चिकनी मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ी
चिकनी मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ी

पचलंगी : चिकनी मिट्टी से बने बर्तनों की वैसे तो हर मौसम मे मांग रहती है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही मटकों की मांग बढ़ जाती है। ठंडे पानी के लिए गर्मी की आहट के साथ ही चिकनी मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गई है। कैलाश कुमावत मण्डावरा, लुणाराम, प्रमोद कुमावत पचलंगी आदि ने बताया कि पचलंगी की चिकनी मिट्टी बर्तन बनाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां की चिकनी मिट्टी नीमकाथाना- सीकर-झुन्झुनू जिले के मिट्टी उद्योग से जुड़े लोग लेकर जाते थे।
चिकनी मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने से इनके भाव भी बढ़ रहे हैं। पहले 80 से 100 रुपए में मटका मिलता था। अब 120 से 160 रुपए तक साइज के अनुसार मटका मिलता है। कैलाश कुमावत ने बताया कि पहले मिट्टी आस-पास में ही निशुल्क मिल जाती थी। ईंधन भी कम पैसों में मिल जाता था, लेकिन अब मिट्टी व ईंधन दूर से मंगवाना पड़ता है। इससे खर्चा बढ़ गया।
बढ़ती बीमारियों को रोकने में कारगर प्राचीन समय में जहां मिट्टी के बर्तनों का प्रचलन अधिक था। वहीं आधुनिक समय में लोगों ने इनका प्रयोग करना कम कर दिया है। अब फिर से लोगों का मिट्टी के बर्तनों की ओर रूझान बढ़ा है। लोगों ने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुये खाना बनाने सहित खाना खाने व पीने के बर्तन भी मिट्टी के बर्तन उपयोग मे लेने लगे हैं।