कीमती सामान के साथ आधार कार्ड भी चुराती थी गैंग:तीसरी पास सरगना ने जेल में गैंग बनाई, बेरोजगारों को लालच दिया, वारदात के लिए खरीदी कार
कीमती सामान के साथ आधार कार्ड भी चुराती थी गैंग:तीसरी पास सरगना ने जेल में गैंग बनाई, बेरोजगारों को लालच दिया, वारदात के लिए खरीदी कार

जोधपुर : जल्द से जल्द बड़ा आदमी बनने की चाहत में तीसरी कक्षा पास युवक ने 2013 में चोरी की। जेल में जाने के बाद गैंग बना ली। जेल से जमानत पर आने के बाद गैंग में और लोगों को शामिल किया और वारदात को अंजाम देने लगा। इसके लिए बेरोजगार लड़कों को चुना गया। 32 साल के आरोपी के खिलाफ जोधपुर में 16 मामले दर्ज हैं।
इसी गैंग ने कुछ दिनों पहले जोधपुर के भावी गांव में एक ही रात में 10 मकानों में चोरी की वारदात की थी। जब ये पकड़े गए तो बताया- चोरी करने के बाद आरोपी पार्टी करने के लिए महंगे होटलों और क्लबों में जाते।
पैसे खत्म हो जाने के बाद फिर चोरी की साजिश रचकर वारदात को अंजाम देते थे। यह पहली गैंग है जो चोरी के दौरान आधार कार्ड जरूर ले जाती थी। फिर आधार कार्ड से सिम खरीदकर बात करते थे, जिससे की पुलिस की पकड़ से बच सकें।

एक ही रात में 10 मकानों में की थी चोरी
जोधपुर ग्रामीण की बिलाड़ा थाना पुलिस ने भावी गांव में रात के समय एक साथ दस मकानों में चोरी की वारदात करने वाली गैंग का खुलासा करते हुए गैंग के दो आरोपियों बीरमाराम और भगाराम को गिरफ्तार किया। बीरमाराम गैंग का सरगना है। जिसने जेल में रहने के दौरान ही भगाराम से दोस्ती की।अपनी गैंग में चार अन्य लोगों को भी मिलाया और मारवाड़ के उन इलाकों को निशाना बनाया जहां घरों में रहने वाले लोग काम धंधे के सिलसिले में बाहर रहते थे। पुलिस पूछताछ में इसका खुलासा हुआ है।
गैंग का मुख्य सरगना वीरमाराम पुत्र राणाराम निवासी कानासर है। वीरमाराम कक्षा 3 तक पढ़ा हुआ है। कम उम्र में अमीरों की जिंदगी जीने की चाहत में 32 साल की उम्र में उसके खिलाफ विभिन्न थानों में चोरी, एनडीपीएस एक्ट सहित 16 मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ 27 सितम्बर 2013 में पहली बार चोरी का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में उसे जेल जाना पड़ा था।
जेल में ही उसकी मुलाकात भगाराम पुत्र कानाराम जाट निवासी चितरोली पुलिस थाना शिव से हुई। यहां पर हुई दोस्ती के बाद दोनों ने जेल से बाहर आकर 2016 में गैंग बनाई। दोनों की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए फिल्मों देखकर ऐशो आराम की जिंदगी जीना चाहते थे। इसके लिए शुरुआत छोटी मोटी चोरियों से की। यहां पर मिले पैसों को अपनी शौक मौज में खर्च कर देते। धीरे-धीरे दोनों का लालच बढ़ता गया और किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश रचने। इसके लिए गैंग में और लोगों की जरूरत पड़ी।
ऐसे जुड़ी पूरी गैंग
बीरमाराम का सहयोगी भगाराम ने अपने ससुराल में टैक्सी चलाने वाले देवाराम पुत्र भारूराम मेघवाल निवासी भाड़खा को शामिल किया। बाद में गैंग में औंकारसिंह पुत्र तनय सिंह निवासी कोटड़िया जिला जैसलमेर, मूलसिंह पुत्र सांगसिंह निवासी खेलाणा जिला जैसलमेर को भी शामिल कर लिया। ये सभी बेरोजगार थे। सभी नाइट क्लबों में पार्टियों के शौकीन थे। इसके लिए पैसे कमाने की चाह के साथ सभी गैंग में शामिल हो गए। इसके बाद सोजत, पाली, जैतारण, बाड़मेर, जैसलमेर, बिलाड़ा, कापरड़ा, शेरगढ़, बोरानाडा, फलसूंड आदि क्षेत्रों में चोरियां की।

