Police Files: थानेदार ने पूछा- हुजूर, लाश और तलवार पड़ी है…तलवार को बेचकर अंतिम संस्कार कर दूं? मिला ये जवाब
चांदनी चौक के थानेदार नाजिर अली ने चिट्ठी लिखकर कोतवाल से पूछा था कि इलाके में एक सैनिक की लाश पड़ी हुई है, साथ में उसकी तलवार है। क्या मैं उसकी तलवार बेचकर जो पैसे आएंगे उनसे सैनिक का अंतिम संस्कार कर दूं?

वह गदर का दौर था। बात 3 सितंबर, 1857 की है। चांदनी चौक के थानेदार नाजिर अली ने चिट्ठी लिखकर कोतवाल से पूछा था कि इलाके में एक सैनिक की लाश पड़ी हुई है, साथ में उसकी तलवार है। क्या मैं उसकी तलवार बेचकर जो पैसे आएंगे उनसे सैनिक का अंतिम संस्कार कर दूं? सैनिक 1857 के विद्रोह में भाग लेने दिल्ली आया था। उसके परिजनों का पता नहीं लगा है।
सकारात्मक जवाब मिलने पर तलवार बेचकर 2.10 रुपये 10 पैसे जुटाए गए और उन पैसों से सैनिक का अंतिम संस्कार किया गया। यह प्रसंग राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखी एक चिट्ठी में दर्ज है। उस दौर की करीब 20 हजार चिट्ठियां यहां रखी हैं। इनमें से कुछ का अनुवाद करके दिल्ली पुलिस की ओर से कराया गया है। इन चिट्ठियों को विद्रोह पत्र (म्युटिनी पेपर्स) नाम दिया गया है। अमर उजाला इन चिट्ठियों तक पहुंचा तो उस दौर की पुलिस की कार्य प्रणाली और इतिहास के पन्नों मे दर्ज कई रोचक किस्से सालों का धूल झाड़ कर जीवंत हो उठे।