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आखिर पत्रकारिता किस ओर जा रही है ?


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आखिर पत्रकारिता किस ओर जा रही है ?

आखिर पत्रकारिता किस ओर जा रही है ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

भारतीय लोकतंत्र पूरे विश्व में मिसाल है । इसका एक मजबूत स्तम्भ पत्रकारिता अपने मूल सिध्दांतों से भटकता नजर आ रहा है । प्रिन्ट मीडिया के समक्ष एक बड़ी चुनौती इलैक्ट्रिक मिडिया ने खड़ी कर दी है । इलैक्ट्रिक मिडिया के अनगिनत यूट्यूब चैनलों ने पत्रकारिता के मूल्यों को ताक पर रखने का काम किया है । एक बढ़िया मोबाईल व एक माउथ पीस होना एक पत्रकार की पहचान हो गई है । पत्रकारिता का यह मजबूत स्तम्भ निजी स्वार्थ के जंग से जर्जर होकर भुरभुरा कर गिरने की अवस्था में है ।‌ पत्रकारिता एक आईना होती है जो सरकार व आमजन के मध्य सेतु का काम करती है । सरकार की गलत नितियों का उजागर करना आजकल सरकार की विरोध की श्रेणी में ले लिया है ।‌ किसी अधिकारी या अफसर की गलत नितियों व उसके द्वारा किए गये भ्रष्टाचार को उजागर कर सरकार के संज्ञान में लाने का काम पत्रकारिता की प्राथमिकता होनी चाहिए न कि उसको अर्थ के बोझ से दबकर दबाने का काम होना चाहिए । यदि ऐसा होता है तो यह पत्रकारिता नहीं बल्कि दलाली कि श्रेणी में आता है और बिका हुआ पत्रकार देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है । सरकार को भी इस बात पर गौर करना चाहिए कि जो भ्रष्टाचार या ग़लत नितियों को कलम के द्वारा उजागर किया गया है तो उसका संज्ञान लेना चाहिए । कुकुरमुत्ते की तरह फैले यूट्यूब चैनलों के प्रसारण को लेकर भी नियम होने चाहिए।

पत्रकार संघ को भी चाहिए कि जो कथित पत्रकार पत्रकारिता की आड़ में दलाली का धंधा कर रहे हैं उनको बेनकाब किया जाए । इसके साथ ही यूट्यूब चैनलों के लिए भी नियम होने चाहिए जिससे इन यूट्यूब चैनलों पर आई बाढ को रोका जा सके । प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत के झुन्झुनू दौरे को विवादास्पद बनाने पर तुली यह पत्रकारिता को क्या पत्रकारिता का नाम दिया जा सकता है । जिला मुख्यालय पर जब कोई मंत्री का दौरा होता है तो अनूमन यह देखा गया कि जनहित की समस्याएं उनके संज्ञान में लाई जानी चाहिए लेकिन अनूमन यह नहीं देखने को मिल रहा है ।‌ जिला मुख्यालय पर अवैध निर्माण जोरो पर है इसको लेकर एक भाजपा नेता ने कांग्रेस शासन में बहुत आरोप लगाए थे कि पर्यटन की धरोहर हवेलियों को जमींदोज किया जा रहा है लेकिन यह मामला फिर उसी पत्रकारिता की भेंट चढ़ गया जिसके लिए यह कुख्यात है । सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है मुख्य मार्ग गंदे पानी से अटे पड़े हैं । जिला परिषद पर जिस अधिकारी को लगाया गया आखिर यह किसकी डिजायर थी उस डिजायर के पीछे क्या मंशा थी इसका खुलासा भी होना चाहिए ।

कल ही इस कथित पत्रकारिता की भेंट चढ़े एक समाचार को लेकर भाजपा पदाधिकारी ने स्पष्ट किया । मामला आगामी चुनावों में भाजपा की टिकट की दावेदारी को लेकर था । उस पदाधिकारी के अनुसार उन नामो की जयपुर में चर्चा ही नही हुई व आर्थिक बोझ के नीचे दबकर उन नामो को मिडिया में चलाने का काम किया जिनका कोई वजूद ही नहीं है ।

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