हरियाणा-करनाल : मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों व समस्याओं का समाधान करवाने के लिए किया जोरदार प्रदर्शन
मनरेगा मजदूरों ने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री खट्टर के नाम अपनी मांगों व समस्याओं का ज्ञापन सौंपा
हरियाणा-करनाल : आज मनरेगा मजदूर यूनियन के बैनर तले हरियाणा के मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों व समस्याओं का समाधान करवाने के लिए स्थानीय तलवार चौक से मुख्यमंत्री आवास तक जोरदार प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम मनरेगा मजदूरों के मांग मुद्दों को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन का नेतृत्व राज्य प्रधान कार्यालय नरेश कुमार, महासचिव का सोमनाथ, उप-प्रधान का फकीर चंद, प्रचार सचिव का कर्मजीत कौर ने किया। मनरेगा मजदूरों के मांग मुद्दों का समर्थन जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रधान फूल सिंह, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के प्रधान करनैल सिंह, मजदूर सहयोग केंद्र के खुशी राम ने किया।
प्रदर्शनकारी मनरेगा मजदूरों को संबोधित करते हुए यूनियन के राज्य प्रधान नरेश कुमार ने कहा कि हरियाणा में ग्रामीण मजदूरों को भयंकर बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। खेतीबाड़ी में नाममात्र ही काम मिलता है इसलिए मनरेगा में हरेक ग्रामीण मजदूर द्वारा काम की मांग करने पर उसे साल में कम से कम 200 दिन की रोजगार गारंटी दी जानी चाहिए। लगातार मंहगाई बढ़ने के कारण एक आदमी की कमाई से घर चलाना मुश्किल हो गया है इसलिए परिवार के अन्य सदस्यों को भी काम करना पड़ता है। पुरुष मजदूर दिहाड़ी करने घर से दूर चले जाते हैं मगर महिला मजदूरों के लिए घर से दूर काम पर जाने में मुश्किल होती है। ऐसी हालत में गाँव में या आसपास मनरेगा में सौ दिन काम मिलने से कुछ राहत जरूर मिल सकती है। दुखद बात है कि मजदूर काम मांगते रहते हैं परंतु उन्हें न तो पूरे सौ दिन काम दिया जाता है और न बेरोजगारी भत्ता। यूनियन के पास इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि जब मजदूर काम की मांग करते हैं तो उनकी मांग को उसी समय नरेगा पोर्टल पर दर्ज नहीं किया जाता है और ना ही पावती दी जाती है।
स्थिति यह है कि ब्लॉक करनाल के एबीपीओ गोविन्द के पास जब सोहाना गाँव के मजदूर एक महिला मेट के माध्यम से काम का आवेदन करने गए तो एबीपीओ ने आवेदन पत्र लेने की बजाय लगातार कहते रहा कि जब काम आएगा दे देंगे परंतु मांग के अनुसार काम नहीं दिया गया। गत दिसम्बर व जनवरी मास में गाँव निगदू के 400 से अधिक मजदूरों, वीर बडालवा के 385 मजदूरों तथा कोयर के करीब 83 मजदूरों ने काम की मांग की थी मगर अधिकांश मजदूरों को काम नहीं दिया गया। जब धान रोपाई व खरपतवार निकालने का काम शुरू हो गया तो मनरेगा काम देना शुरू कर दिया गया। सरकार ने मनरेगा में 260 कामों की सूची बनाई हुई है परन्तु जब मजदूर काम मांगने जाते हैं तो अधिकारी व पंचायती राज संस्थाओं के मुखिया कहते हैं कि हमारे एक्शन प्लान में पर्याप्त काम नहीं है इसलिए सभी मजदूरों को काम नहीं दिया जा सकता है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी कमोबेश यही हालत है।
उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा मजदूरों को मजदूरी देने में भी भेदभाव कर रही है।
