जोधपुर : पिछले 11 साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आसाराम सलाखों से बाहर आने के लिए 15 से ज्यादा बीमारियों की दलीलें दे चुका है। कभी त्रिनाड़ी शूल जैसी अनोखी बीमारी के लिए जेल में महिला वैद्य की डिमांड की तो कभी हरिद्वार से हार्ट के इलाज का बहाना बनाया। लेकिन, कोर्ट के आगे सारे हथकंडे फेल साबित हुए हैं।
चार दिन पहले ही सजा निलंबन की चौथी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। उससे पहले लोअर कोर्ट में पैरोल याचिका भी खारिज हो चुकी हैं। जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रहे आसाराम ने अब पैरोल के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है, जिस पर फैसले का इंतजार है।
क्या आसाराम को हाईकोर्ट से पैरोल मिल पाएगी? क्यों 11 साल में इतने प्रयास के बावजूद एक बार भी आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पाया?
पढ़िए- स्पेशल रिपोर्ट में…
आसाराम 2 मामलों में गुनहगार : जोधपुर और गांधीनगर कोर्ट के फैसलों में भी दोषी
जोधपुर कोर्ट : आसाराम को जोधपुर पुलिस ने इंदौर के आश्रम से वर्ष 2013 में गिरफ्तार किया था। इसके बाद से आसाराम जेल में बंद है। पांच साल तक लंबी सुनवाई के बाद 25 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
गांधीनगर कोर्ट : आसाराम के खिलाफ गुजरात के गांधीनगर में आश्रम की एक महिला ने रेप का मामला दर्ज करवाया था। कोर्ट ने 31 जनवरी 2023 को इस मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सबसे अनोखी बीमारी त्रिनाड़ी शूल, जेल में महिला वैद्य की मांग
31 अगस्त 2013 को आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था। जेल में भर्ती करते समय जब पुलिस ने आसाराम का मेडिकल चेकअप करवाया था। आसाराम स्वस्थ था। उसे कोई भी बीमारी नहीं थी।
जेल में जाने के एक महीने बाद ही आसाराम ने पहली बार अपनी त्रिनाड़ी शूल बीमारी का जिक्र किया। 4 सितंबर 2013 को याचिका लगाते हुए कहा था- ‘करीब साढ़े 13 साल से मैं त्रिनाडी शूल नाम की बीमारी से ग्रसित हूं। मेरा इलाज पिछले 2 से 3 वर्ष से महिला वैद्य नीता कर रही हैं। मेरे इलाज के लिए नीता को 8 दिन तक सेंट्रल जेल में आने की अनुमति दी जाए’। इस पर मेडिकल बोर्ड से आसाराम का चेकअप करवाया गया। डॉक्टर को ऐसी कोई बीमारी मिली ही नहीं।
आसाराम ने जेल से बाहर आने के लिए सभी तरीके अपनाए : 15 बार बीमारी का बहाना, पैरोल और 4 बार सजा निलंबन मांगा
आसाराम ने लोअर कोर्ट से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 12 बार जमानत याचिकाएं लगाईं। खुद की बीमारी और पत्नी के बीमारी तक के इलाज के बहाने जमानत याचिका लगाईं, लेकिन कोर्ट में कोई भी तर्क ठहर नहीं पाया।
1. पहले कोरोना पॉजिटिव, फिर आंतों में रक्तस्राव की बीमारी
5 मई 2021 को आसाराम कोरोना पॉजिटिव हुआ। उसे इलाज के लिए जोधपुर सेंट्रल जेल से एमडीएम अस्पताल लाया गया। जहां रिकवर नहीं होने पर 7 मई को एम्स में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान 14 मई को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग की वजह से उसका हीमोग्लोबिन बहुत कम हो गया था। दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। इस बीच आसाराम ने आयुर्वेद पद्धति से इलाज कराने के लिए सजा स्थगित कर दो महीने की अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जो खारिज हो गई।
