पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक और महिला सखी पुलिस का सहारा:आचार संहिता लगने के बाद कई कार्रवाई में दी सूचना
पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक और महिला सखी पुलिस का सहारा:आचार संहिता लगने के बाद कई कार्रवाई में दी सूचना

झुंझुनूं : पर्दे के पीछे के सिपाही पुलिस के लिए मदगार साबित हो रहे हैं। चुनाव में पैसों का लेनदेने हो या अवैध शराब या फिर मादक पदार्थ की तस्करी। पुलिस के लिए ग्राम रक्षक, सुरक्षा सखी व पुलिस मित्र कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। जिले में 1500 से अधिक ये छुपे हुए सिपाही पुलिस का बड़ा सहारा बने हुए हैं।
यह पुलिस मित्र और ग्राम रक्षक बिना वेतन पुलिस के लिए काम कर रहे हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद पुलिस इनके सहयोग से कई बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दे चुकी है। यूं कहें तो यह पुलिस के लिए गुप्तचर हैं।
गोपनीय रखते हैं इन की पहचान
इनके नामों को पुलिस गोपनीय रखती है। विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण और बिना किसी बाधा के संपन्न हो, इसके लिए पुलिस सारे जतन कर रही हैं। पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक व महिला सखी पुलिस के लिए मुखबिरी का काम कर रहे हैं। पुलिस ने इन्हें प्रशिक्षित कर तैयार कर लिया है। यह पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों एवं गतिविधियों के बारे में सूचना दे रहे हैं।
सीएलजी सदस्यों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर वर्ग से सामंजस्य बनाकर काम करने की हिदायत दी गई है। जिले में पुलिस संख्या बल के बराबर ही पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक और महिला सखी हैं।
पुलिस को देते हैं सूचना
पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक व सुरक्षा सखी अपन-अपने क्षेत्र में अवैध गतिविधियों या लड़ाई-झगड़े आदि की सूचना पुलिस तक पहुंचाते हैं। यह बिना किसी स्वार्थ के पुलिस के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। इनकी पुलिस के प्रति निष्ठा को सलाम है।
बिना मानदेय सेवा दे रहे
पुलिस के लिए काम कर रहे पुलिस मित्र और ग्राम रक्षक को सम्मानजनक मानदेय भी देने की बात उठी है। ताकि वे पुलिस के लिए बेहतर गुप्तचर की भूमिका निभा सके। वर्तमान में पुलिस मित्रों व ग्राम रक्षकों को पुलिस व सरकार कोई मानदेय नहीं दे रही है।