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Dawood Ibrahim: पाकिस्तान ने इसलिए लगाया डी कंपनी और दाऊद पर बड़ा दांव, हालात बिगड़े तो हुआ ऐसा


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Dawood Ibrahim: पाकिस्तान ने इसलिए लगाया डी कंपनी और दाऊद पर बड़ा दांव, हालात बिगड़े तो हुआ ऐसा

1993 के दौर में मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच के अधिकारी रहे प्रवीण कहते हैं कि पाकिस्तान हमेशा से उन लोगों का साथ देता था जो कि भारत को अस्थिर कर सके। 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान का एक बड़ा मोहरा बना, जिसने पाकिस्तान की शह पर देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्रग्स, हथियार और आतंक का वह नेटवर्क खड़ा किया, जो पाकिस्तान की पहली चाहत थी...

Dawood Ibrahim: आखिर ऐसा क्या है कि अंडरवर्ल्ड डॉन माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान ने अपना करीबी बनाया। वह भी तब जब लगातार पाकिस्तान के ऊपर इस बात का दबाव पड़ता रहा कि भारत के नंबर वन दुश्मन को पाकिस्तान में पनाह क्यों दी। लेकिन पाकिस्तान ने इन सब की परवाह किए बगैर भारत के बड़े दुश्मन और डी कंपनी के दाऊद इब्राहिम को न सिर्फ पाकिस्तान में शरण दी। बल्कि भारत में आतंक फैलाने का पूरा तंत्र उसके हाथों में दे दिया। अब जब एक बार फिर पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम को जहर देकर मारे जाने की चर्चाएं हो रही हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर ऐसा क्या है जो पाकिस्तान ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पर इतना बड़ा दांव लगाया। मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारियों और लंबे समय तक अंडरवर्ल्ड की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों से इन्हीं मुद्दे पर बातचीत हुई, तो कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निकलकर सामने आए। इससे पता चलता है कि कुछ ऐसे मुद्दे थे जो दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान का करीबी बनाने के लिए काफी रहे।

1993 में आईएसआई चीफ जावेद नासिर का खास बना था दाऊद

1993 के दौर में मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच के अधिकारी रहे प्रवीण वानखेड़े कहते हैं कि पाकिस्तान हमेशा से उन लोगों का साथ देता था जो कि भारत को अस्थिर कर सके। 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान का एक बड़ा मोहरा बना, जिसने पाकिस्तान की शह पर देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्रग्स, हथियार और आतंक का वह नेटवर्क खड़ा किया, जो पाकिस्तान की पहली चाहत थी। वानखेड़े कहते हैं कि 1993 में आईएसआई के चीफ जनरल जावेद नासिर ने दाऊद इब्राहिम को जितना सपोर्ट किया, उससे वह अपना अवैध साम्राज्य खड़ा करता गया। वह कहते हैं कि 1993 में हुए मुंबई में बम धमाके तत्कालीन आईएसआई चीफ जनरल जावेद नासिर के इशारे पर ही किए गए थे। यही वह बड़ी वजह बनी कि पाकिस्तान ने दाऊद पर अपना दांव लगाना शुरू कर दिया।

अवैध ड्रग्स में दाऊद को पाकिस्तान दे रहा था सहारा

अंडरवर्ल्ड और अपराध की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्रा कहते हैं कि पाकिस्तान दाऊद पर दांव इसलिए भी लगाता रहा, क्योंकि वह भारत को खोखला करने के लिए अवैध नशे की तस्करी का सबसे बड़ा चैनल था। मनीष कहते हैं कि मुंबई के बंदरगाहों पर जिस तरीके से दाऊद इब्राहिम का सिक्का चलता था और अवैध नशे के कारोबार को उसने बढ़ावा देना शुरू किया, वह पाकिस्तान के लिए फायदे का सौदा साबित होता रहा। मुंबई के अलग-अलग बंदरगाहों समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में दाऊद इब्राहिम ने अपना इतना बड़ा नेटवर्क बनाया कि पाकिस्तान से सीधे नशे की तस्करी को बढ़ावा मिलने लगा। वह कहते हैं कि हालात यह हो गए कि 90 के दशक में मुंबई की गलियों में बिकने वाले हर नशे के पीछे दाऊद और दाऊद के पीछे पाकिस्तान खड़ा था।

पहले दुबई में बसाया फिर पाकिस्तान ने करवाई मनी लॉन्ड्रिंग

मुंबई में दाऊद की बढ़ती हनक के साथ पाकिस्तान को भारत में अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए दाऊद को खड़ा करना जरूरी लगने लगा। मुंबई पुलिस के पूर्व रिटायर्ड अधिकारी डीपी चौधरी कहते हैं कि पाकिस्तान दाऊद को इस तरह सपोर्ट करता था कि उसने शुरुआती दौर में दाऊद को दुबई में बड़ा शेल्टर देना शुरू कर दिया। 1993 में मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान ने दाऊद को भागने और फिर उसको शरण देने में सबसे बड़ी मदद की। चौधरी कहते हैं कि दाऊद ने दुबई में रहकर ब्लैक मनी के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा कारोबार स्थापित करना शुरू किया। इसमें पाकिस्तान हमेशा उसकी न सिर्फ मदद करता था, बल्कि ब्लैक मनी को बढ़ावा देने के लिए वह तमाम संसाधन उपलब्ध कराता था, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचे। दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान के मंसूबों को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करता रहा। यही वजह रही कि दाऊद पाकिस्तान का और करीबी होता चला गया।

