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चैत्र नवरात्रि व हिंदू नववर्ष आज से प्रारंभ, जाने मां दुर्गा जी की सवारी, घट स्थापना के शुभ मुहूर्त व विधि


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धर्म/ज्योतिष

चैत्र नवरात्रि व हिंदू नववर्ष आज से प्रारंभ, जाने मां दुर्गा जी की सवारी, घट स्थापना के शुभ मुहूर्त व विधि

चैत्र नवरात्रि व हिंदू नया वर्ष आज से प्रारंभ, जाने मां दुर्गा जी की सवारी, घट स्थापना के शुभ मुहूर्त व विधि

नवरात्र : जलाराम बापा ज्योतिष संस्थान (रजि.) के अध्यक्ष आचार्य अभिमन्यु पाराशर ने बताया कि चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा के दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है।

चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है इसलिए इनका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्र को बंसत ऋतु का आगमन भी माना जाता है। चैत्र नवरात्र की नवमी को ही भगवान राम ने जन्म लिया था जिसे राम नवमी कहते हैं। इसलिए चैत्र नवरात्रों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।

पूरे नौ दिनों तक चलने वाले पर्व में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है।
इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार के दिन हो रही है। इसलिए इस बार मां दुर्गा घोड़े की सवारी करके आएगी। भगवतपुराण के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा जब घोड़े की सवारी करती है तो इसका असर गंभीर होता है। प्राकृतिक आपदाएं, सत्ता में उथल-पुथल जैसी कई विपदा आ सकती हैं।

इसी दिन से नवसंवत्सर 2081 प्रारंभ हो जाएगा।

कलश स्थापना मुहूर्त :
09 अप्रैल 2024 मंगलवार, समय दिन के 12:04 से दोपहर 12:54 तक कलश स्थापना का मुहूर्त रहेगा, कुल अवधि 50 मिनट की रहेगी।

शास्त्र मतानुसार प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग को टालकर घट् स्थापना करनी चाहिए। यदि चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग या दोनों में से कोई एक भी संपूर्ण दिन व्याप्त रहे तो ‘अभिजीत मुहूर्त’ में घट स्थापना करनी चाहिए। इस वर्ष बसंत नवरात्र प्रारंभ के दिन वैधृति योग दिन के 2:18 तक होने से अभिजीत समय में घट् स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा जिसका समय दिन में 12:04 से दोपहर 12:54 तक रहेगा।

नवरात्रि कलश स्थापित करने की दिशा और स्थान :
कलश को उत्तर या फिर उत्तर पूर्व दिशा में रखें। जहां कलश बैठाना हो उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें। इस स्थान पर दो इंच तक मिट्टी में रेत और सप्तमृतिका मिलाकर एक सार बिछा लें। कलश पर स्वास्तिक चिह्न बनाएं और सिंदूर का टीका लगाएं। कलश के गले में मौली लपेटें।

कैसे करें कलश स्थापना :
नवरात्रि की पूजा में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश को श्रीविष्णु का रूप माना जाता है, इसलिए नवरात्रि से पहले घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना अगर शुभ मुहूर्त में की जाए तो इसका विशेष फल मिलता है। कलश स्थापना से पहले घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ कर लें. इसके बाद पूजा के स्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं. कलश के लिए वैसे तो मिट्टी का कलश सबसे शुभ होता है लेकिन अगर वो नहीं है तो तांबे का कलश भी चलेगा. इसे लगातार 9 दिनों तक एक ही स्थान पर रखा जाता है. कलश में गंगा जल या स्वच्छ जल भर दें. अब इस जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का डालें. इसके बाद कलश के किनारों पर अशोक या आम के पत्ते रखें और कलश को ढक्कन से ढक दें. एक नारियल पर लाल कपड़ा या चुन्नी लपेट दें. अब नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र या मोली से बांधें. इसे तैयार करने के बाद चौकी या जमीन पर जौ वाला पात्र (जिसमें आप जौ बो रहे हैं) रखें. अब जौ वाले पात्र के ऊपर मिट्टी का कलश और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रखें।

उसके बाद आप विधि विधान से पाठ- पूजा उपासना करें, माता का ध्यान स्मरण करें व मंत्र जप करें, माता के प्रसाद का भोग लगाएं और माता की आरती करें।।

अश्व पर होगा आगमन :
इस बार चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन अश्व पर होगा व प्रस्थान हाथी पर होगा।

नवरात्र में पूजा- पाठ :
नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ- साथ रामचरितमानस के पाठ भी विशेष शुभ फलदाई रहतें हैं। इस दौरान आप किसी मंत्र का भी विधिवत अनुष्ठान कर सकते हैं।

माता को लाल पुष्प अतिप्रिय :
नवरात्र के दौरान माता को लाल पुष्प जैसे- गुलाब गुड़हल इत्यादि अर्पित करें और इसके साथ-साथ माता को लाल चुनरी की साड़ी भी अर्पित करें।

नवरात्रि में क्या करें?

  • नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि मां दुर्गा का पूजन सुबह और शाम दोनों समय विधि-विधान से करना चाहिए. साथ ही मां दुर्गा की आरती भी करें.
  • पूजा करते समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करना चाहिए. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जातकों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
  • अगर आप 9 दिनों का व्रत कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि चारपाई या बेड के बजाए जमीन पर बिस्तर बिछा कर सोएं.
  • नवरात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. अगर आप व्रत करते हैं तो इस शुद्ध विचार और अच्छे कर्म करने चाहिए.

नवरात्रि में क्या न करें?

  • ध्यान रखें कि नवरात्रि में मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. तामसिक भोजन में लहसुन प्याज भी शामिल है.
  • नवरात्रि के दौरान शराद, पान और गुटखा आदि का भी सेवन करना निषेध होता है.
  • यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि का व्रत करता है तो उसे ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए. ऐसा न करने से व्रत भंग हो सकता है.
  • नवरात्रि में दाढ़ी, मूंछ नहीं बनवाने चाहिए और न ही नाखून काटने चाहिए.
  • नवरात्रि में मनुष्य को गलत विचार व सोच नहीं रखनी चाहिए. ध्यान रखें कि इस दौरान किसी महिला का भी अपमान करना पाप होता है.

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