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जन संघर्ष मंच हरियाणा ने कुरुक्षेत्र अस्पताल समस्याओं को लेकर सौंपा ज्ञापन


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जन संघर्ष मंच हरियाणा ने कुरुक्षेत्र अस्पताल समस्याओं को लेकर सौंपा ज्ञापन

जन संघर्ष मंच हरियाणा ने कुरुक्षेत्र अस्पताल समस्याओं को लेकर सौंपा ज्ञापन

कुरुक्षेत्र : जन संघर्ष मंच हरियाणा की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने नागरिक अस्पताल कुरुक्षेत्र की कुछ गम्भीर समस्याओं को लेकर सर्जन कुरुक्षेत्र के नाम एक ज्ञापन सिविल सर्जन की अनुपस्थिति में उनके कार्यालय के उपाधीक्षक रमेश चंद्र को सौंपा। इस ज्ञापन में लोक नायक जयप्रकाश नारायण नागरिक अस्पताल कुरुक्षेत्र में इलाज के दौरान मरीजों को आ रही परेशानियों के समाधान की मांग की गई है।मंच की महासचिव सुदेश कुमारी, मंच नेता चन्द्र रेखा, ऊषा कुमारी ने बताया कि खट्टर सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़ी-बड़ी बातें करती है जबकि सरकारी अस्पतालो में स्वास्थ्य सुविधाओं की बुरी हालत है कुरुक्षेत्र नागरिक हस्पताल में मरीजों की जितनी संख्या प्रतिदिन होती है उसके हिसाब से सभी प्रकार की मैडिकल सुविधाएं मशीन, बैड, डाक्टर, नर्सें, फार्मेसिस्ट व अन्य स्टाफ की बेहद कमी है। मरीजों के दाखिल होने पर एक बैड पर औसतन तीन मरीजों को बैठना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को भी अन्य रोगिणी महिलाओं के साथ बिठा/लिटा दिया जाता है। अस्पताल में मरीजों को मैले-कुचैले बिस्तरों पर ही लेटना पड़ता है। टायलेट में हाथ धोने के लिए साबुन आदि तक न के बराबर होती है।

अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बाहर जाना पड़ता है क्योंकि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए 4-5 सप्ताह का इंतजार करना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कुरुक्षेत्र जिले के नागरिक अस्पताल में एक ही रेडियोग्राफर डाक्टर हैं और मरीजों का अनुभव बताता है कि अल्ट्रासाउंड के लिए अपनी बारी के हिसाब से भी जब मरीज आते हैं तो खाली पेट उन्हें घंटों बैठे रहना पड़ता है यहाँ तक कि एक्सरे करवाने के लिए भी मरीजों को कई-कई दिन अस्पताल के चक्कर काटने पडते हैं।

गर्भवती महिलाओं को भी अल्ट्रासाउंड के लिए मजबूरन हजारों रुपए खर्च कर बाहर जाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं यानि एमरजैंसी मरीजों को करनाल के कल्पना चावला मेडिकल अस्पताल के लिए रैफर कर दिया जाता। ऐन वक्त पर प्रसूति सुविधा न मिलने पर गर्भ में ही शिशु की मौत हो जाती है, आपातकालीन मरीजों की जान चली जाती है। स्त्री रोग विशेषज्ञ भी बहुत कम हैं जिस कारण भी गर्भवती महिलाओं को बाहर दूर रैफर कर दिया जाता है। अस्पताल में प्रसूति विभाग की खस्ता हालत होने की वजह से डर के मारे गरीब लोग गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी प्राइवेट हॉस्पिटलों में करवाने के लिए मजबूर हैं।

दांतों के इलाज के लिए पिछले कई सालों से एक्स रे मशीन तक नहीं है, दांतों की आर सी टी भी अस्पताल में नहीं हो सकती। दांतों की फीलिंग तक के लिए जरूरी सामान नहीं। कई सालों से स्किन स्पेशलिस्ट भी अस्पताल में नहीं है। और अभी हाल ही में यूरोलॉजिस्ट डाक्टर भी अस्पताल छोड़ कर चले गए हैं।