वारदात के बाद करते थे पार्टी
आरोपी महंगे होटलों, क्लबों में मौज और अय्याशी करने के शौकीन थे। वारदात के बाद सभी इसी कार से घूमने के लिए निकल जाते थे। चोरी के पैसों को होटलों में खर्च कर अगली वारदात को अंजाम देने की साजिश में जुट जाते थे। बता दें कि 7 जनवरी की रात एक से दो बजे के करीब गैंग के चोरों ने एक साथ दस मकानों में चोरी की वारदात को अंजाम देकर हजारों रुपए की नकदी व सोने चांदी के आभूषण चुरा लिए थे। इसको लेकर प्रार्थी किशन पुत्र हिम्मताराम जाट, भागीरथ पुत्र भंवरलाल, चिमनाराम पुत्र पोकरराम, लक्ष्मणराम पुत्र आईदानराम लखारा निवासी भावी ने थाने में रिपोर्ट दी। जिस पर पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की थी।
इस तरह से आए पकड़ में
गांव में पोल खुलने के डर से आरोपी एक स्विफट कार में बैठकर फरार होने लगे। इस पर ग्रामीणों ने गाड़ी के नम्बर नोट कर लिए। वहीं पुलिस को भी सूचना दी। देर रात पुलिस मौके पर पहुंची और चोरी वाले घरों का मौका मुआयना कर आरोपियों का सुराग जुटाना शुरू किया।

कार बाजार से खरीदी कार
आरोपियों ने वारदात के लिए कुछ साल पहले जोधपुर के एक कार बाजार से सेकेंड हैंड कार भी खरीदी थी। इसी कार में बैठकर अपनी गैंग के साथ उन घरों की रैकी करते थे जो लोग काम धंधे के सिलसिले में मकानों से बाहर रहते थे। इसका पता करने के लिए ढाबों, चाय की थड़ियों में बैठे रहते थे। गांव के उन लोगों के बारे में जानकारी जुटाते थे जो अधिक पैसे वाले हैं। इसका पता चलने के बाद आरोपी पूरे प्लान के साथ वारदात को अंजाम देते थे।
आधार कार्ड करते थे चोरी
आरोपी वारदात के बाद घरों से आधार कार्ड और फोटो भी चुरा लेते थे। इसके बाद इन्हीं आधार कार्ड से फर्जी सिम उठाते थे। इसी सिम का उपयोग गैंग के अन्य सदस्यों से बात के लिए करते थे। जिससे की इनकी खुद की पहचान सामने नहीं आए। आरोपियों ने भावी गांव में भी दो मकानों से आधार कार्ड चोरी किए थे।
अपराध का तरीका
गैंग के सदस्य सबसे पहले मकानों की रैकी करते थे। पूरी जानकारी हो जाने के बाद देर रात घरों में घुसते थे। उस समय अधिकांश घरों में परिवार के लोग सो रहे होते थे। यहां पर सबसे पहले सो रहे परिवार के सदस्यों के कमरे की कुंडी लगाकर बंद कर देते थे। इनके पास सरिया, पिस्टल, कारतूस व ताले तोड़ने का सरिया, चाकू डंडा होता था। सभी का प्लान यही रहता था कि यदि वारदात के दौरान कोई जाग जाए तो उसे हथियारों के दम डराया जाए। नहीं मानने पर मर्डर कर देने तक का प्लान होता था।
भावी गांव में भी जब 7 और 8 जनवरी की रात यह मकान में घुसे तो एक महिला जाग गई। उस पर आरोपियों ने हमले का प्रयास करना चाहा, लेकिन महिला के चिल्लाने और परिवार के अन्य सदस्यों के जाग जाने पर आरोपी भाग खड़े हुए। इसके बाद आस-पास के घरों से भी लोग जागे तो 10 घरों में वारदात का पता चला।
दो बार लगाए वारदात के लिए चक्कर
गैंग के सदस्यों ने मुख्य सरगना के साथ भावी गांव में नकबजनी की वारदात करने का प्लान बनाया था। इसके लिए घटना के दिन भी रविवार की रात साढ़े 11 बजे भावी पहुंच गए थे। यहां पर कई घरों और मोहल्लों में लोगों को जागते देख वापस चले गए। बाद में देर रात 1 बजे लौटे और वारदात को अंजाम दिया।

