45 हजार पेंशनरों की पेंशन बंद होने के कगार पर:अभी तक वार्षिक सत्यापन भी नहीं, डिजिटल सर्टिफिकेट आफत बना
45 हजार पेंशनरों की पेंशन बंद होने के कगार पर:अभी तक वार्षिक सत्यापन भी नहीं, डिजिटल सर्टिफिकेट आफत बना

झुंझुनूं : वार्षिक सत्यापन नहीं होने से झुंझुनूं में 45 हजार 57 पेंशनर्स की पेंशन रुक गई है। बीते 31 दिसंबर तक सभी लाभार्थियों को सत्यापन करना था, लेकिन हजारों की संख्या में लाभार्थी सत्यापन से वंचित रह गए। इनमें बड़ी संख्या में वे लोग हैं, जिनके फिंगर और आईरिस दोनों ही नहींं आ रहे हैं।
वंचित पेंशनर्स कार्यालय के चक्कर लगा लगाकर थक चुके हैं। कभी अधिकारी नहीं मिलते तो कभी कर्मचारी। झुंझुनूं का उपखण्ड अधिकारी का तबादला होने से पिछले एक सप्ताह से तो कार्यालय में सत्यापन का काम रुक गया है। ये वे लाभार्थी हैं जिनके फिंगर और आईरिस दोनों ही नही आ रहे हैं। ऐसे में वो उपखण्ड कार्यालय में जाकर ओटीपी से वैरिफाई करवा सकते हैं, लेकिन पिछले एक सप्ताह से उपखण्ड अधिकारी नहीं होने से सत्यापन नहीं हो पा रहा है।
उप निदेशक डॉ. पवन पूनिया ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत जिले में कुल 278853 लाभार्थी विभिन्न पेंशन योजना के तहत पंजीकृत हैं। इनमें से 45057 लाभार्थियों ने अभी तक सत्यापन नहीं करवाया है। जिनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 35664 एवं शहरी क्षेत्र में 9393 पेंशनर्स का वार्षिक भौतिक सत्यापन किया जाना है। अगर सत्यापन नही कराया गया तो पेंशन रोक दी जाएगी।
दिव्यांगों के लिए डिजीटल सर्टिफिकेट बने आफत
जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, उनमें बड़ी संख्या वे दिव्यांग भी शामिल हैं। इनको लेकर बड़ी परेशानी ये आ रही है कि जिनका 40 प्रतिशत डिसीबिलिटी का प्रमाण पत्र है वो ऑनलाइन मान्य नहींं हो रहा है, अब उन्हें 40 प्रतिशत ऊपर का प्रमाण पत्र बनवाकर डिजीटल कराना होगा।
जिनका ऑफलाइन प्रमाण पत्र बना था उन्हें भी प्रमाण को डिजीटल कराना होगा। इसके बाद कहीं जाकर उनका वैरिफिकेशन होगा, लेकिन डिजीटल प्रमाण पत्र बनने में काफी समय लग रहा है, कई तो ऐसे जिनके दो तीन महीने पेंडिंग चल रहे हैं, ऐसे में उनका वैरिफिकेशन नहीं हो पा रहा है। जबकि इससे पहले इनका वार्षिक सत्यापन आराम से हो रहा था। लेकिन अब नए नियम आने से परेशानी खड़ी हो गई है।
विधवा महिलाओं का नहीं हो रहा सत्यापन
पेंशन सत्यापन में विधवा महिलाओं के सामने भी बड़ी समस्या आ रही है। वैरिफेशन करवाने पर विधवा नहीं बता पा रहा है, जबकि जनाधार कार्ड में महिलाएं पहले से विधवा हैं। ऐसे में विकलांग और विधवा महिलाएं वार्षिक सत्यापन को लेकर चक्कर लगाने पर मजबूर हो रहे हैं।