[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

जालोर में अपने टूटे मकानों के आगे रो रहे लोग:गृह प्रवेश की तैयारी में था परिवार, घर ही नहीं बचा; जहां बिजली काटी वहां बुजुर्गों का बुरा हाल


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
जालोरटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

जालोर में अपने टूटे मकानों के आगे रो रहे लोग:गृह प्रवेश की तैयारी में था परिवार, घर ही नहीं बचा; जहां बिजली काटी वहां बुजुर्गों का बुरा हाल

जालोर में अपने टूटे मकानों के आगे रो रहे लोग:गृह प्रवेश की तैयारी में था परिवार, घर ही नहीं बचा; जहां बिजली काटी वहां बुजुर्गों का बुरा हाल

ओडवाड़ा (जालोर) : हम छह भाई हैं साहब..मैं तीसरे नंबर का हूं। 30 साल पहले पापा ने यह प्लाट खरीदा था। बंटवारे में यह जमीन मेरे हिस्से आई। बेंगलुरु में कपड़े की दुकान पर 12 हजार रुपए की प्राइवेट नौकरी करता हूं। उसी में से थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर जोड़ा था और यह मकान बनाया था। अगले एक डेढ़ महीने में यहां शिफ्ट करने वाला था। पूरी बस्ती में सिर्फ यही एक मकान है जिसे बुलडोजर ने पूरा ढहा दिया। अब तीन छोटे बच्चों को लेकर कहां जाऊंगा। आप बताओ।

जालोर के ओडवाड़ा गांव में ऐसी कई कहानियां हैं। ये गांव चर्चा में है क्योंकि गुरुवार को यहां हाईकोर्ट के आदेश पर चारागाह भूमि पर बने अतिक्रमण को हटाया गया था। प्रशासन ने 70 मकानों की चारदीवारी, बाड़े और कच्चे पक्के ढांचे तोड़े। सिर्फ एक मकान पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। यह मकान नैनसिंह (27) का था।

नैनसिंह, उसकी पत्नी और बेटा। पीछे मलबे में तब्दील उसका मकान जिसे गुरुवार को प्रशासन ने पूरी तरह ढहा दिया।
नैनसिंह, उसकी पत्नी और बेटा। पीछे मलबे में तब्दील उसका मकान जिसे गुरुवार को प्रशासन ने पूरी तरह ढहा दिया।

नैनसिंह 5 साल से कर्नाटक के बेंगलुरु में कपड़े की दुकान पर 12 हजार रुपए की नौकरी करता है। माता पिता ने 6 साल पहले बंटवारा कर दिया था। नैनसिंह के हिस्से में यह प्लाट आया था। इस पर वह मकान बनवा रहा था। एक डेढ़ महीने में वह गृह प्रवेश करने वाला था। गुरुवार को नैनसिंह के मकान का बिजली कनेक्शन काट दिया गया, चारदीवारी और दो कमरों का मकान प्रशासन ने पूरी तरह तोड़ दिया।

नैनसिंह ने बताया- मकान का काम 6 महीने पहले शुरू किया था। अगले डेढ़ दो महीने में यह पूरी तरह तैयार होने वाला था। मेहनत की कमाई के 8 लाख रुपए इसे बनाने में लगा दिए। तीन बच्चों और पत्नी के साथ जल्दी ही यहां शिफ्ट होने का सोचा था। लेकिन कल (गुरुवार को) मकान को तहस नहस कर दिया।

अब आप बताओ छोटे बच्चों को लेकर कहां जाऊं। रहने के लिए इसके अलावा कोई जगह मेरे पास नहीं है। अब तक भाई के घर में परिवार रह रहा था। इस भीषण गर्मी में बिना मकान के कोई कैसे रह सकता है। कहां जाएं, क्या करें, कुछ समझ नहीं आ रहा।

नैनसिंह के पास मकान-जमीन के दस्तावेज के नाम पर सिर्फ बिजली का बिल है।
नैनसिंह के पास मकान-जमीन के दस्तावेज के नाम पर सिर्फ बिजली का बिल है।

नैनसिंह का डर बना हुआ है। कार्रवाई का डर सता रहा है। कार्रवाई टल भी गई तो नए सिरे से मकान दोबारा बनाना पड़ेगा। लेकिन अब उसके पास जमा पूंजी नहीं बची है। उसकी पत्नी बादामी और 3 बच्चे निरमा, पीयूष और जितेंद्र भाई के घर में रह रहे हैं।