हरियाणा में मनरेगा मजदूरी ₹357 दी जा रही है जबकि प्रदेश सरकार ने अन्य अकुशल मजदूरों के लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी ₹410.05 घोषित की है। जबकि वर्तमान महंगाई के स्तर को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी तय करने के सरकारी मानदंड के अनुसार न्यूनतम मजदूरी ₹26000 मासिक यानि दैनिक मजदूरी ₹800 रुपए से अधिक होनी चाहिए।
नरेगा वेबसाईट के आंकड़ों की जांच करने पर पता चलता है कि गत वित्तीय वर्ष 2022-2023 में हरियाणा के कुल 1260989 पंजीकृत मनरेगा मजदूर परिवारों में से मात्र 3455 परिवारों को सौ दिन और शेष 304571 परिवारों को औसतन 30.55 दिन काम दिया गया है। 952963 परिवार ऐसे हैं जिन्हें एक दिन भी काम नहीं दिया गया। यूनियन स्पष्ट तौर पर कहना चाहती है कि काम के इच्छुक सभी मजदूरों को काम नहीं दिये जाने के लिए पूरी तरह सरकार व मनरेगा अधिकारी जिम्मेदार है। मजदूरों की संख्या बढ़ रही है मगर केंद्र सरकार ने बजट घटा दिया है। सरकार को पंजीकृत मजदूरों की संख्या को सौ दिन का काम देने लायक बजट, ₹800 मनरेगा मजदूरी और मजदूरों को काम देने के लिए अधिकारियों को सख्त हिदायत देनी चाहिए।
काम के इच्छुक मजदूरों की डिमांड तुरंत दर्ज करनी चाहिए। हरियाणा की किसी भी पंचायत या वार्ड स्तर पर मनरेगा रोजगार दिवस नहीं मनाया जाता है। यदि सरकार पंचायत या वार्ड स्तर पर हर 15 दिन में एक बार मनरेगा रोजगार दिवस मनाए तो असल स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगी कि ग्रामीण क्षेत्र में कितनी भयंकर बेरोजगारी है। काम की योजना बनाने व किए गए काम का सोशल आडिट करवाने के लिए ग्राम सभा की बैठकें अधिकांश जगह कागजों में ही होती हैं। उन्होंने बताया कि यूनियन पिछले एक वर्ष से मनरेगा मजदूरों की मांगों के बारे में बीडीपीओ से लेकर महामहिम राष्ट्रपति तक ज्ञापन देकर सरकार को अवगत करवा चुकी है मगर सरकार ने मनरेगा मजदूरों की आवाज नहीं सुना है इसलिए आज मजबूर होकर हमें मुख्यमंत्री आवास तक आना पड़ा है। यदि सरकार ने अब भी हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो हरियाणा के सभी विधायकों व सांसदों के आवास पर धरने दिए जाएंगे और उनसे पांच साल का हिसाब मांगा जाएगा कि उन्होंने ग्रामीण मजदूरों के लिए क्या किया है।
महासचिव का सोमनाथ ने कहा कि मनरेगा मजदूर यूनियन ने आज हरियाणा सरकार मनरेगा मजदूरों के मांग मुद्दों पर चर्चा व समाधान करवाने हेतु हरियाणा ग्रामीण विकास विभाग और हरियाणा ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद के साथ मनरेगा मजदूरों की प्रतिनिधि मनरेगा मजदूर यूनियन के साथ शीघ्र वार्ता करवाये जाने की मांग की ।
प्रचार सचिव कर्मजीत कौर ने कहा कि मनरेगा मजदूर यूनियन मनरेगा कानून का उल्लंघन करने वाले सरपंचों व अफसरों और भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ आवाज उठाती रही है। खेद की बात है कि मनरेगा कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जाती है। कैथल जिला के गाँव कल्लर माजरा के एक मेट के खिलाफ शिकायत पर आज तक भी कार्रवाई नहीं की गई है। मनरेगा अधिकारियों की शह पर मनरेगा मेटों के माध्यम से फर्जीवाड़ा चल रहा है। ईमानदारी से काम करने वाले अधिकांश मेटों का मस्टरोल निकालने में भेदभाव किया जाता है और उनकी मजदूरी भी छह महीने से साल तक नहीं दी जाती है।
जिला जींद के प्रधान दिलबाग सिंह ने कहा कि प्रदेश की पूर्व हुड्डा सरकार के कार्यकाल में एक कार्यदिवस में कितना काम किया जाए व मनरेगा मजदूरों के अन्य अधिकारों बारे पुस्तिका छपी थी। मगर आपकी सरकार ने मनरेगा में किये गए नए प्रावधानों और एक कार्यदिवस में कितना काम किया जाए और कब से कब तक, इस बारे कोई पुस्तिका प्रकाशित नहीं की है इससे मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पात्र मजदूरों को पशु बाड़े, शौचालय और आवास निर्माण के लिए भी सहायता नहीं दी जा रही है।
