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इन्वेस्टिगेशन:यह शर्मनाक है…ब्रेस्ट-हिप ऑपरेशन में महिलाओं के अंगों के फोटो चेहरे के साथ पोर्टल पर अपलोड हो रहे, लीक का खतरा


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इन्वेस्टिगेशन:यह शर्मनाक है…ब्रेस्ट-हिप ऑपरेशन में महिलाओं के अंगों के फोटो चेहरे के साथ पोर्टल पर अपलोड हो रहे, लीक का खतरा

इन्वेस्टिगेशन:यह शर्मनाक है...ब्रेस्ट-हिप ऑपरेशन में महिलाओं के अंगों के फोटो चेहरे के साथ पोर्टल पर अपलोड हो रहे, लीक का खतरा

जयपुर : मुख्यमंत्री आयुष्मान हेल्थ योजना का क्लेम पास करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी बेशर्मी की हदें पार कर रही हैं। योजना में ऑपरेशन का क्लेम पास करने के लिए प्रोसिजर के वक्त अंगों और चेहरे के फोटो मांगे जा रहे हैं। अस्पताल की ओर से ऐसे फोटो उपलब्ध नहीं करवाने पर क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है।

सबसे शर्मनाक य​ह है कि महिलाओं के ब्रेस्ट और हिप ऑपरेशन में भी अंगों की फोटो उनके चेहरों के साथ पोर्टल पर अपलोड हो रहे हैं। ऑपरेशन थिएटर में फोटो लेने के बाद पोर्टल तक पहुंचने और क्लेम पास होने के बीच महिलाओं की ऐसी तस्वीरें कई ठेकाकर्मियों से होकर गुजरती हैं। महिलाओं की निजता का हनन का ये कुकृत्य तब हो रहा है जब योजना में क्लेम के लिए जरूरी दस्तावेजों में ऐसी कोई शर्त नहीं है।

दरअसल, निजी और सरकारी अस्पतालों में क्लेम को लेकर हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए इंश्योरेंस कंपनी ने ये शर्त लागू की है। इंट्रा ऑपरेटिव फोटो विद फेस की ये शर्त पहले केवल निजी अस्पतालों के लिए थी, जिसे बाद में सरकारी अस्पतालों के लिए भी लागू कर दिया गया। सरकारी अस्पतालों ने उच्चाधिकारियों तक शिकायतें की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

प्राइवेट पार्ट की भी फोटो ले रहे
सरकारी और निजी अस्पतालों में मुख्यमंत्री आयुष्मान हेल्थ योजना का काम निजी फर्मों को ठेके पर दिया गया है। ऑपरेशन के समय नॉन क्लिनिकल व्यक्ति (ठेकाकर्मी) ओटी में जाता है और अपने फोन से मरीजों के अंगों और चेहरे की फोटो लेता है। फिर वह टीपीए पर काम करने वाले कर्मचारी को ये फोटो देता है, जो पोर्टल पर अपलोड करता है। यहां अपलोड होने के बाद क्लेम पास होने तक कई कर्मचारी उन्हें देखते हैं, ऐसे में फोटो वायरल होने का भी डर बना रहता है। कई बार प्राइवेट पार्ट की सर्जरी होती है, उनके अंगों की फोटो भी चेहरे के साथ भेजी जा रही है। जबकि ऐसा करना मेडिकल एथिक के खिलाफ है।

…जबकि ये शर्त मिनिमम डॉक्यूमेंट प्रोटोकॉल में नहीं है
कई केस में प्राइवेट पार्ट की सर्जरी होने पर अस्पताल की ओर से अंग व चेहरे की फोटो नहीं भेजी जाती है, तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर देती है। जबकि इंश्योरेंस एजेंसी के बनाए मिनिमम डॉक्यूमेंट प्रोटोकॉल में फेस के साथ फोटो का नियम नहीं है। हर बीमारी के इलाज का कोड अलग है।

कई यूनिट हेड जता चुके हैं इस पर आपत्ति
एमडीएम अस्पताल में ठेके पर लगे कार्मिक योजना का काम कर रहे हैं। कई यूनिट हेड इस संबंध में अपनी आपत्ति लिखित और मौखिक तौर पर दे चुके हैं, लेकिन कुछ हुआ नहीं।

डॉक्टर्स बोले- शिकायत कर चुके, जिम्मेदार एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मा

“इंट्रा ऑपरेटिव फोटो चेहरे के साथ मांगना गलत है। कई यूनिट हेड ने आपत्ति लिखकर दी हैं।”
– डॉ. नवीन किशोरिया, अधीक्षक, एमडीएमएच

“पोर्टल पर फोटो अपलोड करने का फैसला राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस तय करता है।”
-लोकेश कुमार, एडी, डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन

“ये राज्य सरकार का निर्णय है, हम कुछ नहीं कर सकते हैं। इसके लिए पॉलिसी बनी हुई है।”
– जय सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, राज. स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस, जयपुर

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