शुक्रवार को नैनसिंह पत्नी और बच्चे के साथ अपने प्लाट पर पहुंचा। चारों तरफ सिर्फ मलबा है। दीवारें बुलडोजर ने जमींदोज कर दी। परिसर में टूटा हुआ लोहे का मेनगेट पड़ा है। कुछ मशीनरी पड़ी हैं। नैनसिंह ने कहा कि परदेस में दस-बारह हजार की नौकरी कर जो कुछ बचा, इस मकान में झोंक दिया था। अब कहां जाऊंगा।

खीमाराम का दर्द: बूढ़ी मां अंधी है, रातभर कपड़ा गीला कर हवा करते रहे

जालोर में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है। गुरुवार की प्रशासन की कार्रवाई ने पारा और बढ़ा दिया। तापमान भी दो दिन से 45-46 पहुंच रहा है। यहां प्रशासन ने बुलडोजर चलाने के साथ ही बिजली के कनेक्शन भी काट दिए थे। पूरी बस्ती के कुल 13 बिजली कनेक्शन काटे गए, जिनमें एक कनेक्शन खीमाराम का भी था।

खीमाराम चौधरी के घर का कनेक्शन गुरुवार सुबह काटा गया था। तब से परिवार परेशान है।
खीमाराम चौधरी के घर का कनेक्शन गुरुवार सुबह काटा गया था। तब से परिवार परेशान है।

शुक्रवार दोपहर खीमाराम दीवार की छाया में चारपाई बिछाकर बैठे नजर आए। वहीं परिवार की कुछ महिलाएं और चार बच्चे भी जमीन पर बैठे दिखे। महिलाएं बच्चों को कागज से हवा कर रही थीं। खीमाराम ने बताया- गुरुवार को सुबह 10 बजे बिजली का कनेक्शन काटा था। कनेक्शन मेरे भाई जूठाराम के नाम पर था। गुरुवार दिनभर, पूरी रात और शुक्रवार पूरे दिन गर्मी में परेशान होते रहे।

गुरुवार की पूरी रात हम सब अंधेरे में बैठे रहे। क्या करते, घर एक टॉर्च तक नहीं है। कल रोटी भी नहीं बनी। पूरी बस्ती अंधेरे में डूबी रही। सब खुले आसमान के नीचे सोये। पारा इतना है कि रात में गर्म हवा चलती है। खीमाराम ने बताया- मेरी मां 85 साल की है और अंधी है। वह चल फिर नहीं पाती। मां की तबीयत बिगड़ने का डर सताता रहा। ऐसे में परिवार के 3 बच्चे पूरी रात पानी में कपड़ा भिगोकर मां को हवा करते रहे।

85 साल की सुखी देवी चल फिर नहीं सकती, आंखों से दिखाई भी नहीं देता। बिजली कनेक्शन कटा तो पोते-पोतियों को उनकी तबीयत बिगड़ने की चिंता हुई। बच्चे रातभर कपड़ा भिगोकर हवा करते रहे।
85 साल की सुखी देवी चल फिर नहीं सकती, आंखों से दिखाई भी नहीं देता। बिजली कनेक्शन कटा तो पोते-पोतियों को उनकी तबीयत बिगड़ने की चिंता हुई। बच्चे रातभर कपड़ा भिगोकर हवा करते रहे।

शुक्रवार दोपहर तक इस घर की बिजली का कनेक्शन नहीं जुड़ा था। घर की महिलाएं बच्चों को लेकर घर के आंगन में दीवार और पेड़ के नीचे बैठी थीं।

बिजली कनेक्शन के अलावा खीमाराम के घर की 30 फीट दीवार भी तोड़ दी गई है। इसी परिवार की पोनी देवी (49) ने बताया- मेरे 3 साल के पोते को गुरुवार रात मैंने पहली बार घर से बाहर खुले में सुलाया। देर रात तक लू चलती रही। बार-बार पानी में कपड़ा भिगोकर उसका शरीर पोंछती रही।

हाईकोर्ट के आदेश से मकान टूटे, हाईकोर्ट ने ही लगाई रोक

ओडवाड़ा में हाईकोर्ट के आदेश पर 35 एकड ओरण भूमि पर बने 268 मकानों को चिन्हित कर तोड़ने की कार्रवाई गुरुवार को की गई। जिला प्रशासन ने 70 मकानों की चारदीवारी और बाड़ों को गिराया। बिजली के 13 कनेक्शन काट दिए गए। इस दौरान जो तस्वीरें आईं वे भावुक करने वाली थी। कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने कार्रवाई रोकने और बिजली कनेक्शन बहाल करने के आदेश जारी किए।

Related Articles