खेलों में अग्रणी निराधनू का महादंगल

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : झुंझुनूं की धरती देश को सबसे अधिक सैनिक देने के लिए जानी जाती है और अब खेलों में भी अपनी अलग पहचान बना रही है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में प्रदेश से एकमात्र शहादत झुंझुनूं के लाल ने दी थी। इसी वीर भूमि का गाँव निराधनू अब कबड्डी से पूरे शेखावाटी और देशभर में अपनी पहचान बना चुका है।
परंपरा से महादंगल तक
गाँव के युवाओं का खेलों के प्रति उत्साह देखते ही बनता है। हर वर्ष बाबा रामदेव जी महाराज की जयंती पर यहाँ मेला और दो दिवसीय कबड्डी दंगल का आयोजन होता है। यह आयोजन सौहार्द और सद्भावना का प्रतीक है, जिसमें पूरे गाँव के लोग मिलकर इसे सफल बनाते हैं।
लगभग 20 साल पहले स्व. बाबूलाल सैन ने गाँव की दो टीमों के बीच कबड्डी मुकाबले से इस परंपरा की शुरुआत की थी। आज यह परंपरा शेखावाटी का सबसे बड़ा रात्रिकालीन कबड्डी दंगल बन चुकी है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी भाग लेते हैं। मैचों का ऑनलाइन व एलईडी स्क्रीन पर सीधा प्रसारण होता है और प्रो कबड्डी लीग के सभी नियम लागू रहते हैं।
खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए खास इंतजाम
खेल आयोजन समिति हर वर्ष बाहर से आने वाले खिलाड़ियों के लिए निःशुल्क ठहरने और भोजन की व्यवस्था करती है। समिति सदस्य मनोज सैन, दिनेश चारण, इस्पाक खान और रफीक खान के अनुसार ग्रामवासियों के सहयोग से हर वर्ष एक लाख रुपये से अधिक की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाती है।
प्रथम व द्वितीय स्थान के साथ ही तीसरे से आठवें स्थान तक की टीमों को भी पुरस्कार मिलता है। साथ ही बेस्ट रेडर, बेस्ट डिफेंडर, बेस्ट ऑलराउंडर और अनुशासित खिलाड़ी को भी सम्मानित किया जाता है। यही कारण है कि यहाँ हारने वाला भी सिर ऊँचा कर घर लौटता है।
राष्ट्रीय सितारों की गूंज
यह मैदान कई बार नेशनल कबड्डी खिलाड़ियों की चमक का गवाह बन चुका है। यूपी योद्धाज टीम के कप्तान सुमित सांगवान, गुजरात सीजन-8 व हरियाणा सीजन-6 के खिलाड़ी भुवनेश्वर गौड़, यूपी योद्धा के महिपाल सिनवर, पटना पायलट्स के प्रदीप नरवाल और तेलुगु टाइटन्स व गुजरात टीमों के रोहित कुमार जैसे दिग्गज खिलाड़ी यहाँ खेल दिखा चुके हैं। उनकी मौजूदगी ने युवाओं को कबड्डी में नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है।
निराधनू की नई पहचान
माली सैनी समाज मंडावा ब्लॉक महामंत्री संजय सैनी ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एकता और सौहार्द का उत्सव है। जब से यह परंपरा शुरू हुई है, हर वर्ष गाँव से नई-नई टीम तैयार होती है। युवा कई महीने पहले से बाबा रामदेव मंदिर खेल मैदान में अभ्यास शुरू कर देते हैं और अब गाँव की टीमें बाहर जाकर भी जीत का परचम लहरा रही हैं।
साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल
कबड्डी दंगल की एक विशेषता यह भी है कि इसमें हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों की बराबर की भागीदारी रहती है। इस दिन निराधनू गाँव आपसी भाईचारे और एकता की अनोखी मिसाल पेश करता है।
2 सितम्बर को फिर गूंजेगा अखाड़ा
आयोजन समिति ने बताया कि आगामी 2 सितम्बर को बाबा रामदेव खेल मैदान में फिर से दो दिवसीय कबड्डी दंगल का आयोजन होगा। इसका शुभारंभ व समापन राष्ट्रगान के साथ होगा और पूरा आयोजन लाइव प्रसारण के जरिए हर घर तक पहुँचेगा, ताकि मैदान पर न पहुँच पाने वाले लोग भी इस रोमांच को महसूस कर सकें।