जिला कैथल के प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा कि आम तौर पर काम बहुत दूर दिया जाता है। ऐसे में मजदूर को कार्यस्थल पर पहुँचने में अधिक समय लगता है और किराया भी अधिक खर्च होता है। सरकार की ओर से मजदूरी के अलावा दी जाने वाली 10% अतिरिक्त राशि नाकाफी है और हरियाणा में कई जगह तो यह भी नहीं दी जा रही है। काम पर जाने के लिए सरकार द्वारा सुरक्षित वाहन का प्रबंध नहीं किए जाने के कारण कई दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं जिनमें बहुत से मजदूरों की जानें गई हैं और बहुत से मजदूर घायल भी हुए हैं। अफसोस की बात है कि ऐसे पीड़ित मजदूरों व उनके परिवारों की कोई आर्थिक सहायता नहीं की गई और घायलों का उचित इलाज भी नहीं करवाया गया।
जिला कुरुक्षेत्र के प्रधान मेवा राम ने कहा कि अधिकांश जगह कार्यदिवस पूरा हो जाने के बाद कार्यस्थल पर मजदूर के जॉब कार्ड में हाजिरी नहीं भरी जाती है। नये जॉब कार्ड बनाने में की जाती है और पंजीकरण हो जाने के बाद भी मजदूर को जॉब कार्ड नहीं दिए जाते हैं। आधार कार्ड व फैमिली आईडी से जोड़ने की आड़ में बहुत से मजदूरों के जॉब कार्ड फर्जी बात कर बिना नोटिस दिए रद्द कर दिए गए हैं और दोबारा नहीं बनाए जा रहे हैं। यदि मजदूर बकाया मजदूरी या बेरोजगारी भत्ता समय पर नहीं दिए जाने के कारण लेबर कोर्ट में दावा करना चाहते हैं तो स्थिति यह है कि हरियाणा के कुछ जिलों में दावा की सुनवाई करने वाले लेबर अधिकारी ही नहीं है।
निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के राज्य प्रधान करनैल सिंह ने कहा कि वर्ष 2013 से जिस मजदूर ने साल में 50 दिन मनरेगा काम किया हो उसे हरियाणा बीओसीडब्ल्यू वेलफ़ेयर बोर्ड की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं – बच्चों को छात्रवृत्ति, बेटी की शादी में आर्थिक सहायता, बीमार होने पर मुफ्त इलाज, महिला सम्मान भत्ता, साईकिल, सिलाई मशीन, कार्यस्थल पर मृत्यु या अपंग हो जाने पर सहायता आदि – का लाभ दिया जा रहा था। खेद की बात है कि आपकी हरियाणा सरकार ने मनरेगा मजदूरों को इन लाभों से वंचित कर दिया। फैमिली आईडी में कई गरीब परिवारों को उनकी असल आमदनी से अधिक आमदनी दिखाकर तथा अन्य त्रुटियों के कारण उन्हें खाद्य सुरक्षा तथा बहुत सी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल नहीं पा रहा है। सरकार द्वारा त्रुटियां दूर करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इससे गरीबों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी यूनियन मनरेगा मजदूरों की सभी मांगों का समर्थन करती है और मनरेगा मजदूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेगी।
जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष का० फूल सिंह ने कहा कि मौजूदा मोदी व खट्टर सरकार पूर्णतया मजदूर विरोधी सरकारें हैं। केंद्र सरकार ने मजदूर-कर्मचारी वर्ग के भारी विरोध के बावजूद भी 44 श्रम कानूनों को समाप्त करके 4 मजदूर विरोधी श्रम संहिताएँ बना दी गई हैं। सरकारी स्थायी रोजगार देने की बजाय प्रदेश सरकार खुद ही ठेकेदार बनकर कौशल विकास के तहत पूर्णतया अस्थायी रोजगार देने वाली बन गई है तथा जनविरोधी निजीकरण की नीति को तेजी से लागू कर रही है।