राजस्थान के सीनियर IAS के यहां ED की छापेमारी:जल जीवन मिशन घोटाले में कार्रवाई, सचिवालय भी पहुंची 3 टीमें
राजस्थान के सीनियर IAS के यहां ED की छापेमारी:जल जीवन मिशन घोटाले में कार्रवाई, सचिवालय भी पहुंची 3 टीमें

जयपुर : जल जीवन मिशन घोटालों के मामले में ईडी की टीम ने जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल समेत कई अधिकारियों के आवास पर रेड की है। राजस्थान में 6 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की गई है। शुक्रवार सुबह हुई छापेमारी के बाद अधिकारियों और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है।
सुबह करीब 8 बजे ईडी की तीन टीमें सचिवालय पहुंची और सुबोध अग्रवाल के ऑफिस में सर्च करना शुरू किया। गांधी नगर स्थित जलदाय विभाग के एक सीनियर अधिकारी के घर पर भी ईडी की टीमें सर्च कर रही हैं।
बता दें कि करीब 2 महीने पहले भी ईडी ने जयपुर में अलग-अलग जगह रेड मारी थी। सर्च के दौरान ढाई करोड़ रुपए कैश और सोने की ईट मिली थीं। ईडी को प्रॉपर्टी कारोबारी संजय बड़ाया और कल्याण सिंह कव्या के घर से कई दस्तावेज भी मिले थे। इसके बाद सीनियर आईएएस अधिकारी (जलदाय विभाग के ACS) सुबोध अग्रवाल का नाम सामने आया था।

जमीनों के कागजात भी मिले थे
दो महीने पहले हुई रेड में कल्याण सिंह कविया के घर से ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं के नामों से रजिस्टर्ड जमीनों के कागजात मिले थे। कविया जयपुर के वैशाली नगर, करणी पैलेस रोड, गांधी पथ सहित कई इलाकों में प्रॉपर्टी का बिजनेस करता है। इस आधार पर माना जा रहा था कि ईडी ऐसे अधिकारियों और राजनेताओं से पूछताछ भी कर सकती है।
बड़ाया के घर से भी मिले थे सबूत
सितंबर में जब ईडी ने संजय बड़ाया और कविया के घर रेड की थी उस दौरान बड़ाया के घर से ईडी को कई सबूत मिलने का दावा किया गया था। दरअसल, संजय बड़ाया यह जानकारी थी कि ईडी राजस्थान में कभी भी जल जीवन मिशन को लेकर एक्शन कर सकती है।
इस पर संजय ने सबसे पहले अपना आईफोन 14 प्रो बदलकर उसकी जगह दूसरा मोबाइल ले लिया था। ईडी को बड़ाया के घर से नकदी नहीं मिली, लेकिन जो दस्तावेज मिले वो ईडी की जांच आगे बढ़ाने के लिए काफी थे। दस्तावेजों में कई अधिकारी, राजनेताओं को पैसा लेने और देने के सबूत होने का दावा किया जाता है। कुछ रजिस्ट्री के दस्तावेज भी बढ़ाया के घर से ईडी को मिले थ।
क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?
पहला– ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस का खर्चा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को 50-50 प्रतिशत करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इस की जगह पर एचडीपीई की पाइपलाइन डाली गई।
दूसरा– पुरानी पाइप लाइन को नया बता कर पैसा लिया गया। जबकि जमीन में पाइप लाइन डाली ही नहीं गई।
तीसरा– कई किलोमीटर तक आज भी पानी लाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन उसका ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर पैसा उठा लिया।
चौथा– ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उसे नया पाइप बता कर बिछा दिया और सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए।
पांचवां– ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी उसे टेंडर दिया गया। क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।