पाकिस्तान ने उसको पहले दुबई शिफ्ट कराया फिर कराची में दी पनाह

मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार और शुरुआती दिनों में अपराध जगत की रिपोर्टिंग करने वाले हिमांशु शितोले कहते हैं कि पाकिस्तान के लिए असमंजस की स्थिति यह थी कि वह दाऊद को भारत में ही रखे या वाया दुबई पाकिस्तान बुला ले। शितोले कहते हैं कि 2001 में पाकिस्तान ने तय किया कि मुंबई के अंडरवर्ल्ड का मुख्यालय दुबई से कराची शिफ्ट कराया जाए। 2001 में आईएसआई के तत्कालीन चीफ मोहम्मद अहमद ने दाऊद को दुबई से पाकिस्तान के कराची में आकर रहने और वहां से अपने गैंग को ऑपरेट करने का ठिकाना बनाना शुरू कर दिया। हिमांशु कहते हैं कि यही वह साल था, जिसमें पाकिस्तान ने दाऊद को अपने देश में रहने की न सिर्फ जगह उपलब्ध कराई, बल्कि वह सभी तंत्र उसके हवाले कर दिए, जिससे भारत को अस्थिर करने की साजिश रची जा सके। दाऊद ने कराची में रहते हुए मुंबई में एक बार फिर से धनउगाही से लेकर बड़ी-बड़ी प्रॉपर्टी पर कब्जे करने के साथ-साथ अवैध नशे के कारोबार और हत्याओं को करने की सुपारियां देनी शुरू कर दीं। इसी दौर में उसने मुंबई में कई प्रभावशाली लोगों की हत्याएं करवाईं।

पाकिस्तान ने इन तीन पॉइंट पर परखा था दाऊद को

मुंबई पुलिस के पूर्व अधिकारी वानखेड़े कहते हैं कि पाकिस्तान ने दाऊद के माध्यम से अवैध नशे के कारोबार से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग समेत बॉलीवुड पर शिकंजा कस धनउगाही का पूरा नेटवर्क तैयार किया। वह कहते हैं कि पाकिस्तान में दाऊद के नेटवर्क के माध्यम से ही बड़े स्तर पर अवैध हथियारों के जखीरों को भारत में बेचने का रास्ता तैयार किया। शुरुआती दौर में दौर में अवैध हथियारों समेत सोने की तस्करी में डी कंपनी ने अपने नेटवर्क का जमकर इस्तेमाल किया। इस दौर में दाऊद इब्राहिम ने देश की सबसे बड़ी वित्तीय इंडस्ट्री फिल्म इंडस्ट्री पर एक तरह से अवैध कब्जा भी कर लिया था। पाकिस्तान आईएसआई के इशारे पर दाऊद इब्राहिम लगातार अपने नेटवर्क को मजबूत कर देश को अस्थिर करने के प्रयास करता रहा। हालांकि इस दौरान भारती सुरक्षा एजेंसियां और खुफिया एजेंसी लगातार उसके नेटवर्क को कमजोर करती गईं। लेकिन ड्रग्स, हथियार और बॉलीवुड पर मजबूत हस्तक्षेप जैसे मामलों में दाऊद को पाकिस्तान की ओर से खूब परखा जाने लगा।

पाकिस्तान नहीं चाहता था की दाऊद के गैंग में पड़े फूट, लेकिन हालात बिगड़ते गए

वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शितोले कहते हैं कि धीरे-धीरे दाऊद इब्राहिम के गैंग में फूट पड़ती गई। पाकिस्तान और आईएसआई यह नहीं चाहती थी कि दाऊद इब्राहिम के गैंग में फूट पड़े और वह कमजोर हो। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बाद भी दाऊद इब्राहिम का नेटवर्क और उसकी डी कंपनी की जड़ें कमज़ोर होती गईं। वह कहते हैं कि हालांकि पाकिस्तान को इससे कोई खास मतलब नहीं था। पाकिस्तान हमेशा इस कोशिश में लगा रहा कि वह दाऊद इब्राहिम को शरण देने के बदले उसके मार्फत भारत को अस्थिर करने की कोशिश में लगा रहे। हिमांशु कहते हैं कि इसी कड़ी में पाकिस्तान ने दाऊद के नेटवर्क को नेपाल में भी सक्रिय करवाना शुरू कर दिया था। नेपाल के रास्ते भारत के भीतर अवैध ड्रग्स और अवैध हथियारों की तस्करी स्थानीय माफियाओं के माध्यम से सक्रिय करने लगा था। वह कहते हैं कि यही वह कुछ प्रमुख वजहें थीं, जिसके चलते पाकिस्तान दाऊद इब्राहिम पर बड़ा दांव लगता रहा और उसे अपने देश में शरण दी। हिमांशु कहते हैं कि पाकिस्तान में दाऊद की मौत हुई है या नहीं हुई यह बात अलग है। लेकिन सच्चाई यही है कि पाकिस्तान ने दाऊद पर भारत को अस्थिर करने के लिए खूब दांव लगाए हैं।

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