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा में नूंह घटना और उसके बाद कट्टर हिन्दू संगठन हिन्दू मुस्लिम के नाम पर प्रदेश की जनता का भाईचारा तोड़ने और वैमनस्य बढ़ाने का काम कर रहे है। दुखद है कि आत्मरक्षा के लिए मजबूर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही दोषी ठहराया जा रहा है। धर्म की आड़ में मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत व दहशत पैदा करने वाले हिन्दू कट्टरपंथियों पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है। संविधान की मूल धर्मनिरपेक्ष भावना का अनादर करके सत्ता का सांप्रदायिककरण किया जा रहा है। उन्होंने मजदूरों से अपील की कि वे आपसी भाईचारा बनाकर रखें और धर्म जाति के नाम पर बांटने वाली ताकतों का प्रतिवाद करें और अपने अधिकारों को बचाने के लिए शहीद भगत सिंह के रास्ते पर चलकर संघर्ष करें।
मजदूर सहयोग केंद्र के प्रधान खुशी राम ने कहा कि मौजूदा मोदी खट्टर सरकार पूरी तरह मजदूर किसान विरोधी सरकार है। मजदूरों को किसान आंदोलन की तरह इस सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करना पड़ेगा और इस सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करना पड़ेगा। मजदूर सहयोग केंद्र मनरेगा मजदूरों की लड़ाई का पुरजोर समर्थन करता है और कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेगा। इनके अलावा प्रदर्शन को उप प्रधान फकीर चंद, कैशियर बलकार सिंह, राज्य कमेटी सदस्य बबली करनाल, सोनू आदि ने भी संबोधित किया।
मनरेगा मजदूर यूनियन ने मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें की हैं:-
- दैनिक मनरेगा मजदूरी 800 रुपये तथा मंहगाई दर के अनुरूप हर वर्ष मजदूरी में वृद्धि की जाए। साल में 200 दिन प्रति व्यक्ति रोजगार गारंटी दी जाए।
- भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों की तरह मनरेगा मजदूरों को भी श्रम कल्याण बोर्ड की योजनाओं का लाभ दिया जाए। मनरेगा में 50 दिन काम करने वाले या जिन्होंने काम की मांग की हो मगर सरकार ने उन्हें काम नहीं दिया हो उन्हें बोर्ड से मिलने वाली योजनाओं का पात्र माना जाए। रजिस्टर्ड मजदूरों की यूनियनों को अपने सदस्य मजदूरों की वैरीफिकेशन का अधिकार दिया जाए।
- जॉब कार्ड व काम के लिए आवेदन की पावती दी जाए और काम की मांग के आवेदन को उसी दिन ही नरेगा पोर्टल पर दर्ज किया जाए। काम के इच्छुक सभी मजदूरों को मांग की तिथि के अनुसार काम दिया जाए अथवा 15 दिन के अंदर काम नहीं दिये जाने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। जॉब कार्ड रद्द किए जाने से पूर्व मजदूर को अपनी बात कहने तथा ऊपर अपील करने का अधिकार दिया जाए। तकनीकी वजह से पात्र मजदूरों के रद्द किए गए जॉब कार्ड पुनः बनाए जाएं।
- मस्टर-रोल पूरा हो जाने के बाद एक सप्ताह के अंदर मजदूरी भुगतान हो। देरी होने पर मजदूरी भुगतान मुआवजे सहित किया जाए। बकाया मजदूरी और बेरोजगारी भत्ते का मुआवजे सहित तुरंत भुगतान किया जाए।
- प्रत्येक कार्यदिवस पूरा हो जाने पर मजदूर के जॉब कार्ड में मेट/ रोजगार सहायक द्वारा हाजरी भरी जाए। NMMS एप के काम न करने या नेटवर्क न होने पर मजदूर की हाजरी लगाने की वैकल्पिक व्यवस्था बारे प्रदेश सरकार निर्देशों को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करे ।
- जिन मजदूरों ने काम की मांग की हुई है उन्हें तुरंत काम या बेरोजगारी भत्ता दिलवाया जाए। तालाब में से जलखुंबी निकालने जैसे काम जिन्हें केवल सामूहिक रूप से ही किया जा सकता हो उन्हें समयानुसार मजदूरी के आधार पर करवाया जाए। गहरे तालाब जैसे खतरनाक कार्यस्थल पर सुरक्षा की उचित व्यवस्था हो। ग्राम पंचायत के काम करवाने के लिए टेंडरींग या ई-टेंडरींग बिलकुल बंद हों और सभी पंचायती काम मनरेगा मजदूरों से करवाए जाएँ।