2. हरिद्वार में इलाज कराने के लिए दो महीने की जमानत मांगी
आसाराम ने अपना इलाज हरिद्वार के प्रकाश दीप आयुर्वेद सेंटर में कराने के लिए हाईकोर्ट में सजा स्थगित कर दो महीने की अंतरिम जमानत की याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा और बाद में एम्स में ही इलाज कराने के निर्देश देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
3. अपने ही आश्रम में इलाज के बहाने जमानत मांगी
आसाराम ने हरिद्वार नहीं भेजने पर जोधपुर में अपने पाल गांव स्थित आश्रम में आयुर्वेद इलाज का सेटअप लगाने और आयुर्वेद विश्वविद्यालय में इलाज कराने के लिए जमानत मांगी। लेकिन, वहां ब्लड चढ़ाने की व्यवस्था नहीं होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की दशा में कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया।
4. दो बार हार्ट अटैक पर एम्स से इलाज नहीं करवाया
आसाराम के वकील ने 29 नवंबर 2023 को कोर्ट में सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस एप्लिकेशन (एसओएस) लगाई थी। याचिका में वकील ने बताया कि आसाराम को 1 नवंबर को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद दूसरा हार्ट अटैक दिसंबर में आया था। पहली बार हार्ट अटैक आने पर आसाराम को 8 नवंबर को एम्स में भर्ती करवाया गया।
दूसरी बार हार्ट अटैक आने पर 27 दिसंबर को फिर से एम्स में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था। जहां डॉक्टर ने कोरोनरी एंजियोग्राफी/एंजियोप्लास्टी कराने के लिए कहा था। इस इलाज में किडनी को होने वाले जोखिम के बारे में भी बताया गया। लेकिन, आसाराम ने एम्स में इलाज लेने की बजाय आयुर्वेद इलाज कराने के लिए कहा तो 31 दिसंबर को आसाराम को एम्स से छुट्टी दे दी।
5. एम्स में इलाज के दौरान सभी रिपोर्ट नॉर्मल आईं
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने एम्स के डिस्चार्ज प्रमाण पत्र का हवाला दिया। इसमें आसाराम के हार्ट अटैक के इलाज के दौरान उसकी स्थिति स्थिर रही। सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और चक्कर आने की कोई घटना नहीं हुई। जीपीई की रिपोर्ट एकदम नॉर्मल आई। कोई पेडल एडिमा भी नहीं था। डॉक्टर ने फिर आसाराम को कोरोनरी एंजियोग्राफी कराने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया। इस पर आसाराम को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया।
6. महाराष्ट्र के आयुर्वेद अस्पताल में इलाज की मांग
आसाराम ने एम्स की बजाय अपना इलाज महाराष्ट्र के खोपोली में स्थित माधवबाग मल्टीडिसिप्लिनरी कार्डियक केयर क्लिनिक में कराने की मांग की। यहां सर्जिकल की बजाय आयुर्वेद से इलाज करवाना चाहता था। आसाराम ने यहां इलाज के दौरान 7 दिन की पुलिस हिरासत के लिए मना करते हुए कारण बताया कि वह वृद्ध है और पुलिस हिरासत में इलाज से तनाव में आ जाएगा।
सजा निलंबन के पैंतरे : चौथी याचिका लगाई
आसाराम के वकील ने 29 नवंबर को जोधपुर हाईकोर्ट में इलाज के लिए चौथी बार एसओएस लगाई। इसमें अपनी बीमारी का इलाज महाराष्ट्र के आयुर्वेद अस्पताल से कराने के लिए सजा निलंबन करते हुए 14 दिनों की जमानत मांगी। आसाराम की एसओएस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 9 जनवरी को इसका एफिडेविट पेश करने को कहा।