तीन टीमें बनाकर की तलाश
एक साथ दस घरों में हुई चोरी की वारदातों को लेकर पुलिस पर भी सवाल उठ रहे थे। आरोपियों को शीघ्र पकड़ना भी पुलिस के लिए चैलेंज था। ऐसे में पुलिस की तीन अलग अलग टीमें आरोपियों को पकड़ने के लिए लगाई गई। जिसमें पहली टीम में डीएसटी ग्रामीण प्रभारी लाखाराम, एएसआई अमानाराम व दाउद खान के नेतृत्व में तीन टीमें लगाई गई। जिसका सुपरविजन सीओ बिलाड़ा वृत्त व डिप्टी एसपी राजवीरसिंह कर रहे थे।
गाड़ी नम्बरों से लगाया मालिक का पता
पुलिस के लिए सबसे अहम सुराग चोरों की गाड़ी ही थी। ऐसे में टीम ने पहले आरोपियों को उनकी गाड़ी के नम्बर के आधार पर ट्रेस किया। जिसमें गाड़ी के नम्बरों से पता चला कि उसे कार बाजार से बेचा गया था। पुलिस ने गाड़ी बेचने वाले से पूछा तो पता चला कि उसने यह गाड़ी बीरमाराम को बेची। पुलिस ने उसकी हिस्ट्री खंगाली तो सामने आया कि बीरमाराम शातिर नकबजन है। उसके खिलाफ कई थानों में मामले दर्ज है।

इसके बाद पुलिस ने बीरमाराम के मोबाइल नम्बरों और कार नम्बरों के आधार पर लोकेशन ट्रेस करना शुरू किया। सोमवार रात को कापरड़ा के निकट डीएसटी टीम प्रभारी लाखाराम व एसआई अमानाराम के नेतृत्व में पुलिस टीम जब पीछा करते हुए पहुंची तो आरोपियों ने पुलिस जीप को टक्कर मार क्षतिग्रस्त कर दिया और पुलिस पर हमला कर भागने का प्रयास करने लगे। इस दौरान पीछा करते हुए पुलिस ने दो आरोपियों को दबोच लिया। हालांकि भागने के दौरान दोनों आरोपियों के पांव में चोट लग गई। इस पर उन्हें जोधपुर शहर के मथुरादास माथुर हॉस्पिटल लाया गया। जहां पर एक आरोपी का इलाज चल रहा है। वहीं दूसरे से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने दोनों को बापर्दा गिरफ्तार किया है। वहीं पूछताछ के बाद गैंग के अन्य सदस्यों को भी चिह्नित कर दस्तयाब करने के प्रयास चल रहे हैं।
ग्रामीण एसपी की मॉनिटरिंग में सीओ राजवीरसिंह के निर्देशन में तीन टीमें बनाई गई थी। जिसमें डीएसटी प्रभारी लाखाराम, कापरड़ा थाना अधिकारी दाऊद खान, डीएसटी टीम के श्रवणकुमार, मुकनसिंह, वीरेंद्र खदाव, मदनलाल, सुरेश डूडी, जिला साईबर टीम के अमानाराम, माधाराम, पुखराज, चनणाराम, चम्पाराम, किशोर दुकतावा, सेठाराम, थाना बिलाड़ा से लखपतराम, दशरथसिंह, विमलसिंह, दिनेश कुमार, रामखिलाड़ी, बाबूलाल, वृत्त कार्यालय से श्रवणकुमार, रिछपाल सिंह, विक्रम सिंह संजय की विशेष भूमिका रही।