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एक बार फिर वसुंधरा ने इशारों में कह दी ये बड़ी बात, बयान के बाद पार्टी में मची हलचल


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एक बार फिर वसुंधरा ने इशारों में कह दी ये बड़ी बात, बयान के बाद पार्टी में मची हलचल

Former CM Vasundhara Raje: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के तीसरी बार सीएम नहीं बनने की कसक अभी भी मन में है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। इसलिए उन्हें जब भी मंच मिलता है तो वे उसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश करती हैं।

उदयपुर : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को एक बार फिर इशारों ही इशारों में बहुत बड़ी बात कही दी। राजे ने दो पंक्तियों में अपनी बात कुछ ऐसे कही कि इसे पूर्व सीएम का दर्द समझें या किसी को दी गई सलाह! राजे ने उदयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, घमंड चूर-चूर हो जाए’। उनके इस बयान के बाद पार्टी में एक बार फिर हलचल मच गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर उदयपुर पहुंचीं और सलूम्बर विधायक अमृतलाल मीणा के घर पहुंचकर शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने कहा है कि आदिवासियों की आवाज उठाने वाले एक लोकप्रिय नेता के निधन से भाजपा को बड़ी क्षति हुई है। इससे पहले पूर्व सीएम राजे ने ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागर महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव को संबोधित किया।

महोत्सव में राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए सभी लोग भारत के विकास में अपना योगदान दें। साथ ही बरसात के मौसम को जोड़ते हुए उन्होंने दो पंक्तियों में कहा- काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए, मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाएं, नफरत हमेशा के लिए दफन हो जाए और सब के सब, मैं से हम हो जाएं। पूर्व सीएम के इस संबोधन को लेकर प्रदेश में सियासी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने महोत्सव में यह भी कहा कि जैन धर्म का मूल सिद्धांत है हिंसा रहित जीवन, लेकिन हिंसा की परिभाषा सिर्फ हथियार से हिंसा करना या किसी को मारना-पीटना ही नहीं, किसी का दिल दुखाना, किसी का दिल तोड़ना, किसी की आत्मा को सताना भी है। उन्होंने कहा कि राजनीति में सबसे बड़ी दौलत जनता का प्यार है, जो उन्हें निरंतर मिल रहा है। जैन धर्म का सिद्धांत जीओ और जीने दो है लेकिन कई लोगों ने इसे उलट दिया है। जीओ और जीने मत दो। यानी खुद तो जीओ लेकिन दूसरों को जीने मत दो। ऐसा करने वाले वाले भले ही थोड़े समय खुश हो जाएं पर वे हमेशा सुखी नहीं रह सकते क्योंकि जैसा बोओगे-वैसा काटोगे।

उन्होंने दो पंक्तियां भी सुनाई। काश ऐसी बारिश आये,जिसमें अहम डूब जाए,मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए,गुस्से के पहाड़ पिघल जाए, नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये और सब के सब, मैं से हम हो जाएं।

राजे के इन बयानों को लेकर अब पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में जबरदस्त चर्चा शुरू हो गई है। वैसे तो यह संबोधन धर्मसभा में था लेकिन पूर्व सीएम ने राजनीति से इसे जोड़ दिया। राजे की इन बातों के बाद पार्टी के में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि पूर्व सीएम ने इशारों ही इशारों में किस पर ये कटाक्ष किए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इस तरह सार्वजनिक रूप से शब्दों के जरिए पहेलियां बुझाई हैं।

ये नेता रहे मौजूद

कार्यक्रम में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अलावा विधायक काली चरण सराफ,अजय सिंह किलक, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, विधायक भैंरा राम सिओल, विधायक तारा चंद जैन, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा, पूर्व विधायक अमृता मेघवाल,नाना राम अहारी, उदयपुर भाजपा ज़िला अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदर सिंग भानावत समेत कई कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

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