आसाराम ने कहा- मुझे इतनी बीमारियां कि अंगुलियों पर नहीं गिन पा रहा
9 जनवरी को नया एफिडेविट फाइल हुआ, जिसमें आसाराम ने बताया कि जब वह जेल से बाहर था, तब उसे महज दो बीमारियां थीं- त्रिनाड़ी शूल और पीठ का दर्द। लेकिन, जेल के वातावरण और पुलिस हिरासत में तनाव के कारण स्वास्थ्य इतना बिगड़ गया है कि वह अब अपने शरीर की बीमारियां अंगुलियों पर गिन भी नहीं पाता, इसलिए उपचार के लिए 14 दिन की जमानत दी जाए।
कोर्ट ने आसाराम को इलाज का खर्च स्वयं उठाने के लिए कहा। लेकिन, आसाराम ने पुलिस कस्टडी में इलाज कराने से मना कर दिया। ऐसे में हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को उसकी चौथी एसओएस को भी खारिज कर दिया। इससे पहले 7 जुलाई 2022 को भी उसकी एसओएस खारिज हुई थी।
अंधभक्त भी बने रोड़ा : गवाहों पर हमले के कारण नहीं मिली जमानत
आसाराम की सबसे बड़ी ताकत थी लाखों की संख्या में उसके अंधभक्त। लेकिन, केस की सुनवाई के बाद आसाराम के समर्थकों ने गवाहों पर 12 बार हमले किए थे। इनमें गवाहों पर राह चलते फायरिंग, तेजाब से हमला और कोर्ट में चाकूबाजी तक की गई। इन हमलों में गवाह आयुर्वेदिक डॉक्टर अमृत प्रजापति, अखिल गुप्ता और कृपाल सिंह की मौत हो गई थी। एक गवाह राहुल सचान तो आज तक लापता है।
सीनियर एडवोकेट एके जैन के अनुसार आसाराम के अंधभक्तों का यही खौफ उसकी आजादी में सबसे बड़ा रोड़ा बनता रहा। पुलिस और सरकार को डर है कि आसाराम को जमानत मिली तो कानून व्यवस्था इतनी बिगड़ जााएगी कि नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा। इसी कारण आसाराम की एक बार भी जमानत नहीं हो पाई।
आसाराम के जेल से बाहर आने के सभी रास्ते बंद?
सीनियर एडवोकेट एके जैन ने बताया कि आसाराम के जेल से बाहर आने के लगभग सभी रास्ते बंद हो गए हैं। कोर्ट को भी पता लग गया है कि वह कैसे बीमारी का बहाना बनाकर जेल से बाहर आना चाहता है। हालांकि कानूनी तौर पर आसाराम के पास जेल से बाहर आने के 2 रास्ते बचते हैं, लेकिन दोनों में ही राहत मिलना मुश्किल है। एक पैरोल और दूसरा सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रपति के पास सजा माफी की याचिका।
राजस्थान में पैरोल के नए नियम और दो केस में सजा होने के कारण आसाराम को पैरोल मिलना भी मुश्किल है। राजस्थान में नए नियम के अनुसार पॉक्सो के केस में दोषी कैदियों को पैरोल नहीं मिलती है। वहीं, आसाराम को जोधपुर और गांधीनगर दोनों जगह रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई है। ऐसे में उसे दोनों जगह से पैरोल लेनी होगी, जो मिलना मुश्किल है। ऐसे में अब आसाराम के पास बाहर आने का आखिरी रास्ता सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति से सजा माफी बची है।
आसाराम की उम्मीद अब भी बरकरार
इतनी याचिकाएं और दलीलें खारिज होने के बावजूद आसाराम की उम्मीद अब भी बरकरार है। आसाराम के वकील कालूराम भाटी का कहना है कि पैरोल को लेकर नया नियम आसाराम पर लागू नहीं होता। आसाराम को इस नियम के आने से पहले वर्ष 2018 में सजा हुई थी। इसलिए आसाराम को 1958 के पुराने नियम के अनुसार पैरोल मिलनी चाहिए। आसाराम ने इस दावे के साथ जुलाई 2023 में हाईकोर्ट में पैरोल की याचिका लगाई है। पैरोल पर राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में फैसला अभी सुरक्षित है। फैसला आने के बाद अगला कदम उठाएंगे।