- कार्यस्थल पर पीने के पानी, छाया, फर्स्ट एड बॉक्स आदि का प्रबंध हो।
- मनरेगा दिशा निर्देश – 2006 तथा मौजूदा केंद्र सरकार के मास्टर सर्कुलर के अनुसार गाँव स्तर पर एक सप्ताह/15 दिन में एक दिन मनरेगा रोजगार दिवस मनाया जाना सुनिश्चित करवाया जाए जिसमें मजदूर अपने मनरेगा से संबंधित काम करवा सकें।
- प्रत्येक शिकायत का एक सप्ताह के भीतर निपटारा हो। मजदूरों के विवादों का शीघ्र निपटारा करने के लिए फास्ट ट्रेक श्रम अदालतें गठित की जाएँ।
- काम के औज़ार सरकारी खर्च पर उपलब्ध करवाए जाएँ अथवा बाजार दर के अनुसार औजारों की कीमत दी जाए।
- 50 वर्ष से अधिक आयु के मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर काम गाँव में ही दिया जाए। 2 किलोमीटर से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर सरकारी वाहन का प्रबंध हो। प्रत्येक जिला में घर से 5 किमी से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर मजदूरी का 10% अतिरिक्त राशि दी जाए।
- ईएसआई की तर्ज पर स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड जारी करके मजदूर परिवारों को मुफ्त इलाज की गारंटी दी जाए।
- मनरेगा में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए। मनरेगा कानून का उलंघन करने वाले व भ्रष्टाचार के दोषी पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों व मेटों को कड़ी सजाएँ दिये जाने का प्रावधान लागू किया जाए।
- कार्यस्थल पर या काम पर आने जाने के दौरान मनरेगा मजदूर की मृत्यु या स्थाई अपंगता की स्थिति में न्यूनतम 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता तथा पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। स्वाभाविक मृत्यु हो जाने पर भी 10 लाख रुपए की सहायता पीड़ित परिवार को दी जाए।
- बेघर मजदूरों को रिहायशी प्लाट व मकान बनवाकर दिए जाएँ। शौचालय, पशु बाड़ा व आवास निर्माण के लिए कम से कम 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
- काम की योजना बनाने तथा किए गए काम का सोशल ऑडिट करवाए जाने के लिए सार्वजनिक स्थान पर ग्राम सभा की बैठकें हों और इन बैठकों की वीडियोग्राफी हो। सोशल ऑडिट के समय उस गाँव के पंजीकृत मनरेगा मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
- मनरेगा मेट की नियुक्ति मनरेगा मजदूरों की सहमति से किए जाने का प्रावधान किया जाए। भ्रष्ट मेटों व उनका सहयोग करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को हटाया जाए।
इसके अलावा यूनियन यह भी मांग करती है:- - सरकार की जनविरोधी निजीकरण, ठेकाप्रथा व एफ़डीआई आदि नीति पर रोक लगाई जाए। कौशल विकास जैसे अस्थायी काम की बजाय सभी बेरोजगारों को स्थायी सरकारी रोजगार दिया जाए।
- हरियाणा सरकार केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई मजदूर विरोधी श्रम संहिताएँ रद्द करवाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार के पास भेजे और श्रम क़ानूनों में मजदूर पक्षीय सुधार किए जाएँ।
- मंहगाई पर रोक लगे। बस, रेल किराया, रसोई गैस, डीजल, पेट्रोल आदि सस्ता हो। अनाज सहित तमाम जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं का थोक और खुदरा व्यापार सरकार अपने हाथ में ले। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्विक किया जाए। सभी मनरेगा मजदूर परिवारों के बीपीएल राशनकार्ड बनाए जाएँ।
- जाति-संप्रदाय के नाम पर दलितों व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ नफरत व दहशत फैलाने वाले और भाईचारा तोड़ने वाले कट्टर पंथी तत्वों पर अंकुश लगाया जाए।