फतेहपुर में शहीदों की प्रतिमाओं को बांधी राखी:800 किमी दूर से आई बहन बोली-‘मेरा भाई आज भी जिंदा है’
फतेहपुर में शहीदों की प्रतिमाओं को बांधी राखी:800 किमी दूर से आई बहन बोली-'मेरा भाई आज भी जिंदा है'

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : नैना शेखावत
फतेहपुर : राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर क्षेत्र का गांव दीनवा लड़खानी शहीदों का गांव कहलाता है। इस गांव से 500 से अधिक देशप्रेमी भारतीय सेना में सेवा देकर रिटायर हो चुके हैं और कई अभी भी सेवारत हैं। रक्षाबंधन पर यहां एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस गांव से अब तक 7 बेटे देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं। गांव के चौक में तीन शहीदों – मुखराम बुडानिया, सूरजभान बुडानिया और धर्मवीर सिंह शेखावत की प्रतिमाएं स्थापित हैं। रक्षाबंधन पर बहनें इन प्रतिमाओं पर राखी बांधती हैं। शहीद धर्मवीर सिंह शेखावत की बहन उषा कंवर हर साल 800 किलोमीटर दूर अहमदाबाद से अपने भाई की प्रतिमा को राखी बांधने आती हैं। उषा कंवर ने बताया कि जब वह भाई की प्रतिमा को राखी बांधती हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं।

उन्होंने कहा, “दूसरे ही पल गर्व का एहसास होता है कि हमारे शहीद भाई ने न जाने कितने लोगों की जान बचाई है। वे आज अपनी बहनों से राखी बंधवा रहे हैं।”
उषा ने याद किया कि जब उनके भाई सेना में थे, तब वह कहते थे कि उनके दोस्तों में सबसे पहले उनकी राखी पहुंचनी चाहिए। इसके लिए वह एक महीने पहले ही तैयारी करती थीं। उनका भाई 12 महीने तक उस राखी को अपनी कलाई पर बांधकर रखता था।
उषा ने भावुक होकर कहा, “मेरे भाई ने मेरे हर सपने पूरे किए। मेरा शहीद भाई आज भी मेरे लिए जिंदा है।”
रक्षाबंधन के इस त्योहार पर गांव में भावुकता का माहौल रहता है। जहां एक ओर परिवारों में बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, वहीं दूसरी ओर बहनें शहीद स्मारक पहुंचकर अपने शहीद भाइयों की प्रतिमाओं पर राखी बांधती हैं।
बहन की शादी से पहले शहीद हो गया
उषा कंवर ने बताया-मेरा भाई धर्मवीर सिंह का सपना था कि वह मेरी शादी करवाए मुझे डोली में विदा करें, लेकिन वह इससे पहले ही 2005 में जम्मू कश्मीर के लाल चौक इलाके में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। जिसके बाद मेरा वह सपना सपना ही रह गया, लेकिन मेरे सपने के लिए मेरे भाई ने न जाने कितने बहनों के सपने साकार किए हैं।
शहिद मुखराम बुडानिया की बहनों ने बांधी राखी
गांव के मुख्य चौक पर ही एक और शहीद प्रतिमा शहीद मुखराम बुडानिया की लगी हुई है। जहां हर साल शहिद मुखराम बुडानिया की बहन और बेटी सोनू बुडानिया शहिद प्रतिमा को रक्षा सूत्र प्रतिवर्ष बांधकर अपने भाई को याद करती है।

शहीद सूरजभान बुडानिया की बहनों ने बांधी राखी
गांव के चौक मे तीसरी शहीद प्रतिमा शहीद सूरजभान बुडानिया की है। जिसकी प्रतिमा को रक्षा सूत्र बांधने के लिए हर साल उनकी बहन सीता, सुमित्रा और ममता गांव दीनवा लाडखानी पहुंचती हैं। शहीद मुखराम बुडानिया जम्मू कश्मीर के राजौरी सेक्टर में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 23 अप्रैल 2002 को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए। जिनकी बहादुर के लिए सरकार ने उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया था।

इस गांव से वर्तमान में भारत के तीनों सेनाओं में 250 से अधिक जवान सेवा दे रहे हैं। वहीं 200 से अधिक ऐसे जवान हैं, जो सेवा में अपनी सेवाएं देकर रिटायरमेंट हो चुके हैं।