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रतननगर की बेटी ने रचा कीर्तिमान: कीट विज्ञान में शोध कर बनीं उत्तर भारत की पहली ‘एंटोमॉफैगी’ रिसर्चर


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रतननगर की बेटी ने रचा कीर्तिमान: कीट विज्ञान में शोध कर बनीं उत्तर भारत की पहली ‘एंटोमॉफैगी’ रिसर्चर

रतननगर की बेटी ने रचा कीर्तिमान: कीट विज्ञान में शोध कर बनीं उत्तर भारत की पहली 'एंटोमॉफैगी' रिसर्चर

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिले के छोटे से कस्बे रतननगर की रहने वाली कुमारी पूजा मीणा पुत्री दिलीप कुमार मीणा ( व्याख्याता ) एवं संतोष ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्राणी शास्त्र विभाग से डॉ. शशि मीणा के निर्देशन में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। पूजा मीणा ने वर्ष 2017 से 2019 तक एम.एससी. (जूलॉजी) में एंटोमोलॉजी (कीट विज्ञान) विषय में विशेष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की। वर्ष 2019 में ही उन्होंने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय परीक्षा सीएसआर-युजीसीनेट-जेआरएफ एवं एमपीएटी फैज-2 को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर पीएच.डी. में प्रवेश लिया।

इन्होंने “राजस्थान के अर्ध-शुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्र में ऑर्थोप्टेरन कीटों के वितरण, मौसमी प्रचुरता और पोषण क्षमता पर एक अध्ययन” विषय पर गहन शोध कार्य कर जुलाई 2025 में अपनी पीएच.डी. पूर्ण की। डॉ. पूजा मीणा का यह शोध न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ, बल्कि इसकी मानव उपयोग की दृष्टि से मूल्य को देखते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय ने अपने एम.एससी. एंटोमोलॉजी के चौथे सेमेस्टर में “एंटोमॉफैगी” (कीट आहार विषय) को एक नए पाठ्यक्रम के रूप में सम्मिलित किया है।उनकी इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर परिजनों, शिक्षकों तथा विश्वविद्यालय समुदाय ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

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