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Gandhi Jayanti: क्या आप जानते हैं महात्मा गांधी से जुड़ी ये 7 रोचक बातें?


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Gandhi Jayanti: क्या आप जानते हैं महात्मा गांधी से जुड़ी ये 7 रोचक बातें?

Gandhi Jayanti: 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती है, ऐसे में आज हम आपको उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएंगे जो शायद ही आप जानते होंगे।

Gandhi Jayanti 2023: भारत में 2 अक्टूबर का दिन ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी को समर्पित है। इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। उन्हें ‘बापू’ के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने ही देश को अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। बापू आदर्शवादी, अहिंसावादी और सत्यवादी थे, उन्होंने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया बल्कि लोगों के बीच हो रहे जाति भेदभाव के खिलाफ भी आवाज उठाई।

महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर, 1869 में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई की और बाद में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन चले गए। 1891 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंग्लैंड की बार काउंसिल में काम करना शुरू कर दिया। 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी, जिससे पूरी दुनिया में शोक छा गया।

‘बापू’ से जुड़ी रोचक बातें

  1. बापू का जन्म महात्मा गांधी की उपाधि के साथ हुआ था, कुछ लेखकों के अनुसार यह उपाधि उन्हें बंगाली कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दी थी।
  2. ऐसा कहा जाता है कि महात्मा गांधी की 8 किलोमीटर लंबी शवयात्रा निकाली गई थी।
  3. महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  4. गांधी जी की पूर्व बिड़ला हाउस के बगीचे में गोली मारकर हत्या की गई थी।
  5. प्रसिद्ध लेखक लियो टॉल्स्टॉय और गांधीजी पत्रों के माध्यम से एक-दूसरे से बात करते थे।
  6. गांधीजी को एक बार भी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है लेकिन उनका नाम 1937, 1938, 1939, 1947 में इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
  7. गांधी स्मारक संग्रहालय की स्थापना 1959 में तमिलनाडु के मदुरै शहर में की गई। इस संग्रहालय में खून से सना हुआ एक कपड़ा रखा हुआ है, जिसे नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या के समय महात्मा गांधी ने पहना था।

बापू के जीवन में काफी मायने रखती थीं ये 5 महिलाएं, जिन्होंने हर कदम पर दिया साथ

महात्मा गांधी को उनकी जयंती पर पूरा देश नमन कर रहा है। राष्ट्रपिता के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। आजादी की लड़ाई का नेतृत्व बापू ने किया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने से लेकर अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए बापू ने दिन-रात काम किया। सिर्फ हिंसा के जरिए आजादी की लड़ाई को जीता। वे कभी भी सत्य और अहिंसा के रास्ते से नहीं भटके। इन सिद्धातों को आज भी देश ही नहीं, विदेश के लोग भी फॉलो करते हैं। जब भी अहिंसा का जिक्र होता है, बापू ही याद आते हैं। बापू आज हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

उनका पूरा जीवन आदर्शों और प्रेरणा से भरा रहा है। लेकिन देखा जाए, तो बापू के साथ आजादी की लड़ाई में कई महिलाओं की भूमिका भी रही है। बापू का सम्मान सरदार पटेल से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस सभी नेता करते थे। हमेशा बापू को हर कदम पर अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी का साथ मिला। कई महिलाओं ने आजादी की जंग में बापू का साथ दिया। इन महिलाओं ने हर सुख का त्याग कर देशहित में राष्ट्रपिता का साथ दिया था। आगे इन्हीं महिलाओं के के बारे में बताने जा रहे हैं।

इन महिलाओं ने हर लड़ाई में दिया बापू का साथ

  1. सबसे पहले जिक्र करते हैं कस्तूरबा गांधी का। जो बापू की पत्नी थीं। वे गांधी जी के साथ हर लड़ाई में आगे रहीं। उनको बा कहा जाता था। जब भी बापू ने किसी आंदोलन का एलान किया, कस्तूरबा ने बापू के सभी आश्रमों का संचालन किया था।
  2. सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला भी कहा जाता है। ये आजादी की लड़ाई में प्रमुख महिला रहीं, जिन्होंने हर कदम पर बापू का साथ दिया। यही नहीं, विभाजन के समय भी इन्होंने गांधी जी की सलाहकार के तौर पर अहम काम किया था।
  3. मीरा बेन का जुड़ाव विदेश से रहा है। लेकिन वे गांधी जी से प्रेरित होकर ही अपना घर छोड़कर भारत आई थीं। आजादी की लड़ाई में कई मोर्चों पर गांधी जी के साथ रहीं। खादी सत्याग्रह और बारडोली सत्याग्रह में उन्होंने प्रशंसनीय काम किया था।
  4. बापू के करीबी लोगों में शामिल उनके सचिव रहे प्यारेलाल पंजाबी को कौन नहीं जानता। उनकी बहन डॉ. सुशीला नय्यर राष्ट्रपिता से काफी प्रभावित थीं। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। जिसके बाद वे चिकित्सक बन गई थीं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कस्तूरबा गांधी को मुंबई से अरेस्ट किया गया था। उनके साथ सुशीला भी थीं।
  5. महात्मा गांधी के परपोते कनु गांधी भी काफी सक्रिय थे। उनकी पत्नी आभा गांधी थीं। जो बापू की हर प्रार्थना सभा में भजन गाया करती थीं। वे हमेशा राष्ट्रपिता के साथ रहती थीं। हर आंदोलन में बापू के साथ आगे रहती थीं। जब नाथूराम गोडसे ने बापू को गोली मारी थी, तब आभा मौके पर मौजूद थीं।

 

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