फर्जी पुलिसवाला जिसे डीजी ने दी वर्दी पहनने की परमिशन:आरपीएस बन स्कूल-कॉलेजों में साइबर क्राइम रोकने की ट्रेनिंग देने जाता, साथ होता जाब्ता
फर्जी पुलिसवाला जिसे डीजी ने दी वर्दी पहनने की परमिशन:आरपीएस बन स्कूल-कॉलेजों में साइबर क्राइम रोकने की ट्रेनिंग देने जाता, साथ होता जाब्ता
जयपुर : ऊपर तस्वीर में पुलिस की वर्दी में नजर आ रहे युवक का नाम राहुल यादव है। राहुल पुलिसवाला नहीं है। इसके बाद भी वह आरपीएस बनकर स्कूल और कॉलेजों में स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम रोकने की ट्रेनिंग दे रहा था। जहां भी जाता, पुलिस जाब्ता उसके साथ होता।
राहुल के साथ तस्वीर में नजर आ रहे दूसरे शख्स हैं एससीआरबी, साइबर क्राइम एंड टेक्निकल सर्विसेज के डीजी रविप्रकाश मेहरड़ा। राहुल यादव का दावा है कि डीजी मेहरड़ा ने ही उसे पुलिस की वर्दी पहनने की परमिशन दी थी।
राहुल 15 दिन पहले बानसूर में भी एक निजी स्कूल में बच्चों को ट्रेनिंग देने पहुंचा था। उसके साथ में बाकायदा राजस्थान पुलिस के इंस्पेक्टर व एएसआई पुलिस जाप्ते के साथ पहुंचे थे।
अपनी धाक दिखाने के लिए राहुल यादव अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर राजस्थान पुलिस के अधिकारियों के साथ फोटो और वीडियो भी अपलोड करता था।
पढ़िए पूरी कहानी…
राजस्थान पुलिस एकेडमी में साइबर एक्सपर्ट बनाकर बुलाते
फर्जी आरपीएस राहुल यादव अलवर के बहरोड़ का रहने वाला है। उसे काफी समय से साइबर एक्सपर्ट के तौर पर राजस्थान पुलिस एकेडमी में बुलाया जाता रहा है।
हमारी मीडिया टीम के पास राजस्थान पुलिस एकेडमी का एक लेटर भी है, जिसमें 2022 में उसे 5 दिनों के लिए साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन की ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया है। ये लेटर राहुल यादव को राजस्थान पुलिस एकेडमी से ही लिखा गया है।
लेटर में लिखा था कि- प्रशिक्षण निदेशालय पुलिस मुख्यालय जयपुर के निर्देश पर राजस्थान पुलिस एकेडमी जयपुर में 17 नवम्बर 2022 से 21 नवम्बर 2022 तक पुलिस अधिकारियों के लिए 5 दिनों की साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन फोर पुलिस ऑफिसर्स विषयक कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। आप से निवेदन है कि निम्नानुसार वर्णित विषयों पर अंकित समय एवं दिनांक को समय पर व्याख्यान देने की कृपा करें।
लेटर में 18 नवम्बर को सोशल मीडिया इंवेस्टिगेशन पर सुबह 10.15 और 11.45 बजे दो सेशन रखे गए थे।
आरपीए के कमरा नंबर 708 के बाहर नेम प्लेट
फर्जी आरपीएस राहुल यादव ने सोशल मीडिया पर एक फोटो भी अपलोड की थी। फोटो में वो राजस्थान पुलिस एकेडमी के कमरा नंबर 708 के बाहर खड़ा था। नेम प्लेट पर लिखा था- राहुल यादव, पुलिस उप-अधीक्षक।
एकेडमी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि- संयोग से कुछ समय पहले राहुल यादव नाम के आरपीएस को ये कमरा अलॉट हुआ था। बाद में उनका ट्रांसफर हो गया।
नामों के संयोग का फायदा उठाने और अपना प्रभाव जमाने के लिए फर्जी आरपीएस राहुल यादव ने इस कमरे के बाहर फोटो खिंचवाई और कई जगह पर अपलोड भी कर दी थी।
साइबर क्राइम की ट्रेनिंग देने जाने लगा राहुल
राहुल यादव की पुलिस अधिकारियों से अच्छी सेटिंग हो गई थी। उसने राजस्थान पुलिस के कई अधिकारियों के साथ दोस्ती कर ली थी।
इसी का फायदा उठा कर वह स्कूलों और कॉलेजों में जाने लग गया। उसे स्कूलों और कॉलेजों में ट्रेनिंग देने के लिए भुगतान भी दिया जाता था।
इतना ही नहीं पुलिस अधिकारियों से फोन करवाकर प्रोटोकॉल भी बनवा लेता था। जहां भी जाता, अपने साथ एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक एएसआई को भी लेकर जाता था।
आरपीएस की वर्दी पहन 15 दिन पहले निजी स्कूल में पहुंचा बानसूर
राहुल यादव 15 दिन पहले बानसूर में आरपीएस की वर्दी पहनकर एक निजी स्कूल में गया था। स्कूल में बच्चों को साइबर क्राइम को रोकने और ठगी से बचने के लिए टिप्स भी दिए थे। ठगी होने पर पुलिस को कैसे सहयोग करें और क्या कार्रवाई करें बच्चों को सारी डिटेल दी थी।
