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सात दिन की बच्ची का ऑपरेशन कर बनाया रिकॉर्ड:पहले बच्ची को दूध पिलाने के लिए भी मुंह से गले तक डालनी पड़ती थी सिरिंज


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सात दिन की बच्ची का ऑपरेशन कर बनाया रिकॉर्ड:पहले बच्ची को दूध पिलाने के लिए भी मुंह से गले तक डालनी पड़ती थी सिरिंज

सात दिन की बच्ची का ऑपरेशन कर बनाया रिकॉर्ड:पहले बच्ची को दूध पिलाने के लिए भी मुंह से गले तक डालनी पड़ती थी सिरिंज

जयपुर : जयपुर के पीडियाट्रिक डेंटिस्ट गौरव गुप्ता का नाम लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। उन्होंने सात दिन की बच्ची का डेंटल केयर में डिजिटल सर्जरी की है। जो बच्ची के लिए नए जीवन से कम नहीं थी। उन्होंने बताया- इससे बच्ची को दूध पिलाने के लिए भी मुंह से गले के अंदर तक सिरिंज डाली जा रही थी। इसके लिए गौरव को जनवरी में पुणे में सम्मानित भी किया गया। आगे पढ़िए डॉक्टर गौरव गुप्ता से बातचीत के कुछ अंश..

गौरव को पुणे में सम्मानित भी किया गया।
गौरव को पुणे में सम्मानित भी किया गया।

सवाल: पीडियाट्रिक डेंटिस्ट की जरूरत नवजात बच्चे को कब पड़ती है?

जवाब: पीडियाट्रिक डेंस्टिस का योगदान बच्चे के दूध के दांतों की देखभाल, उनके ग्रोथ और डेवलपमेंट को मेंटेन करने के लिए होती है। कभी कभार जेनेटिक कंडीशन होती है जब ग्रोथ सही नही होती है। उनमें से एक क्लैप लिफ्ट एंड प्लेनेट है। इसमें होंठ और मुंह के तलवे के अंदर दोनों भाग टुकड़े होते हैं। गर्भ अवस्था के छठे से नवें महीने के अंदर इनका जुड़ाव आपस में होता है। कभी कुछ कारण वश इनका जुड़ाव नहीं होता है। वो भंग के साथ पैदा होते हैं। एक हजार में से एक बच्चे क्लैप लिफ्ट तलवे या होंठ के भंग के साथ पैदा होते हैं। इस परिस्थिति को मैनेज करने के लिए पिडियाट्रिक डेंटिस्ट की जरूरत पड़ती है। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा इसका करेक्शन 6 से नौवें महीने में किया जाता है। तब तक के लिए उसे क्वालिटी लाइफ देने के लिए पीडियाट्रिक डेंटिस्ट की जरूर पड़ती है।

सवाल: आपने सात दिन की नवजात बच्ची का डिजिटल ऑपरेशन किया,, जो राजस्थान में अपने आप में पहली सफल सर्जरी थी उसके बारे में बताएं?

जवाब: ये नवजात बच्ची 2023 में हमारे पास आई थी।। बच्ची के मुंह के तलवे के अंदर एक डिफेक्ट था। वो अंदर से जुड़ा हुआ नहीं था। इसकी सर्जरी 6 से 9वें महीने में ही हो सकती थी। बच्ची के माता- पिता काफी चिंतित थे की बच्ची का भरण पोषण कैसे करें? ऐसे में बच्ची को सिरिंज की मदद से गले तक दूध ले जाकर छोड़ा जाता था।,जो काफी दर्दनाक था। हमने इसे 100 पर्सेंट सक्सेस रेट के साथ पूरा किया था।

हमने इंटर ओरल स्पाइनल के द्वारा बच्ची के मुंह को स्कैन किया। बिना किसी मटेरियल को डाले हमने डिजिटल इम्प्रेशन लिया। फिर डिजिटल इंप्रैशन को डिजिटल मॉडल में साथ कन्वर्ट किया। इसके बाद कोच्चि के डेंट केयर लैब से फीडिंग प्लेट तैयार कराकर मंगवाई गई। दो दिन बाद फीडिंग प्लेट को बच्ची के मुंह में जोड़ा गया। बच्ची को मां की गोद में ही रख कर इस फीडिंग प्लेट को मुंह में लगाया गया। बाद में बच्ची सिरिंज के नार्मल तरीके से दूध पीने में सक्षम हो गई। 6 महीने बाद बच्ची के पेरेंट्स ने प्लास्टिक सर्जरी की सहायता लेकर समस्या को पूरी तरह दूर किया।

गौरव गुप्ता पीडियाट्रिक डेंटिस्ट हैं।
गौरव गुप्ता पीडियाट्रिक डेंटिस्ट हैं।

सवाल : क्या ये एक जेनेटिक प्रॉब्लम है कि क्या इसका पता बच्चे के जन्म से पहले से लगाया जा सकता है?

जवाब : हां ये एक जेनेटिक परेशानी होती है। ये बच्चे या बड़े सभी में हो सकती है। एक हजार में से एक बच्चा इस तरह की परेशानी के साथ जन्म लेता है। इसमें उसके होठ कटे हुए हो सकते हैं। या ऊपर के तालू में छेद की समस्या होती है। बच्चे के जन्म से पहले छठे या नौवें महीने में स्कैन में ही पता लगाया जा सकता है। उससे पहले इसकी जानकारी नहीं हो पाती है। अगर 9वें महीने में जानकारी हो भी जाए तो आप उस वक्त कुछ कर नहीं सकते हैं।

सवाल : इस तरह के ऑपरेशन में किस तरह की चुनौती आती है?

जवाब : ज्यादातर डॉक्टर इस तरह की सिचुएशन से घबराते हैं। क्योंकि मुंह संवेदनशील जगह है। यहां कोई भी मटेरियल डालने में सांस नली में फंसने का खतरा रहता है। लेकिन डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से मुंह के अन्दर बिना कुछ डाले ही डिजिटल इंप्रैशन लिया जा सकता है

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