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गंदगी में बन रहा अन्नपूर्णा रसोइयों का खाना:8 रुपए की थाली के 25 रुपए तक ले रहे, बर्तन भी धुलवा रहे, सरकार जांच करा रही


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गंदगी में बन रहा अन्नपूर्णा रसोइयों का खाना:8 रुपए की थाली के 25 रुपए तक ले रहे, बर्तन भी धुलवा रहे, सरकार जांच करा रही

गंदगी में बन रहा अन्नपूर्णा रसोइयों का खाना:8 रुपए की थाली के 25 रुपए तक ले रहे, बर्तन भी धुलवा रहे, सरकार जांच करा रही

उदयपुर : प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही इंदिरा रसाेई का नाम बदलकर अन्नपूर्णा रसोई कर दिया गया है। अब सरकार ने 24 जनवरी को इनके खाने की गुणवत्ता, कूपन काटने की प्रक्रिया और सफाई आदि की जांच के आदेश दिए और रिपोर्ट मांगी है। डीएलबी डायरेक्टर सुरेश कुमार ओला ने सभी निकाय आयुक्तों को इसके निर्देश जारी किए हैं।

सरकारी जांच के बीच हमारे मीडिया कर्मी ने तीन दिन पहले बुधवार को अपने स्तर पर शहर के बीच चल रही 5 अन्नपूर्णा रसोइयों की की पड़ताल की। इनमें कई खामियां सामने आईं। कहीं भोजन के 8 रुपए की जगह 25 रुपए तक वसूले जा रहे थे तो कहीं जली-अधपकी रोटियां दी जा रही थी। यहां खाने आने वाले लोगों से ही जूठे बर्तन धुलवाने जैसे तथ्य सामने आए। इतना नहीं, कई जगह न तो भोजन का वजन करने को लेकर न तो इलेक्ट्रोनिक कांटे मिले, न ही हर दिन के हिसाब से हर रसोई का मेन्यू एक जैसा मिला। कई जगह घरेलू सिलेंडरों का इस्तेमाल किया जा रहा था।

पहले कूपन बांटने का दायरा 400-400 था : उदयपुर जिले में कुल 40 अन्नपूर्णा रसोई संचालित हैं। इनमें से अकेले शहर में 31 चल रही हैं। दिसंबर 2022 में 32 हजार कूपन बांटे गए, जबकि दिसंबर 2023 में सिर्फ 16 हजार कूपन बांटे गए।

पिछले साल दिसंबर में चुनाव से पहले प्रति इंदिरा रसोई पर प्रतिदिन लंच-डिनर के कूपन बांटने का दायरा 400-400 था और 85-95 फीसदी कूपन बंटते थे। चुनाव के बाद अब अन्नपूर्णा रसोई पर रोज लंच-डिनर के कूपन बांटने का दायरा 200-200 कर दिया है। अब लगभग 100 फीसदी कूपन बंट रहे हैं। कूपनों की 50 प्रतिशत मांग पूरी नहीं हो रही है।

सरकार ने यह जांचने काे कहा

  • निकायों के अधिशासी अधिकारी मौके पर जाकर हालात जानेंगे।
  • मीनू के अनुसार भोजन परोसा जा रहा है या नहीं?
  • भोजन की गुणवत्ता कैसी है, वजन 650 ग्राम है या नहीं?
  • रसोई के अंदर व बाहर साफ सफाई कैसी है?
  • रसोई के ऊपर नाम का होर्डिंग है या नहीं?
  • कूपन काटने की प्रक्रिया कैसी है?
  • थाली में 100 ग्राम मोटा अनाज होना चाहिए।

जिले में 40 रसोइयां, अकेले शहर में 31, कहीं गंदगी का आलम, कहीं घरेलू सिलेंडरों का प्रयोग