राहुल यादव के साथ एक पुलिस इंस्पेक्टर पीके मीणा जयपुर से ही साथ गए थे। पीके मीणा अभी जयपुर में ट्रैफिक पुलिस में हैं। खुद पीके मीणा भी ट्रेफिक के नियमों को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर डालते हैं।
बानसूर थाने से एएसआई शेडूराम को पुलिस जाप्ते के साथ स्कूल में भेजा गया था। पुलिसकर्मी पूरे दिन साथ में ही मौजूद रहे थे।
राहुल ने प्रोग्राम के वीडियो भी यूटयूब पर भी अपलोड कर दिए थे। एक दिन पहले विवाद होने पर उसने वीडियो हटा दिए थे।
दिल्ली में भी काम कर चुका साइबर
राहुल यादव बहरोड शेरपुर का रहने वाला है। उसके पिता शैतान सिंह की 2020 में मौत हो चुकी है। मां गृहणी है। दो बहनें हैं, जिनमें एक की शादी हो गई है।
राहुल पहले दिल्ली में भी साइबर क्राइम टीम के साथ काम कर चुका है। हरियाणा में भी कई बार साइबर टीम के साथ काम किया।
दिल्ली में ही काम करने के दौरान ही राजस्थान के पुलिस अधिकारियों से पहचान हो गई थी। इसके बाद उसे राजस्थान पुलिस में ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया था।
2022 में राजस्थान पुलिस में करीब 4 महीने तक साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दी थी। तब उसने आरपीए में वर्दी नहीं पहनी थी। वहां पर पुलिस अधिकारियों से अच्छी जान पहचान हो गई थी।
डीजी ने दी वर्दी पहनने की परमिशन
जांच में पता लगा कि राहुल यादव ने एक दिसम्बर 2023 को ही पुलिस की वर्दी सिलाई दी थी। उसके बाद वर्दी पहनकर घूमने लग गया था।
कई स्कूल और कॉलेजों में भी ट्रेनिंग देने के लिए गया था। वहां उसने साइबर सिक्योरिटी विषय पर स्टूडेंट्स को जानकारी दी थी। कार्यक्रम होने के बाद उसने प्रेस कांफ्रेस भी की थी।
पुलिस मुख्यालय से डीजी रविप्रकाश मेहरड़ा ने राहुल यादव को लेटर जारी किया था। लेटर में लिखा था कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूटबूब पर साइबर क्राइम को रोकने के लिए अवेयरनेस के लिए राहुल यादव को आरपीएस की वर्दी पहनने की अनुमति दी जाती है।
ये लेटर एक दिसम्बर को जारी किया गया था। लेटर में किसी तरह की समय सीमा भी नहीं लिखी गई है।
लेटर मिलने के बाद से राहुल पुलिस की वर्दी पहनकर घूमने लग गया था। पुलिस अधिकारियों को पहले से ही स्कूलों और कॉलेजों में प्रोग्राम की डिटेल भेज कर फोन करवा देता था।
राहुल बोला- वीडियो बनाने के लिए पहनता था वर्दी
राहुल यादव ने कहा कि उसे साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए डीजी रविप्रकाश मेहरड़ा ने अनुमति दी थी। एक दिसम्बर को उसे लेटर मिला था।
पुलिस कम्यूनिटी और साइबर क्राइम के लिए वह वेबसीरीज और वीडियो बनाता है। ये वीडियो वह यूटयूब पर डालता है।
राहुल का कहना है कि उसने वर्दी पहनकर कोई गलत काम नहीं किया है। पुलिस एकेडमी में भी ट्रेनिंग दी थी, वहां पर कोई वर्दी नहीं पहनी थी।
हमारी मीडिया टीम ने डीजी रविप्रकाश मेहरड़ा का पक्ष जानने के लिए कई कॉल किए, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
नियम : 6 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान
- अगर कोई पुलिस विभाग में कार्यरत नहीं है और पुलिस की वर्दी पहन कर घूमता है तो उस पर 30 एक्ट के तहत कार्रवाई होती है।
- पुलिस विभाग में एलडीसी, जनसंपर्क अधिकारी भी कार्यरत होते हैं, उन्हें भी वर्दी पहनने का अधिकार नहीं होता है।
- इतना ही नहीं पुलिस विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को भी पुलिस की वर्दी पहनने का अधिकार नहीं होता है।
- पुलिस की वर्दी के अलावा प्रतीक चिन्ह, पद का नाम, स्टार का भी प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
- अगर ऐसे कोई पकड़ा जाता है तो उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाता है। उसके खिलाफ पुलिस एक्ट और 420 के तहत भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है।
- इसमें 6 महीने की सजा का प्रावधान है और जुर्माना भी लगाया जाता है।