1000 दिन 11 लाख को खाना:अलवर में जन्मदिन व शादी की वर्षगांठ पर भी अनेक लोग चौराहे पर आकर काटते हैं केक, खिलाते हैं गरीबों को खाना
1000 दिन 11 लाख को खाना:अलवर में जन्मदिन व शादी की वर्षगांठ पर भी अनेक लोग चौराहे पर आकर काटते हैं केक, खिलाते हैं गरीबों को खाना

अलवर : समाज सेवा के नाम पर विभिन्न स्थानों पर सहयोग देने और प्रचार पाने वालाें में ऐसे लाेग भी शामिल है जिनके अपने माता-पिता दूसरों के सहारे जिंदगी जी रहे हैं। इनमें कई तो ऐसे लोग भी जिनका विदेशों में व्यापार है, खुद अधिकारी हैं, कंपनियां चला रहे है पर इनसे अपने माता-पिता नहीं पाले जा रहे। इन परिवारों सहित हजारों ऐसे लोगों की सहारा बनी हुई है अलवर की विजन संस्थान।
एक हजार से अधिक दिन हो गए, हर रोज सुबह शाम पहले सैकडों व अब एक हजार से अधिक लोगों को एक रुपए में भोजन करवा रहे है। अब तक करीब 11 लाख के अधिक लोगों को भोजन करवा चुके है। इसके अलावा शहर में फिलहाल 153 ऐसे परिवारों का भी ये सहारा बना हुए है जिन्हें उनके संपन्न बेटों ने छोड़ रखा है। लोगों के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचे इसलिए एक समय के भोजन की रेट तय है स्वैच्छिक एक रुपया। किसी के पास यदि यह राशि भी नहीं है तो भी भोजन मिलेगा ही। कोविड के समय लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाने से हुई शुरुआत उसके बाद भी जारी रही।
युवाओं की एक टोली को लगा कि आज भी लोगाें को भोजन की आवश्यकता है। इस कारण अलवर शहर के बिजली घर चौराहे पर दो टेबिल लगाकर खाना खिलाना शुरू किया। क्रम बढ़ता गया जो आज तक जारी है। पहले केवल चौराहे पर आने वालों के लिए यह खाना था अब वृद्ध व अपाहिज लोगों को घर-घर भी पहुंचाया जा रहा है।
ऐसे आता है पैसा
संस्था के अध्यक्ष हिमांशु शर्मा बताते है कि आजकल एक माह में करीब पांच लाख रुपए का खर्चा आता है। जैसे जैसे लोगों ने इस व्यवस्था को देखा तो वे खुद ही सहयोग के लिए चले आते है। आजकल शहर में जन्मदिन, पुण्यतिथि,शादी की वर्षगांठ व अब तो मरने पर बारहवें पर भी लोग समाज का खाना नहीं करके यहीं पर आकर सहयोग करते है व अपने हाथों से गरीबों को खाना खिलाते है। शहर के लोगों के अलावा अब देश के विभिन्न क्षेत्रों से भी लोग इसमें सहयोग करने लगे है। यह रसोई मई 2021 को शुरू की गई थी।
ऐसे चलती है व्यवस्था
सिस्टम को चलाने के लिए बिना वेतन के करीब पच्चीस लोगों की टीम है और खाना बनाने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी है। सुबह 6 बजे से काम शुरू हो जाता है।11 बजे खाना दिया जाता है। शाम को पांच बजे खाना वितरित करते है। जिस स्थान पर भोजन का वितरण होता है वह सरकारी अस्पतालों के नजदीक है। इस कारण खाना खाने वालों में मरीजों के परिजन व श्रमिक भी होते है।
आगे क्या : अब अन्न वाहिनी बनाने की योजना है। इसके तहत ई-रिक्शा में खाना रखकर शहर के ऐसे क्षेत्र जहां पर आवश्यकता है पर लोग आ नहीं सकते वहां पर भी खाना भिजवाया जाएगा।