उदियापोल : 6 की जगह दे रहे थे 5 रोटियां

उदियापोल रोडवेज बस स्टैंड परिसर की रसोई में सफाई की कुछ कमी थी। सुबह से दोपहर तक 195 टोकन कट चुके थे। थाली की कीमत 8 रुपए ली जा रही थी, लेकिन टोकन ऑनलाइन नहीं थे। आठ रुपए की पर्ची थमाई जा रही थी। रसोई संचालक नारायणलाल का जवाब था कि लाइट गुल होने के कारण टोकन मोबाइल पर काट रहे हैं। यहां 5 रोटियां परोसी जा रही थी, लेकिन रिपोर्टर की मौजूदगी में ये 6 हो गईं। एक रोटी बढ़ते ही भोजन का वजन 650 ग्राम पहुंच गया। मीनू में यहां पत्ता गोभी, दाल, चावल रोटी परोसी गई। यहां व्यावसायिक सिलेंडर का उपयोग हो रहा था।

माजी सराय : खाद्य सामग्री के बीच गंदगी

माजी की सराय के भीतर रसोई के सबसे गंदे हाल मिले। जहां सब्जी और दाल बन रही थी, वह कमरा बेहद गंदा था। कुल 8 बाय 8 वर्ग फीट के कमरे में दो भटि्टयां चल रही थी। समीप के दूसरे कमरे में खाद्य सामग्री के बीच में गंदगी के ढेर पड़े थे। तराजू भी नहीं थी। छत पर लोगों को खिलाने की व्यवस्था थी, जहां रोटी भी बनती है। यहां पर परोसने के लिए अचार नहीं था। सुबह से दोपहर तक 95 टोकन काटे गए थे। संचालक राजकुमार भट्‌ट ने गंदगी में बर्तन धोने के मामले में बताया कि निगम से नाली की सफाई के लिए बोल रखा है। यहां घरेलू गैस के 25 सिलेंडर रखे थे।

देहली गेट : आलू-पालक की जगह पानी पालक

देहली गेट पर पार्किंग के नीचे स्थित रसोई में दोपहर करीब दो बजे एंट्री बंद थी। लोग पिछले दरवाजे से लोग जा रहे थे। सुबह 9:30 बजे से दोपहर दो बजे तक 141 टोकन कटे थे। आलू पालक की सब्जी से आलू गायब थे। बाल्टी में केवल पानी पालक बचा था। संचालक जया इंटरप्राइजेज के धर्मेंद्र भट्‌ट का जवाब था कि भोजन का एंड हो गया है, इसलिए आलू नहीं है। वजन के लिए तराजू नहीं थी। भोजन की रेट 8 रुपए ही ले रहे थे। संचालक का कहना था कि 200 से ज्यादा कूपन होने पर निगम से मंजूरी ली जाती है।

एमबी हॉस्पिटल : यहां संचालित रसोई में 8 रु. के बदले 25 रु. तक वसूले जा रहे थे। मरीजों को इच्छानुसार टोकन दिए जा रहे थे। किसी थाली में 4 तो किसी में 5 रोटियां थीं। रोटियां अधजली थी। भोजन के बाद खरीदार से ही बर्तन धुलवा रहे थे। रसोई में सब्जी और दाल खुले में रखी थी। पूछताछ पर कम्प्यूटर ऑपरेटर सरोज भोई का जवाब था कि सुबह 10:30 बजे से पहले 200 कूपन कट चुके हैं। अब पोर्टल बंद है। भीड़ को देखते हुए मजबूरी में रेट बढ़ानी पड़ी। यहां भोजन का साप्ताहिक मीनू भी गायब था। भोजन भी 650 ग्राम नहीं था।

चेतक सर्किल : गुरु गोविंद स्कूल परिसर के सामने स्थित रसोई की भोजन की गुणवत्ता कुछ हद तक ठीक थी, लेकिन वजन 403 ग्राम ही था, जबकि 650 ग्राम होना चाहिए। हमारे मीडिया कर्मी ने यहां अपने नाम से कूपन कटाया। इलेक्ट्रिक तराजू के सेल निकाले हुए थे। तौलने की बोलने पर जेब से सेल निकालकर वजन किया गया तो कम निकला। हालांकि, यहां पर भोजन 8 रुपए में ही मिल रहा था। एसीजी महिला रानू बानो का कहना था कि 172 कूपन ऑनलाइन कट चुके हैं। कम भोजन पर जवाब मिला कि अभी दलिया नहीं बना है।

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