फोटो अपलोड करते ही अपराधी की मिलेगी जानकारी:पुलिस हुई आधुनिक; राजकॉप ऑफिशियल ऐप से तुरंत मिलता है पूरा डेटा
फोटो अपलोड करते ही अपराधी की मिलेगी जानकारी:पुलिस हुई आधुनिक; राजकॉप ऑफिशियल ऐप से तुरंत मिलता है पूरा डेटा

झुंझुनूं : अपराधियों की धरपकड़ और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। राजकॉप ऑफिशियल ऐप में फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन से अब किसी भी व्यक्ति का सिर्फ फोटो अपलोड करते ही राज्यभर के उससे मिलते-जुलते व्यक्ति का नाम-पता व संपूर्ण ब्योरा और आपराधिक कुंडली खुल जाएगी। यदि वह कहीं वांटेड है तो भी पता लग सकेगा।
झुंझुनूं में अधिकारियों से लेकर सिपाहियों के मोबाइल में यह ऐप्लिकेशन सुविधा शुरू की गई है। यह ऐप्लिकेशन सिर्फ पुलिस के लिए ही है। इससे अब दिन या रात्रिगश्त में कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसकी फोटो खींचकर आपराधिक रिकॉर्ड या वांटेड होने का पता लगाया जा सकेगा।
एसपी राजर्षि राज वर्मा बोले- पहचान में होगी आसानी
झुंझुनूं एसपी राजर्षि राज वर्मा ने कहा- अब जांच अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति का अपने मोबाइल से फोटो खींचकर सपूर्ण जानकारी सीसीटीएनएस के मार्फत अपलोड कर रहे हैं। इसी से फोटो मैचिंग ऐप्लिकेशन में फोटो अपलोड करते ही आपराधिक रिकॉर्ड मिल जाता है।
कहीं गश्त के दौरान कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है तो उसका फोटो डालकर एक क्लिक करते ही उसका संपूर्ण रिकॉर्ड आ जाएगा। इससे अपराधियों की पहचान करने में भी आसानी होगी।
शव की पहचान में भी मददगार
एसपी ने बताया- कोई भी अपराधी-लापता व्यक्ति या किसी मृतक की मौके पर पहचान का पता लगाने के उद्देश्य से राजकॉप ऑफिशियल ऐप व सीसीटीएनएस ऐप्लिकेशन में फोटो मैचिंग मॉड्यूल ऐप्लिकेशन विकसित की गई है।
इसमें आपराधिक गतिविधि से जुड़े किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करते ही पहचान हो जाएगी। इसके लिए फोटो मैचिंग मॉड्यूल को सीसीटीएनएस के अपराधिक रिकॉर्ड मॉड्यूल से इंटीग्रेट किया गया। यदि किसी व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड है तो उसका न सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड बल्कि व्यक्तिगत जानकारी पुलिसकर्मी को तुरंत ही उपलब्ध हो जाएगी।
एआइ आधारित है यह तकनीक
यह एप्लिकेशन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित तकनीक वाली है। इसके विश्लेषण के लिए एनालिटिक्स डैश-बोर्ड पर फोटो मैचिंग डैश-बोर्ड तैयार किया गया है। इसका एक्सेस आइपीएस-आरपीएस अधिकारियों के साथ ही थाना स्तर पर दिया गया है।
डैश-बोर्ड से किस पुलिस अधिकारी व जवान ने कितनी बार फोटो मैचिंग तकनीक उपयोग में ली है वह भी पता लगाया जा सकेगा।