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थोक के भाव बिक रही थी फर्जी डिग्रियां.. निजी विश्वविद्यालयों के मालिक गिरफ्तार!


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थोक के भाव बिक रही थी फर्जी डिग्रियां.. निजी विश्वविद्यालयों के मालिक गिरफ्तार!

पेपर लीक मामले में जुड़ती जा रही कड़ी से कड़ी..

जयपुर : पेपर लीक मामलों की जांच कर रही एसओजी ने फर्जी डिग्रियों के मामले में भी बड़ा एक्शन लिया है। पेपर लीक से संबंधित मामलों की जांच के दौरान फर्जी डिग्रियों के कई केस पुलिस के सामने आए थे। डीआईजी परिश देशमुख के नेतृत्व में हुई जांच के बाद एसओजी की टीम ने राजस्थान के दो निजी विश्वविद्यालयों के मालिकों को गिरफ्तार किया है। चूरू जिले में स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के मालिक और संस्थापक जोगेंद्र सिंह और अलवर स्थित सनराइज यूनिवर्सिटी के मालिक/पार्टनर जितेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी जितेंद्र यादव एमके विश्वविद्यालय पाटन (गुजरात) यूनिवर्सिटी का मालिक भी है। इन दोनों के साथ एक महिला सरिता कड़वासरा को भी गिरफ्तार किया जो ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में 7 साल तक रजिस्ट्रार और चेयरपर्सन रही है। एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी हरियाणा के रहने वाले हैं। जोगेंद्र रोहतक के रामगोपाल कॉलोनी का रहने वाला है जबकि सरिता रोहतक के ओमेक्स सिटी की रहने वाली है। तीसरा आरोपी जितेंद्र यादव महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल का रहने वाला है।

  • फर्जीवाड़े से इतना पैसा कमाया कि शुरू करने जा रहे थे दो और नए विश्वविद्यालय
  • एसओजी ने ओपीजेएस यूनिवर्सिटी और सनराइज यूनिवर्सिटी के संस्थापकों और साझेदारों को धर दबोचा

फर्जी तरीके से एडमिशन के लिए कई राज्यों में हैं दलाल

डीआईजी परिश देशमुख का कहना है कि गिरफ्तार किया गया आरोपी जितेंद्र यादव पहले रोहतक में स्कूल चलाता था। बाद में यह ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में काम करने लगा। यह आरोपी ओपीजेएस में रजिस्ट्रार रह चुका है। देशमुख ने बताया कि ये लोग फर्जी तरीके से एडमिशन कराते हैं।

आरोपी खोलने जा रहे थे दो और विश्वविद्यालय, बनाया शानदार रिसॉर्ट

डीआईजी परिश देशमुख ने बताया कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय के संस्थापक और मालिक जोगेन्द्र सिंह बारां जिले के शाहबाद में वैदिक विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रहा है जबकि जितेन्द्र यादव बूंदी जिले के लाखेरी में जीत विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रहा है। आरोपी जितेंद्र वर्ष 2015 से 2020 तक ओपीजेएस में रजिस्ट्रार रह चुका है। फर्जी डिग्रियों से कराए गए रुपयों से उसने चूरू जिले के रतनगढ़ में एक रिसोर्ट भी बनाया है।

दावा किया कि आग में नष्ट हो गए रिकॉर्ड, एसओजी से बोलते रहे झूठ

एडीजी वीके सिंह का कहना है कि गिरफ्तार की गई आरोपी सरिता कड़वासरा वर्ष 2013 से 2015 तक ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार रहीं। बाद में वर्ष 2015 से 2020 तक वे ओपीजेएस में चेयरपर्सन रही। सरिता के कार्यकाल में खूब फर्जी डिग्रियां बेचे जाने की शिकायतें मिली है। जांच के लिए एसओजी ने जब भी सरिता से यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड मांगा तो वह हर बार यही कहती थी कि वर्ष 2019 में आग लगी थी जिसमें सारा रिकॉर्ड जल गया। जबकि निदेशालय, लोकसेवा आयोग और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से जब भी दस्तावेज सत्यापन के लिए भेजा जाता है तो उनका सत्यापन किया जाता है। फर्जीवाड़ा छिपाने के लिए वह एसओजी से हमेशा झूठ बोलती रही।

बैक डेट में सैकड़ों डिग्रियां की जारी, जानिए कैसे करते थे फर्जीवाड़ा

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की ओर से बैंक डेट में सैकड़ों की संख्या में फर्जी डिग्रियां जारी की जा चुकी हैं। मान्यता मिलने से पहले ही इन विश्वविद्यालयों की ओर से बीएड और बीपीएड की फर्जी डिग्रियां बनाकर बेच दी गई थी। फर्जी प्रवेश दिखाकर खेल प्रमाण पत्र जारी भी जारी किए जाते थे। एमएससी और एग्रीकल्चर कोर्स की मान्यता नहीं होने के बावजूद कोर्स संचालित किया जा रहा था और डिग्री जारी की जा रही थी। एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि चूरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां बनाकर बेची हैं।

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