तकनीकी खामी:सरकार का सैलरी सिस्टम गड़बड़ाया, 7 दिन पहले ही खातों में आया वेतन
तकनीकी खामी:सरकार का सैलरी सिस्टम गड़बड़ाया, 7 दिन पहले ही खातों में आया वेतन

जयपुर : राज्य सरकार का वेतन भुगतान का सिस्टम बुधवार को गड़बडा गया। वेतन भुगतान के साफ्टवेयर में आई तकनीकी खामी के चलते 7 दिन पहले ही बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों की सेलेरी उनके खातों में आ गई। अभी अप्रैल का महीना चल रहा है। इस महीने की सेलेरी 1 मई या इसके बाद जमा होनी थी, लेकिन सात दिन पहले ही 24 अप्रैल को खातों में जमा हुई सेलेरी देखकर कर्मचारी भी हैरान रह गए।
शिक्षा संकुल में संयुक्त निदेशक कार्यालय के कर्मचारियों सहित अन्य कई विभागों के कर्मचारियों की अप्रैल की सेलेरी उनके खातों में जमा हो गई। बताया जा रहा है कि करीब 25 करोड़ रुपए से अधिक की राशि इस तरह से कर्मचारियों के खातों में जमा हुई है। मामला सामने आने के बाद कोष एवं लेखा कार्यालय ने इस गफलत की जांच प्रारंभ कर दी है। सरकारी सिस्टम में समय से पहले इस तरह से वेतन जमा होने का संभवतया यह पहला मामला है।
मामले के अनुसार कर्मचारियों के सेलेरी बिल 24 तारीख तक प्रोसेस होकर ट्रेजरी पहुंचते हैं। इसके बाद ट्रेजरी में बिल पास होते हैं। फिर अगले महीने की 1 तारीख या इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम (ईसीएस) के जरिए वेतन कर्मचारी के खातों में जमा होता है। लेकिन इस बार तो यह सभी प्रक्रियाएं एक साथ ही हो गई।
कर्मचारियों का कहना है कि इतनी जल्दी सेलेरी देखकर वे भी हैरान रह गए। उन्होंने जब अपने कार्यालय में पता किया तो सामने आया कि अप्रैल की सेलेरी आ गई। बताया जा रहा है कि यह वित्त विभाग में लागू किए गए आईएफएमएस 3.0 सिस्टम की खामी के चलते हुआ है।इससे पहले भी इस सिस्टम से कई बार अनियमित भुगतान हो चुके हैं।
कर्मचारी संगठन भी इसकी खामी को लेकर कई बार सरकार को लिख चुके हैं। राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष मुकेश मुदगल का कहना है कि साफ्टवेयर की खामी से कई कर्मचारियों के खातों में अप्रैल की सेलेरी 7 दिन पहले ही आ गई।
पहले भी भुगतान को लेकर कई खामियां सामने आ चुकी है। अगर यही गड़बड़ी मार्च में अप्रैल के वेतन को लेकर हो जाती तो कर्मचारियों की टैक्स केलकुलेशन गड़बड़ा जाती। हमने सरकार को साफ्टवेयर की खामी दूर करने के लिए लिखा है।
पिछले साल आरटीई में हो गया था डबल भुगतान
पिछले साल भी जयपुर जिले में इस तरह की गफलत हुई थी। तब जिले में कई निजी स्कूलों को 3.19 करोड़ रुपए से अधिक का डबल भुगतान हो गया था। मामला सामने आने के बाद कलेक्ट्रेट और शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था। बाद में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक जयपुर कार्यालय ने निजी स्कूलों को हुए डबल भुगतान की वसूली की। इसको लेकर नोटिस भी जारी हुए थे।