ब्लड बैंक और मकान मालिक में विवाद:440 यूनिट ब्लड खराब हुआ, ड्रग विभाग के 3 अफसरों को नोटिस
ब्लड बैंक और मकान मालिक में विवाद:440 यूनिट ब्लड खराब हुआ, ड्रग विभाग के 3 अफसरों को नोटिस

जयपुर : एक ओर प्रदेश में ब्लड की कमी चल रही है। वहीं, दूसरी ओर किरा पर चल रहे ब्लड बैंक और मकान मालिक के विवाद के चलते 440 यूनिट ब्लड एक्सपायर हो गया। मामले में सरकार की ओर से ड्रग विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार माना गया।
साथ ही तीन अधिकारियों को 17 सीसीए का नोटिस जारी किया है। मामले के अनुसार गोपालपुरा में जीवनदाता ब्लड बैंक भीमराज सैनी के मकान में किराए पर चल रहा था। किसी बात को लेकर दोनों में विवाद हो गया और मकान मालिक ने ब्लड बैंक खाली करने के लिए कह दिया। लेकिन ब्लड बैंक खाली नहीं किया गया। इसे लेकर दोनों पक्षों में मारपीट तक हो गई और मामले दर्ज करा दिए।
एक दिन मौका पाकर मकान मालिक ने ब्लड बैंक के गेट पर ताला लगा दिया और ब्लड बैंक बंद हो गया। इसके बाद ड्रग विभाग को 29 मई को सूचना मिली और टीम भेजी गई। टीम ने यहां एक्सपायर हो चुके ब्लड को नष्ट कराया और अन्य ब्लड को दूरी जगह शिफ्ट करने के लिए कहा। अब जबकि जीवनदाता ब्लड बैंक मालिक का ही अलवर में एक और ब्लड बैंक है तो पूरे ब्लड को वहां शिफ्ट करने के लिए भी कहा गया।
इससे पहले कि ब्लड शिफ्ट होता, मकान मालिक ने ब्लड बैंक के गेट पर कूलर लगाकर रास्ते को ही ब्लॉक कर दिया। इसके बाद ब्लड बैंक को खोलना ही संभव नहीं था। वहीं, इस विवाद और ड्रग एक्ट के तहत ड्रग विभाग ने इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। लेकिन ब्लड बैंक से ब्लड को शिफ्ट नहीं कराया जा सका। कई दिन तक ब्लड उसमें पड़ा रहा और करीब 440 यूनिट पीआरबीसी और 33 यूनिट आरडीपी भी एक्सपायर हो गया।
ब्लड बैंक पर ताला, शिफ्ट नहीं कर सके
मामले में ड्रग विभाग के अधिकारियों ने कई बार ब्लड बैंक इंचार्ज को ब्लड शिफ्ट करने के लिए कहा, लेकिन वह भी ब्लड बैंक पर ताला लगा होने की वजह से इसे शिफ्ट नहीं कर सका। ना ही उसने ड्रग विभाग को इसकी सूचना दी। अब जबकि मामला थाने में था और ड्रग विभाग कार्रवाई कर चुका था तो हर कोई पूरी तरह बेफ्रिक हो गया। वहीं, सामने यह भी आया कि ड्रग एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है कि ड्रग विभाग ब्लड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करा सकें। एक्ट के तहत कार्रवाई के ताैर पर केवल लाइसेंस निरस्त और नष्ट कराने का ही नियम है।
“ब्लड बैंक मालिक ही ब्लड को खुद शिफ्ट कर सकता था। ड्रग एक्ट के तहत हम उसे ट्रांसफर नहीं करा सकते थे। हमने व्यक्तिगत तौर पर उसे ब्लड ट्रांसफर के लिए कहा था और उसने भी आश्वासन दिया था। लेकिन संभव है कि मकान मालिक के ताला लगाने और मामला पुलिस तक पहुंचने की वजह से वह शिफ्ट नहीं कर सका। हमने नियमों के दायरे में रहकर ही कार्रवाई की।”
-अजय फाटक, ड्रग कंट्रोलर, जयपुर