेश करने की शुरुआत नेहरू ने की है। जो भी चादर आ रही है वह प्रधानमंत्री पद के द्वारा भेजी जा रही है। तो शुरू से यह चली आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आकर चादर नहीं चढ़ाई है। चादर फॉर्मेलिटी है ऑफिशियल काम चल रहा है। लेकिन यह भी आस्था का विषय है, लोग चढ़ा रहे हैं, कोई दिक्कत नहीं है। जिनकी जो आस्था है वह अपनी आस्था निभाए।