अस्पताल परिसर में इधर-उधर गंदगी पड़ी रहती है। पुराने अस्पताल की जर्जर हो चुकी बिल्डिंग में भी गंदगी पड़ी हुई है। शौचालय, वाश बेसिन व पीने के पानी की भी मरीजों के हिसाब से अत्यंत कमी है। इन्डोर पेशंट्स के लिये मामूली बर्तन आदि धोने के लिए भी कोई प्रबंध /सुविधा नहीं है।

बहुत से जरुरी टैस्ट भी बाहर करवाने पड़ते हैं क्योंकि लैब टैस्ट की सुविधा भी जरूरत के हिसाब से बहुत कम है, जो थोडी बहुत है उसकी मशीनें भी खराब पडी रहती हैं । रिपोर्ट भी देर से आती है। डेंगू जैसे गंभीर मरीजों की रिपोर्ट भी तीसरे दिन आती है और तब तक डेंगू के मरीजों को सामान्य मरीजों के साथ एक ही बेड पर तीन-तीन मरीजों के साथ रखा जाता है और तीन दिन बाद जब डेंगू के मरीज की रिपोर्ट पॉजीटिव आती है तब उसे आइसोलेशन में डाला जाता है जो बेहद चिन्ताजनक है। जब तक डेंगू रिपोर्ट आती है तब तक मरीज से काफी संक्रमण फैल चुका होता है। हस्पताल में कई जीवन रक्षक दवायें भी नहीं मिल रही हैं। सांप के काटे मरीजों को भी एमरजेंसी इलाज नहीं मिल पाता है। वेंटिलेटर, आई सी यू बन्द पडे हैं जिससे एक्सीडेंट व अन्य गम्भीर मरीज दम तोड देते हैं। डाक्टरों व मरीजों के बैठने का भी उचित प्रबंध नहीं है ।

सरकार ने इस हस्पताल को 200 बैड का घोषित किया हुआ है लेकिन उसके लिये अभी तक जरूरी पूरी बिल्डिंग तैयार नहीं की गई है।जो आधी नयी बिल्डिंग बनी है उसमें भी घटिया मैटिरियल लगाया गया है जिससे छत से सीमेंट पीओपी के टूकडे टूट कर गिर जाते है, शीशा टूटा होने के कारण बुजुर्ग की गिरने से मौत हो गयी। भ्रष्टाचार व्याप्त है उन्होंने इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार व प्रशासन से मांग की कि रेडियोलॉजिस्ट, स्किन स्पेशलिस्ट यूरोलॉजिस्ट व स्त्री रोग विशेषज्ञ आदि डाक्टरों की नियुक्ति तुरंत की जाए।

दंत चिकित्सा विभाग में दांत की एक्स रे मशीन व रूट कनाल ट्रीटमेंट आदि का इंतजाम किया जाए क्योंकि प्राइवेट इलाज करवाने की आर्थिक क्षमता लोगों में नहीं है। जरूरत के अनुसार टैस्टिंग की रिपोर्ट समय पर मिल सके,डेंगू रिपोर्ट तुरन्त दी जाए। इसके लिए सभी प्रकार की कमियों को दूर किया जाए। अस्पताल परिसर में व उसके आसपास सफाई की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए। अस्पताल में साफ सुथरे बिस्तरों का पूरा प्रबंध हो, एक बिस्तर पर एक ही मरीज़ हो।अधूरी बची यानि 100 बिस्तरों के लिये और बिल्डिंग का तुरंत निर्माण किया जाए।

प्रतिनिधि मंडल में जन संघर्ष मंच हरियाणा की ओर से सुदेश कुमारी एडवोकेट, ऊषा कुमारी, चंद्र रेखा, सरोज, मीना, जोगिंदर सिंह, कोमल, बलजीत कौर, सुरेंद्र सिंह, सपना व अन्य लोग मौजूद थे।

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