जोधपुर : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से स्वदेशी तेजस मार्क 1ए फाइटर जेट मिलने शुरू हो रहे हैं। राजस्थान से सटे पश्चिमी बॉर्डर पर तेजस की पहली स्क्वाड्रन बीकानेर के नाल एयरबेस पर इसी माह तैनात होगी। साल के अंत तक 18 विमान मिल जाएंगे। इनमें दो ट्रेनर विमान भी शामिल होंगे। पांच साल में पश्चिमी फ्रंट पर तेजस की दो और स्क्वाड्रन की तैनाती हाेगी। फेज आउट हो चुके मिग 21 और मिग 27 की जगह तेजस की तैनाती से पश्चिमी बॉर्डर की हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी।
वेस्टर्न बॉर्डर पर दो और स्क्वाड्रन तैनात होगी
नाल में तेजस की पहली स्क्वाड्रन आने के बाद वेस्टर्न फ्रंट पर चार साल में दो और स्क्वाड्रन की तैनाती की जाएगी। नाल के बाद गुजरात के कच्छ में स्थित नलिया एयरबेस पर तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन की तैनाती की योजना है। तीसरी स्क्वाड्रन वेस्टर्न फ्रंट पर ही कश्मीर के एक फॉरवर्ड बेस पर तैनात होगी। एयरफोर्स को 83 विमान मिलेंगे, जो चार स्क्वाड्रन जितने विमान हैं। इनमें 10 ट्रेनर विमान भी शामिल हैं। यानी एक स्क्वाड्रन में 16 फाइटर और 2 ट्रेनर तैनात होंगे। अभी तमिलनाडु के सुलूर में तेजस की दो स्क्वाड्रन तैनात हैं।
पश्चिमी मोर्चे का दमदार प्रहरी तेजस
मिग 21 बायसन विमान की संख्या 30 ही है। ये साल 2025 तक फेज आउट हो जाएंगे। तेजस मार्क 1ए इसकी जगह लेंगे। हर साल 6 से 8 तेजस मिलेंगे। दूसरी प्रोडक्शन लाइन तैयार होने के बाद 16 मिलने लगेंगे। अभी देश में 18 तेजस हैं। 2030 तक पूरे तेजस की आपूर्ति होगी। 83 तेजस मिलने के बाद एयरफोर्स की ताकत में इजाफा होगा।
बढ़ेगी पश्चिमी सीमा की ताकत
पूर्व रक्षा प्रवक्ता राजस्थान कर्नल मनीष ओझा (से.नि) का कहना है कि तेजस भारत के रक्षा अनुसंधान, रक्षा उद्योग और भारतीय वायुसेना के संयुक्त प्रयास का एक सफल उदाहरण है और रक्षा निर्माण के क्षेत्र में भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित करता है।